अफसर का बढ़िया होना (व्यंग्य)

good officer
Prabhasakshi

सामान्य अफसर और बढ़िया अफसर में फर्क होता है। सामान्य अफसरों के कामकाज करने का तौर तरीका, नियम और अनुशासन में बंधा होता है जी। उनसे ज़्यादातर लोग खुश नहीं रहते । उनकी पत्नियां भी ज़्यादा खुश नहीं होती जी।

अफसर होना बहुत ज़रूरी है। जिस परिवार का सदस्य अफसर बन जाता है उसकी बांछें खिल जाती हैं। वह मकान सम्मानित महसूस करता है जिसमें अफसर रहता है। उसमें सुविधाएं, सुख बढ़ाने लगती हैं। वहां उगे पेड़, पौधे, घास और पानी भी खुशहाल दिखने लगते हैं। वहां आने वाले कर्मचारी समय पर आते हैं लेकिन अफसर देर से दफ्तर जा सकते हैं। उन्हें बढ़िया बॉस कहा जाता है जी। 

बढ़िया अफसरों से प्रेरित हो अनेक कर्मचारी संगठन प्रयास करते हैं कि कर्मचारियों का पदनाम बदला जाए ताकि उनके सम्मान में बढ़ोतरी हो। पदनाम से ही पता चल जाए कि बंदा अफसर जैसा है जी। पदनाम बदलने से फर्क पड़ता है। तमन्नाएं पूरी हो जाती है। लोग डरने लगते हैं। सामाजिक रोब दाब और इज्ज़त बढनी शुरू हो जाती है। धर्म पत्नियों का रूतबा बढ़ जाता है। बढ़िया अफसर, पदनाम बदलने के इलावा छोटे मोटे तबादलों के मामले में अपने मातहत ख़ास बंदों को, प्रार्थियों को लाभार्थी बनने में खुली छूट देते हैं। तभी उन्हें बार बार कहा जाता है बहुत बढ़िया अफसर हैं जी। 

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सामान्य अफसर और बढ़िया अफसर में फर्क होता है। सामान्य अफसरों के कामकाज करने का तौर तरीका, नियम और अनुशासन में बंधा होता है जी। उनसे ज़्यादातर लोग खुश नहीं रहते । उनकी पत्नियां भी ज़्यादा खुश नहीं होती जी। लेकिन बढ़िया अफसर तो बढ़िया होता है। विकास प्रिय तेजस्वी नेता उन्हें अपने क्षेत्र में पोस्टिंग दिलवाते हैं। उनका तबादला करवाने के लिए मुख्यमंत्री से सीधे बात करते हैं। बढ़िया अफसर की खासियत होती है कि वह विकास प्रिय नेता की किसी बात में अडंगा नहीं लगाते। राजनीति जब उन्हें कहती है देख लेना, तो वह आंखें बंद कर सब देख लेते हैं जी। वे, वो भी देख लेते हैं जो आंखे खोलकर नहीं देखा जा सकता। जो होना है उसे होने देते हैं, जो नहीं हो सकता उसे भी होने देते हैं। 

बढ़िया अफसर मुश्किल से मुश्किल काम करने या करवाने के लिए, रास्ता बना ही लेते हैं। छुटभये नेता, पंचायती बंदे, पार्षद बने ठेकेदार, इमारतें, सड़कें, वृक्ष और पुल भी उनका साथ देते हैं। बढ़िया अफसर कुछ भी करवा सकने में सक्षम होते हैं जी। उनके तबादले के बाद भी लोग उन्हें याद करते हैं, कहते रहते हैं, कितने बढ़िया अफसर थे जी।  

बढ़िया अफसर के घर परिवार में उत्सव होता है तो उन्हें कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं होती। इशारा भर करना होता है। आयोजन उनके चाहने वाले करवा देते हैं जिन्हें उन्होंने बढ़िया सहयोग दिया होता है। बढ़ियापन भूलने की चीज़ नहीं होती। इसी वजह से मित्रों और रिश्तेदारों के भी काम आसान हो जाते हैं। एक बार मिली ज़िंदगी उन्हें भी बढ़िया लगती है।

  

माना जाता है कि कई आदमी प्रवृति से अफसर होते हैं और कई अफसर शायराना मिजाज के होते हैं। ऐसे अफसर बहुत बढ़िया कविताएं, कहानियां लिखते हैं। वे जो भी लिखते हैं कमाल होता है जी । उनकी किताबें छपने में परेशानी नहीं आती। उन्हें आकाशवाणी व समझदार बक्से की शोभा बढाने के लिए बुलाया जाता है। किसी ज़माने में सुनते थे कि बढ़िया अफसर ही असली सरकार होते हैं। आजकल ऐसा कम लगता है लेकिन सरकार तो अफसर ही चला रहे हैं जिनके बारे में उचित समय पर अवश्य कहा जाएगा, बहुत बढ़िया अफसर थे जी। 

- संतोष उत्सुक

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