Paranormal Activity | क्या सच में भूत होते हैं? इंसानी शरीर से कैसे चिपक जाते है? बजरंग बली ने नाम से ही क्यों दूर भागते है, जानें पूरी कहानी

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रेनू तिवारी । May 16 2024 4:45PM

एक शोध के अनुसार, दुनिया की पचास प्रतिशत आबादी ने अपने जीवन में कभी ना कभी किसी ना किसी Paranormal Activity को महसूस किया है।

एक शोध के अनुसार, दुनिया की पचास प्रतिशत आबादी ने अपने जीवन में कभी ना कभी किसी ना किसी Paranormal Activity को महसूस किया है। भूत पिशाच वास्तव में होते हैं कि नहीं, इसका उत्तर कहीं ना कहीं हमें अपनी धार्मिक प्रार्थनाओं में मिल जाता है जहां पर यह कहा जाता है महावीर जब नाम सुनावे भूत पिशाच निकट नहीं आवे । भगवान के साथ में भूत पिशाच भी हैं और भगवान का नाम लेने से भूत पिशाच नहीं आते हैं। भूत पिशाच को वेरीफाई करने के लिए ये सबसे सिंपल थ्योरी है। दुनिया में भूत पिशाच है मगर उनके यहां पर रहने का होने का उद्देश्य क्या है ? इसके बारे में हर संस्कृति में,  हर देश में कुछ अलग कुछ नए विचार हैं । ये इतना दिलचस्प विषय है की विज्ञान ने भी काफी कोशिश की है कि किसी प्रकार से भूत पिशाच का अस्तित्व पहचाना जाए। विज्ञान  के दृष्टिकोण से देखा जाए तो सबसे पहले सामने आती है अल्बर्ट आइंस्टीन साहब  की थ्योरी।

 

क्या सच में भूत होते है?

ज्योतिषी आशीष तिवारी ने इस आर्टिकल में अपनी विद्या के अनुसार विवरण साझा किए हैं। ज्योतिषी आशीष तिवारी का मानना है कि सबसे पहले हमें एक चीज समझनी पड़ेगी फिजिक्स इस फिलासफी एंड फिलासफी इस फिजिक्स। इसी चीज को हम आगे जोड़ सकते हैं अल्बर्ट आइंस्टीन साहब के उसे वक्तव्य से जहां पर उन्होंने कहा कि ऊर्जा अपना रूप परिवर्तित करती है।  यहाँ पर समझना पड़ेगा की मानव शरीर ऊर्जा है। मृत्यु के बाद शरीर का क्या होता है, मृत्यु के बाद शरीर के यदि सही प्रॉपर दाह संस्कार हो जाता है जिस भी मेथड से हो चाहे वह दफनाने के माध्यम से हो या जलने के माध्यम से हो तो फिर वह सारी ऊर्जा  प्रकृति में डिवाइड हो जाती है। आग शरीर की ऊर्जा को तापमान बना कर हवा में बिखेर देती है। जो लोग दफनाये जाते हैं उनके शरीर परजीवी और बैक्टीरिया का भोजन बन जाते हैं। इस तरह वो ऊर्जा खाद्य चक्र में वापस समाहित हो जाती है।

जो कंकाल रह जाता है उसके अंदर भी कुछ कैल्शियम फास्फोरस वगैरा जो होते हैं मिटटी का पार्ट बन जाते हैं। यहाँ पर एक बात समझना पड़ेगा, जो ऊर्जा शरीर के अंदर थी उसको हमने कहीं ना कहीं डिस्ट्रीब्यूशन कर दिया। ये तो  मगर हम उसको मार नहीं पाए वह जो ऊर्जा थी जो शरीर के अंदर विद्यमान थी उसको हमने केवल उसका रूप परिवर्तित करवा दिया और यही बात अल्बर्ट आइंस्टीन साहब ने भी कई उन्होंने कहा कि सब एनर्जी कनॉट बे क्रीटेड ओर डिस्ट्रॉय आईटी कैन बे ट्रांसफॉर्म्ड फ्रॉम वन फ्रॉम थे वन फॉर्म टू द अदर ऊर्जा परिवर्तित करवाते समय हम यह भूल गए कि वहां पर एक आत्मा भी थी एक सूक्ष्म जीव भी था उसे सूक्ष्म जीव का क्या हुआ तो वह सूक्ष्म जीव इसके बारे में हिंदू धर्म को मैं मानता हूं और हिंदू धर्म में ही यकीन रखता हूं क्योंकि मेरे आ परिवार से मिला हुआ धर्म में मुझे और मैं खुद भी एक तीर्थ पुरोहित पढ़ना हूं स्वरों का तो मुझे मनाना पड़ता है इस चीज को तो वहां पर यह कहा गया कि भाई 10 दिन तक वह आत्मा भूत बनकर आपके साथ रही उसके बाद में आपने जो क्रियाकलाप करने थे जो कर्मकांड करने थे।

