हर चीज़ का इलाज (व्यंग्य)
हमको अब सीरियसली कुछ करना पड़ेगा। क्या करना पडेगा, इसने पूछा। आंखें ठीक रखने के लिए वो फोन लेना पडेगा जो बता दे कि आप पास से देख रहे हो उचित दूरी से देखें। आंखों का अच्छा सा डाक्टर भी ढूंढना पडेगा।
यहां वाली सखी ने, वहां वाली सखी को फोन पर पूछा, क्या कर रही हो तो उसने कहा, बस यार फोन देख रही थी। इधर वाली सखी ने कहा, इसको देख देखकर तो आंखें थक जाती है। फिर क्या हुआ बढ़िया क्वालिटी के आई ड्रॉप्स रखा कर। रखे हुए हैं कल रात ही नया पैक खोला है। किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर ने, ख़ास थकी हुई आँखों के लिए बनाया है जो मोबाइल पर रीलें देख देखकर थक जाती हैं। दोनों ज़ोर से हंसने लगी।
इसने पूछा, तू कौन से ब्रांड के आई ड्रॉप्स डालती है। उसने बताया तो इसने भी शेयर किया, यार मेरी गर्दन तो अकड़ सी जाती है रोज़ रात को। सुबह एक्सरसाइज करनी पड़ती है नहीं तो फोन देख ही नहीं सकते। उस वाली ने बताया, मैं तो रात को फोन बंद करने के बाद एक पेन किलर ले लेती हूं, सुबह फ़्रेश उठती हूं। उसने मेडिकल सलाह भी दी एक कालर मंगा ले यार।
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हमको अब सीरियसली कुछ करना पड़ेगा। क्या करना पडेगा, इसने पूछा। आंखें ठीक रखने के लिए वो फोन लेना पडेगा जो बता दे कि आप पास से देख रहे हो उचित दूरी से देखें। आंखों का अच्छा सा डाक्टर भी ढूंढना पडेगा। लगता है जल्दी उसके पास जाना पडेगा, इधर वाली बोली। वैसे तो आंखों की रोशनी ठीक रखने के लिए हम व्यायाम भी कर सकते हैं, सुबह हरी घास पर चल सकते हैं, उधर वाली बोली। इन दोनों कामों में टाइम लगता है फिर दो चार दिन में कोई फर्क नहीं पड़ता। उससे बेहतर है डाक्टर ढूंढो, कभी आंखों का ऑपरेशन भी करवाना पड़ा तो सही टाइम पर सलाह मिल जाएगी।
वहां वाली बोली, यार मैंने कल एक रील देखी जिसमें कोई नया डाक्टर बता रहा था कि मोबाइल से चिपके रहने वालों की हालत खराब होती जा रही है। अब ऐसे बंदों को इससे दूरी बनानी शुरू कर देनी चाहिए नहीं तो बहुत बुरे परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। यहां वाली ने कहा, मैंने एक ऐसी रील देखी जिसमें बताया गया कि मोबाइल के दीवानों को सुधारने के लिए सरकार नए किस्म के केंद्र खोल रही है। जहां उनकी मोबाइल देखने की आदत, बहुत कम खर्च में, इतनी सफाई, होशियारी और चालाकी से सुधार दी जाएगी कि उन्हें पता भी नहीं चलेगा।
वहां वाली उदास बोली, तो क्या उसके बाद हम किताबें पढ़ा करेंगे। यह तो बहुत खराब बदलाव होगा। एक बार मिली ज़िंदगी में किताब पढ़कर हमने क्या करना है। यहां वाली बोली, मैं तो मोबाइल देखने के इलावा और कुछ नहीं कर सकती। सोना, खाना, पीना, साफ़ सफाई, कपडे बदलना, नहाना छोड़ सकती हूं। लगातार मोबाइल देखते हुए बेहोश हो जाना चाहती हूं ताकि तसल्ली रहे कि दुनिया में आकर कुछ किया। वहां वाली ने खुश होकर कहा, चलो हम दोनों मिलकर यही करते हैं। चिंता न कर, दुनिया में हर चीज़ का इलाज है।
- संतोष उत्सुक
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