पूजा के नए फॉर्मेट से प्रसन्न आराध्य (व्यंग्य)

coronavirus
संतोष उत्सुक । Nov 25 2020 6:57PM

बातचीत ने पूजाघर जाने का रास्ता ठीक व साफ़ करा किया, परिसर पहली बार सेनिटाइज्ड किया गया यह देखकर ईष्ट को भी संतुष्टि हुई। वैसे स्वच्छता हमारे जीवन के कण कण में प्रवेश कर चुकी है, इतना कि कोरोना के मरीज़ दूसरी बीमारियों से मर रहे हैं।

नीली छतरी वाले की नाराजगी ने शहर के गणमान्य लोगों को प्रशासन के दरबार में खड़ा कर दिया था। संजीदा बातचीत के बाद सभी ने माना ईष्टदेव को खुश रखना भी ज़रूरी है। विश्वास हो चला था कि जल्दी पूजा अर्चना शुरू न हुई तो हम देव प्रकोप से बच नहीं पाएंगे। अच्छा प्रशासन धर्म के मार्ग पर चलता है और सुकर्म सभी को बचाता है। सभी समझदार व्यक्तियों ने वास्तविक वर्तमान स्थिति पर गहन चर्चा की, महामारी से उपजी स्थिति से स्वयं एवं दूसरों को अवगत करवाया। संयुक्त निर्णय लिया गया नया अनुशासन उगाया जाए जिसमें पूजा भी होती रहे ताकि व्यवसाय और जीवन सुरक्षित रहे। सदमार्ग पर चलते हुए सद्कर्म करने से ही जीवन, समाज और काफी कुछ सुरक्षित रहता है। बिगड़ती स्थिति की आशंका से बचना भी सामयिक समझदारी है। बुद्धिजनों को सही बात सही लगी और पूजास्थल खोलने की बात पर सहमति हो गई। उन्होंने माना कि पूजा अर्चना जीवन में अभिन्न लाभ देने वाला सकारात्मक पहलू है।

इसे भी पढ़ें: दिमाग से ली गई शपथ (व्यंग्य)

बातचीत ने पूजाघर जाने का रास्ता ठीक व साफ़ करा किया, परिसर पहली बार सेनिटाइज्ड किया गया यह देखकर ईष्ट को भी संतुष्टि हुई। वैसे स्वच्छता हमारे जीवन के कण कण में प्रवेश कर चुकी है, इतना कि कोरोना के मरीज़ दूसरी बीमारियों से मर रहे हैं। ईष्ट को यह देखकर अच्छा लगा कि इंसान उन्हें भी सेनिटाइज्ड कर रहा है। कई भक्तों के बढ़े नाखून और गंदे वस्त्र तो उन्हें भी अच्छे न लगते थे। धूप का बंद पैकेट या अन्य पैक्ड सामग्री चढ़ाना बाज़ार के लिए फायदेमंद रहेगा। धर्मस्थल का बैंक खाता खुलवाने के खिलाफ सेवकों ने अब संक्रमित माहौल होने के कारण ऑन लाइन सुविधाओं की अनुमति उपरवाले से ले ली है। थर्मल स्कैनर से तापमान जांचने, नामपता रजिस्टर में अंकित करने, प्रवेश द्वार पर श्रद्धालुओं पर सेनेटाइज़र का स्वास्थ्य टिकाऊ छिडकाव देखकर सृष्टि रचयिता भी प्रसन्न हैं। उन्हें अच्छा लग रहा है इंसानी लापरवाही कम हो रही है। स्वचालित हैंड सेनेटाइज़र मशीन, प्रवेश करने के लिए गोल दायरे चिन्हित करना, छ फुट दूरी से माथा टेकना पूजा का नया अनुशासन हो गया है।

इसे भी पढ़ें: फेंकुओं की बस्ती में लपटुओं की मस्ती (व्यंग्य)

लकड़ी के कवर में बंद ऐतिहासिक घंटी पुरातत्व चोरों से बची रहेगी। महामारी के माध्यम से सीखने का स्वर्णिम अवसर मिल रहा है कि सब का मालिक एक है। सब के मालिक ने यह प्रेरणा भी दी कि सुरक्षा घेरे में पूजा करना और घर स्वस्थ लौटना ही उचित प्रसाद रहेगा। पैंसठ साल से ज्यादा उम्र के बंदों को घर पर ही भजन करना होगा ताकि उनका शरीर संक्रमण ग्रस्त न हो उनकी प्राणवायु स्वच्छ रहे। ईष्ट नए अनुशासन से बहुत प्रसन्न लगते हैं, इतिहास में पहली बार कई दशकों बाद पूजा का असली महत्व समझा जा रहा है और वे भक्तों की फालतू इच्छाओं, रासायनिक युक्त धुंए और शोर प्रदुषण से बचे हुए हैं। उम्मीद रखनी चाहिए नए वातावरण में, स्वच्छ पर्यावरण में ईमानदार पूजा से आराध्य प्रसन्न तो होंगे।

- संतोष उत्सुक

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़