वह किया और उसे आत्मा की मुक्ति हो गई मुक्ति होने के बाद में वह चित्रगुप्त जी की अदालत में गई। वहां पर कर्मों का फैसला हुआ जो भी यानी मिली थी।  अगली तो वह मिल गई या फिर वह मोक्ष आपको मिलना था तो मोक्ष मिल गया हमारे यहां गांव में और आप सभी लोगों के यहां अक्सर ऐसा होता होगा कि 13वीं का जो एक भोज बनता है उसको आप देखिएगा। एक चूल्हे के ऊपर कुछ चीज बनाई जाती है और उसके बाद में उसे चूल्हे के ऊपर छलनी रख दी जाती है और एक सर टेन पीरियड के बाद में जब उसे छलनी को खोला जाता है।  तो उसके अंदर जबकि वह छलनी याद रखिए छलनी आपने जो रखी है वो कवर्ड करके रखी है तो जब उसको खोला जाता है तो सरप्राइजिंग कई बार आपको जानवरों के पद चिन्ह मिलते हैं कुछ पत्तियों के शॉप मिलते है। 

और कई बार कुछ भी नहीं मिलता तीनों चीज होती हैं तो यह माना जाता है कि इस स्थिति में यदि किसी पार्टिकुलर जानवर का पंजा आप वहां पर पहचान लेते हैं तो यह मान लिया जाता है कि भाई उनकी मुक्ति नहीं हुई है इनको इस योनि में अगला जन्म मिल गया है किसी पट्टी का अगर आपको शॉप मिल जाता है तो आप कहते हैं भाई हो सकता है। इनको स्थावर संज्ञा के अंदर कि किसी वृक्ष के अंदर वह मिल गई है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि वहां पर कुछ नहीं मिलता तो उसके दो अंदाजी लगाए जाते हैं। पहले अंदाजा यह लगाया जाता है कि भाई इनको मोक्ष मिल गया है और दूसरा अंदाज़ यह लगाया जाता है कि हो सकता है कि किसी और रूप में मानव रूप में मगर जीवित रूप में उनका जन्म हुआ है। मगर यह कब एप्लीकेबल हो रहा है जिस समय आप पूरी तरह से कर्मकांड कर रहे हैं क्रियाकलाप अपने पूरे विधि विधान के साथ किए हैं और जो मैं हिंदू धर्म को मानता हूं और मैं क्योंकि हिंदू धर्म से बिलॉन्ग करता हूं तो अपने गंगा जी तक उनकी अस्थियों को पहुंचा दिया। यह सारी चीज हुई है यदि किसी प्रकार से ऐसा नहीं हो पता है तो फिर उसे कैसे में भूत पिशाच का अस्तित्व आता है और भूत भूत पिशाच का अस्तित्व है यह हमें कई जगह मिलता है चाहे हम गरुड़ पुराण के अंदर पढ़ने चाहे हम अपनी जो धार्मिक ग्रंथ हैं।

जैसे कि अब मैं आपको शुरुआत में ही बताया था कि भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे भाई अगर हनुमान जी की आराधना करते समय उसमें भूत पिशाच का नाम आ रहा है। तो यकीनन वह एक्जिस्ट करते हैं अच्छा विज्ञान ने क्या किया विज्ञान ने अल्बर्ट आइंस्टीन साहब की जो थ्योरी थी उसको मना उसके बाद में उन्होंने एक पैरा नॉर्मल एक्टिविटी के अंदर इसको काश वहां पर उन्होंने क्या किया ऊर्जा का एक स्पेक्ट्रम चेक किया अगर हम देखेंगे तो एक हमारे पास विबग्योर नाम का स्पेक्ट्रम है बजनी हैप्पी नाल जिसको हम इंद्रधनुष कहते हैं यह विजिबल लाइट है।

