नैसर्गिक बुद्धि की कृत्रिम सफाई (व्यंग्य)

natural intelligence
Creative Commons licenses

कृत्रिम बुद्धि प्रयोग का यह संकल्प, मानवीय हस्तक्षेप कम करेगा। स्वाभाविक है गुणवत्ता में सुधार आएगा। इस तकनीक के अंतर्गत, गुणवत्ता वाले सॉफ्टवेयर से सम्बद्ध कैमरे बड़े आकार के चित्र लेंगे और दागों की शत प्रतिशत पहचान करेंगे।

कृत्रिम बुद्धि ने नैसर्गिक बुद्धि को फेल कर दिया है। किसी ज़माने में एक जादूगर ने रेलवे प्लेटफार्म से रेलगाड़ी गायब कर दी थी लेकिन रेलवे विभाग के नैसर्गिक प्रयास, रेल यात्रियों में दी जा रही मैली चादर, तकिया और कम्बल की धुलाई बारे आ रही शिकायतों को गायब नहीं कर पाए। अनुभवी असली बंदे फेल हो गए। बेचारा जुगाड़ कितनी बार सफल हो सकता है। अब क्यूंकि बढ़िया, नकली, ईमानदार बंदे उपलब्ध हैं इसलिए धुलाई की गुणवत्ता निखारने की ज़िम्मेदारी उन्हें सौंप दी गई है। नकली बंदे यानी कृत्रिम बुद्धि, सभी चादरों, तकियों और कम्बलों का निरंतर निरिक्षण कर पारदर्शी रिपोर्ट देगी। बेचारी नैसर्गिक बुद्धि अपनी नाकाबलियत पर दुखी हुआ करेगी।  

कृत्रिम बुद्धि प्रयोग का यह संकल्प, मानवीय हस्तक्षेप कम करेगा। स्वाभाविक है गुणवत्ता में सुधार आएगा। इस तकनीक के अंतर्गत, गुणवत्ता वाले सॉफ्टवेयर से सम्बद्ध कैमरे बड़े आकार के चित्र लेंगे और दागों की शत प्रतिशत पहचान करेंगे। चादर, तकिया या कम्बल पर दाग और क्षति का प्रतिशत रिकार्ड किया जाएगा। इसका बाहरी रेल दुनिया, जैसे, हो रही रेल दुर्घटनाओं, उनमें मर रहे यात्रियों, ज़िम्मेदारी लेने देने बारे हो रही राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं होगा।

इसे भी पढ़ें: मुझे भी इतिहास बनाना है (व्यंग्य)

अब यह साफ़ हो गया है कि इंसान की प्राकृतिक बुद्धि बहुत हेरा फेरी करती है। जुगाड़ उगाती है। लालच देकर दूसरों को भी साथ मिला ले लेती है। इस कृत्रिम बुद्धिमता पूर्ण फैसले ने इंसानी बुद्धि को कुबुद्धि में बदल दिया है। बताते हैं नकली बुद्धि धीरे धीरे असली बेरोजगारी बढ़ा रही है। यह सलाह दी जा रही है, यदि असली बुद्धि को छोड़कर नकली बुद्धि अपना ली जाए तो शासन और प्रशासन से गलत बंदों को हटाया जा सकता है लेकिन ऐसा सिर्फ ख़्वाब में ही हो सकता है। शायद तभी कपड़ों के दागों को पहचानने के लिए, नकली बुद्धि को बढ़िया कैमरे वाला पुलिस इंस्पेक्टर बनाकर लाया गया है। वह पहचान कर बताएगी कि मैली दिखती चादर कितनी बार धुल चुकी है। उस पर दाग अच्छे कहे जा सकते हैं या नहीं।   

कहीं इस नकली बुद्धि वाली इंस्पेक्टर ने पारदर्शी जांच का नया स्तर कायम करना शुरू कर दिया तो मुश्किल हो जाएगी। सभी कपड़े इतने बढ़िया धोने शुरू करने पड़ेंगे कि किसी रेल यात्री को नहीं कहना पडेगा कि मेरी चादर उसकी चादर से ज्यादा गंदी कैसे। शिकायतें परेशान हो जाएंगी। चादर, तकिए और कंबल तो साफ़ हो सकते हैं, क्या बढ़िया नकली बुद्धि, बुद्धिहीन, कर्मदीन, जातिपाति, धर्म, क्षेत्र से सम्बन्धित गुस्ताखियां करने वालों की जांच करने में सफल हो सकती है। झूठे देशभक्तों, पाखंडी धार्मिक लोगों का उचित विश्लेषण कर सकती है। कर तो सकती है लेकिन नकली बुद्धि को ऐसी असली खतरनाक जांच कौन करने देगा। कोई नहीं। सरकारी कपड़े ही साफ़ हो जाएं, काफी है।

- संतोष उत्सुक 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़