यह हमें दिखाई देती है इसके दाएं तरफ भी लाइट है अगर एक लाइन के ऊपर स्कूल लिया जाए इसके दाएं तरफ भी लिए और इसके बाएं तरफ भी लाइट है जिसको हम कहते हैं जो हमें विजिबल लाइट है जो दृश्य प्रकाश है उसके दोनों तरफ भी एक स्पेक्ट्रम है वहां पर आपको तरह-तरह की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स मिल जाती हैं एक-री मिल जाती हैं गामा रेस मिल जाती हैं प्लांटी का रस आर देयर जो विजिबल लाइट के होते हुए भी के पार हैं लेकिन उनके भी अपने एक्जिस्टेंस है तो विज्ञान ने क्या किया विज्ञान ने उन विजिबल लाइट के स्पेक्ट्रम के पार भूतों को ढूंढने की कोशिश की इसके लिए उन्होंने तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट किए और आई बिलीव आज जो एक भूत हम देखते हैं जिनको भूत पिशाच का एक हम अस्तित्व मानते हैं विज्ञान के आधार पर आप तमाम दुनिया भर के वीडियो देखते रहते होंगे और इन फैक्ट अभी मैं यहां पर यह भी कहना चाहूंगा कि जो सोशल मीडिया पर आपको सारी वीडियो दिखाई देते हैं उनको सबको सत्य मत मानिए क्योंकि बहुत हद तक आज हम किसी भी एक मूविंग क्लिप को मैनिपुलेट करके उसमें छोटी-छोटी ऑब्जेक्ट्स ला सकते हैं इन फैक्ट मोबाइल पर बहुत सारे घोस्ट टाइप से आप फोटो लीजिए उसके बाद में कुछ भी एक उसमें मोमेंट कर दीजिए तो विज्ञान ने भी इस विषय को एक्सप्लोर करने की कोशिश की थोड़ा सा इंटरेस्टिंग विषय है इन ट्रिगिंग विषय है इस वजह से काफी सारा मटेरियल आपको इंटरनेट पर देखने को मिल जाता है तो यह एक विज्ञान की सोच है यहां जब विज्ञान के आधार पर हम भूत प्रेत को डिसाइफर करने की कोशिश करते हैं

उनको थोड़ा एक्सप्लोर करने की कोशिश करते हैं तो फिर आपको यहां पर एक चीज और कहनी पड़ती है आप यहां पर क्या कहते हैं आप यहां पर रहते हैं कि भाई दिमाग में भी भूत होता है कम से कम कर या पांच ऐसी बीमारियां हैं जिनके अंदर हमें कह सकते हैं कि किसी आदमी के दिमाग में भूत है दुनिया में भूत नहीं है दिमाग में भूत है अगर हम ज्योतिष के आधार पर जाएं भूत और पिशाच के एक्जिस्टेंस में तो फिर हमें भी मानना पड़ता है कई बार की पूरी बहुत अच्छी शानदार राज्यों से युक्त कुंडली हमारे पास आती है लेकिन काम कुछ नहीं हो रहा होता है तो जब हम बातचीत करते हैं उनसे और उनसे जानने की कोशिश करते हैं या कई बार हमें मेनिफेस्टेशन मिल जाता है जैसे सूर्य और राहु एक साथ बैठ जाते हैं।

कुंडली में तो हमें एक हल्का-फुल्का मेडिटेशन मेनिफेस्टेशन भी मिल जाता है कि मैं इस कुंडली में पितृ दोष है अब ये पितृ दोष क्यों हैं पितृ दोष का कारण भी कहीं ना कहीं पितृ और प्रेत की जो एक रिलेटिविटी है उसके अंदर है कि भी पितृ आपके जो है प्रेत बन गए इस वजह से वह कुछ चीज होने नहीं दे रहे हैं तो यहां पर हम थोड़ा सा यह एस्टेब्लिश भी ये कर देते हैं कि भाई ठीक है वह सूक्ष्म जीव बन गए हैं वह एक ऐसी जगह पर पहुंच गए हैं जहां से यह संभव नहीं है कि वह दुनिया भी देखिए मायावी दुनिया भी दो शब्द है तो जहां से वह दुनिया भी चीजों में इंश्योरेंस नहीं कर सकते बूट कहीं ना कहीं वह चीजों को रोक सकते हैं आपकी लाइफ में नेगेटिव पॉजिटिव इनफ्लुएंस ला सकते हैं तो अगर बुनियादी तौर पर हम माने तो हम यह कहेंगे कि हां भूत पिशाच होते हैं कनक्लूसिव एविडेंस नहीं है लेकिन पार्शियली कॉरोबोरेटिव एविडेंस टाइम टू टाइम डिफरेंट कलर्स में मिल सकते हैं मैं जैसे क्योंकि मैं हिंदू धर्म को समझता हूं मैं खुद एक ब्राह्मण हूं मैं चोरों का पांडा हूं तो मैं इस चीज को बड़ी बारीकी से समझता हूं और अपने डोमेन में समझता हूं अपने वर्ल्डवाइड में समझता हूं उसी तरह से जो लोग मान लीजिए कोई यूरोप में रह रहा है कोई पुर्तगाल में रह रहा है कोई ग्रीस में रह रहा है यहां तक की कोई चीन में रह रहा है तो उन लोगों को भी अपने स्तर पर अपने-अपने जो वर्ल्ड व्यू है उनके आधार पर भूत प्रसाद से संबंधित अनुभव होते रहते हैं

 

भूत पिचास क्यों चिपकते हैं 

किसी भी व्यक्ति पर भूत पिशाच चढ़ने की स्थिति क्या है ऐसा हम कब कहते हैं जब कि अमुक आदमी के ऊपर एक भूत का साया आ गया है या अमुक आर्मी के ऊपर एक हवा आ गई है इसकी कुछ सीधी सीधी कंडीशंस है सबसे पहले हमें समझना पड़ेगा कि जो पिशाच या जो भूत किसी व्यक्ति के ऊपर अपना इनफ्लुएंस डाल रहा है वह क्या है और क्यों आया है यहां पर जो सबसे बड़ा कीवर्ड सामने आता है वह है तृष्णा और वासना आदमी प्रेत क्यों बनता है कोई आत्मा संतृप्त होकर पृथ्वी पर ही क्यों रह जाती है इसके पीछे मूल रूप से दो ही कारण माने गए हैं तृष्णा और वासना कुछ कहानियों में या कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि कई बार आत्माएं अपना अनरिजॉल्वड बिजनेस पूरा करने के लिए पृथ्वी पर रुक जाती हैं आपने कई फिल्मों में कहानियां अच्छी होगी जहां पर आत्मा खुद को न्याय दिलवाने के लिए या अपना प्रतिशोध लेने के लिए भी पृथ्वी पर रूकती है इन सारी स्थितियों में एक चीज निकल कर आती है कि वह जो आत्मा है। वह किसी भी कारण से एक असंतृप्त आत्मा है और एक कमजोर आत्मा है जब वह पृथ्वी पर रुक गई है तो उसको एक ऐसे मानव शरीर की तलाश है जो इस की तरह मानसिक रूप से संतृप्त हो असंतुष्ट हो और जिसको जीवन से कुछ शिकायत हो और वह अपनी शिकायत को दूर करने के लिए कोई गलत रास्ता अपनाना चाहता हो या ऐसा कोई रास्ता अपनाना चाहता हो जो रास्ता सामाजिक मान मर्यादाओं में सही नहीं माना जाता हो या फिर ऐसा रास्ता जो विधि द्वारा निर्यात किए गए विधान से कहीं अलग हो।

तो यहां पर जो सबसे जरूरी चीज है वह यह है कि हर असंतृप्त आत्मा को एक ऐसा शरीर चाहिए या प्रेसीजली कहा जाए तो एक ऐसा दिमाग चाहिए जो इस की तरह संतृप्त हो जिसके अंदर बहुत सारी तृष्णा भारी हो जब एक बार उसे इस प्रकार का कोई दिमाग मिल जाता है तो फिर प्रेत आत्मा कभी तांत्रिक की सहायता लेकर तो कभी-कभी सीधे रूप में भी किसी आदमी के ऊपर सवार हो सकती है और जब यह सवार हो जाती है तो उसे हम आम भाषा में रहते हैं कि अमुक व्यक्ति पिशाच पीड़ा से पीड़ित है हालांकि तांत्रिक इसे पिशाच पीड़ा नहीं कहते हैं उनके यहां पर इसके लिए काफी ऐसे ग्लोरिफिकेशन वाले नाम है मगर आम आदमी की भाषा में इसे प्रसाद पीड़ा ही कहा जाता है इसके अंतर्गत कई चीज होती हैं जैसे की वह व्यक्ति का वह व्यक्ति वह सारे काम करने लगता है जो पिशाच उसे करवाना चाहता है बदले में पिशाच को भी वह सारे काम करने पड़ते हैं जो वह व्यक्ति चाहता है यदि और प्रेसीज शब्दों में हम कहें या मनोविज्ञान के शब्दों में हम कहें तो हम इसे कह सकते हैं कि एक ह्यूमन एजेंसी मानव के अंदर होती है इस ह्यूमन एजेंसी के अंदर कई बार उसके मन में कुछ ऐसी भावनाएं और कुछ ऐसे क्रियाकलाप होते हैं जो साधारण जीवन में संभव नहीं है तो उनको पिशाच और वह व्यक्ति जिन पर जिस पर की पीछे जिसे पिशाचिनी धारण किया है दोनों मिलकर अपनी ह्यूमन एजेंसी से रिलेटेड चीजों को कंप्लीट करते हैं

आप जब बालाजी के मंदिर में या इस प्रकार के दरबारों में जाते हैं जहां पर आपको लोग उल्टी सीधी हरकतें करते हुए दिखाई देते हैं तरह-तरह के चेहरे बनाते हुए दिखाई देते हैं या फिर उनकी आवाज चेंज हो जाती है या फिर वह कुछ और फल बक रहे होते हैं जिसका की वहां पर उपस्थित चीजों से कोई लेना-देना नहीं होता है तो उसे समय जिन लोगों को आप देखते हैं उनके बारे में मनोविज्ञान तंत्र विज्ञान पिशाच विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान सब की राय एक है यानी कि हम कह सकते हैं कि यह तीनों ही विधाएं उन लोगों के बारे में एक पेज पर हैं और वह एक पेज और वह जो बड़ा डिनॉमिनेशन है वह उसे बड़ा डिनॉमिनेशन के अनुसार जो लोग मानसिक रूप से कमजोर होते हैं या फिर जिन लोगों की कुंडली में मानसिक रूप से कमजोर होना लिखा है यानी कि चंद्र राहु केतु जैसे ग्रह उनके पड़े थे तो उनके ऊपर संभावना ज्यादा होती है कि वह पिशाच पीड़ा का शिकार हो जाएंगे मनोविज्ञान भी यह मानता है कि मानसिक रूप से कमजोर जो लोग हैं जो समाज से थोड़े से विकृत है या समाज से अलग हो गए हैं या उनके साथ में कोई इस प्रकार की स्थिति स्थिति बन गई है वह कई बार पिशाच पीड़ा से पीड़ित हो जाते हैं मगर मनोविज्ञान पिशाच पीड़ा को एक नए तरीके से देखा है मनोविज्ञान यह कहता है कि पैरानॉर्मल या पर लौकिक जो गतिविधियां हैं कई बार वह किसी व्यक्ति के दिमाग की उपज भर होती हैं।

पिशाच पीड़ा आप जब बालाजी के मंदिर में या इस प्रकार के दरबारों में जाते हैं जहां पर आपको लोग उल्टी सीधी हरकतें करते हुए दिखाई देते हैं तरह-तरह के चेहरे बनाते हुए दिखाई देते हैं या फिर उनकी आवाज चेंज हो जाती है या फिर वह कुछ और फल बक रहे होते हैं जिसका की वहां पर उपस्थित चीजों से कोई लेना-देना नहीं होता है तो उसे समय जिन लोगों को आप देखते हैं उनके बारे में मनोविज्ञान तंत्र विज्ञान पिशाच विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान सब की राय एक है यानी कि हम कह सकते हैं कि यह तीनों ही विधाएं उन लोगों के बारे में एक पेज पर हैं और वह एक पेज और वह जो बड़ा डिनॉमिनेशन है वह उसे बड़ा डिनॉमिनेशन के अनुसार जो लोग मानसिक रूप से कमजोर होते हैं या फिर जिन लोगों की कुंडली में मानसिक रूप से कमजोर होना लिखा है यानी कि चंद्र राहु केतु जैसे ग्रह उनके पड़े थे तो उनके ऊपर संभावना ज्यादा होती है कि वह पिशाच पीड़ा का शिकार हो जाएंगे मनोविज्ञान भी यह मानता है कि मानसिक रूप से कमजोर जो लोग हैं जो समाज से थोड़े से विकृत है या समाज से अलग हो गए हैं या उनके साथ में कोई इस प्रकार की स्थिति स्थिति बन गई है वह कई बार पिशाच पीड़ा से पीड़ित हो जाते हैं।

मगर मनोविज्ञान पिशाच पीड़ा को एक नए तरीके से देखा है मनोविज्ञान यह कहता है कि पैरानॉर्मल या पर लौकिक जो गतिविधियां हैं कई बार वह किसी व्यक्ति के दिमाग की उपज भर होती हैं जब आप किसी तांत्रिक से पूछते हैं कि भाई अमुक व्यक्ति पिशाच पीड़ा से पीड़ित है और जो पिशाच या भूत उसके ऊपर सवार है उसकी डिस्क्रिप्शन क्या है तो तांत्रिक आपको एक अलग तरह का डिस्क्रिप्शन देते हैं कई बार वह बताते हैं कि भाई पिछले जन्म में फलां व्यक्ति था अमोघ व्यक्ति था या फिर जो भी एक डिस्क्रिप्शन उनके मन में हो वह आपको बता देते हैं और कई बार वो सही भी होता है मैं यह कहूंगा मैं बिल्कुल नकार नहीं सकता मैं अपने जीवन में कई इस प्रकार के मामले होते हुए देखे हैं जहां पर की कुछ ऐसे लोगों की आत्माएं लोगों पर सवार हुई है जिनके वास्तव में अस्तित्व थे और कई ऐसी चीज भी उन्होंने बताई है या कुछ ऐसी घटनाएं भी हुई है जिनके बाद में मानना पड़ा कि प्राय तो पिशाच या सूक्ष्म जीव जीवन दुनिया में अस्तित्व में है लेकिन जब हम इसी चीज को साइकोलॉजी में पूछते हैं तो फिर वह तीन या चार बीमारियों के नाम गिनाते हैं और उनका कहना यह है कि यह तीन या चार जो मानसिक विकार हैं इनकी वजह से आदमी को एक पैरानॉर्मल शब्द दिखने लगता है भूत पिशाच के अस्तित्व को ज्योतिष कार्मिकता के आधार पर निर्धारित करता है ज्योतिष की थ्योरी के अनुसार भूत वह व्यक्ति है जिसके जीवन में प्रारंभ कम भोगना भूत बहुत सूक्ष्मजीव है जिसके जीवन में प्रारंभ कम भोगना बाकी रह गया था इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जो कार्मिक ड्यूटीज या जो कार्मिक कर्तव्य भूत को दिए गए थे कई बार वह पूरे नहीं हो पाते हैं इसके कारण भी लोग असंतुष्ट होकर अतिरिक्त होकर भूत बन जाते हैं और सबसे बड़ी थ्योरी तो आप सभी ने सुनी ही होगी जिसके अनुसार यदि अंतिम क्रिया कर्म ठीक से नहीं किया जाए तो कई बार पेशाब यानी या भूत योनि में आत्मा को कई वर्षों या कई बार कई कल्पों तक भी रहना पड़ता है और अपने अस्तित्व को से मुक्ति पाने के लिए वह लगातार उन जिम्मेदार व्यक्तियों को परेशान करते रहते हैं जिनकी तरफ से यह कर्म अधूरे रह जाते हैं ज्योतिष इसे पितृ दोष के नाम से भी जानता है मनोविज्ञान जब किसी आदमी को देखने वाली पैरानॉर्मल एक्टिविटी को एक्सप्लेन करता है तो जो सबसे बड़ा बीमारी सामने आती है उसका नाम है बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर 

बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक बहुत ही आम बीमारी है यह कई बार पैदा होती है जब कोई भी व्यक्ति अपने अंदर कई प्रकार की भावनाओं को दबाकर रखना है।

और भावनाएं या वह कमजोरी या उसे तरह की सुरक्षाएं एक नया तरीका ढूंढती है बाहर आने का बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जिस समय आप यह सवाल पूछते हैं कि कोई भी किसी भी व्यक्ति को भूत धारण कैसे करता है पिशाच चढ़ता कैसे हैं तो यह भी देखा गया है कि कई बार बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर की वजह से जो सिम्टम्स निकाल कर आते हैं वह भूत होते हैं आपने कई फिल्में देखी होगी या आप अपने आसपास भी कोई एग्जांपल देखते होंगे कि कुछ लोग होते हैं वह एकदम दबे से हमें सब कुछ ऐसे रहते हैं फिर अचानक एक सर्टेन पीरियड में उनके ऊपर एक भूत आता है और वह भूत आने के बाद में काफी कुछ चेंज हो जाते हैं वह कुछ ऐसी एक्टिविटीज करने लगते हैं जिसकी वजह से रियल लाइफ में भी उनका सम्मान मिलने लगता है तो यह एक बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर है और बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का पारा नॉर्मल से कनेक्शन बड़ा बड़ा है तो मोती आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि हम मानते हैं दुनिया की 3% या 4% पापुलेशन को शायद भूत फोंट करते होंगे शायद उन्हें पैरानॉर्मल एक्टिविटी होती हुई दिखाई देती होगी लेकिन बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जिनके बारे में यह कहा जाता है कि भाई इन पर भूत आता है देवी आती है या इनके ऊपर पिशाच आता है मगर सच्चाई में वह शायद बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के शिकार हैं।

इसी बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर को बेस मां की और भी बीमारियां होती हैं जिन बीमारियों को कई बार यह रूप दे दिया जाता है कि भाई अमुक आदमी पर भूत आता है आपने एक फिल्म देखी होगी भूल भुलैया जिसमें अक्षय कुमार और विद्या बालन थे वह इसी प्रकार की एक साइकोलॉजिकल बीमारी पर बसे थी उसे उसे फिल्म का जो कैरेक्टर है विद्या बालन उसके ऊपर पूरा एक भूत और भूत का एक पूरा यूनिवर्स उसने अपने ही दिमाग में क्रिएट किया हुआ है और यहां पर एक चीज हमें और समझनी पड़ेगी जिसको हम लेकर आते हैं क्रिमिनल साइकोलॉजी की ओर से क्रिमिनल साइकोलॉजी मानती है कि जो भी आदमी जिसके अंदर यह ताकत है कि वह सोशल नॉर्म्स लो और कानून को छक्का के कोई क्रीम कर रहा है उसके अंदर एक आम आदमी से अधिक एक्स्ट्रा पावर होती है।

उदाहरण के तौर पर जब कोई आदमी मर्डर करने के इरादे से किसी दूसरे आदमी को पर अटैक करता है तो जो उसकी नॉर्मल पर्सनालिटी है या जो नॉर्मल लेवल पर वह जो काम कर रहा है उसे चार या पांच गुना ज्यादा ताकत से वह अटैक करता है या जो भी एक्टिविटी उसे मर्डर के लिए उन्होंने कहीं ऐसे चरित्र गाड़े हैं जिसमें एक मर्डर आम आदमी से ज्यादा ताकतवर था और जब कोई व्यक्ति जैसे आपने देखा होगा कि वही अरे भाई वह फालना भूत था उसने खटिया उठकर छत से लगा दी मैं आपके गांव के लोगों की भाषा बता रहा हूं यह उसने खटिया उठकर छत से लगा दी या उसको जब भूत आता है तो उसको बढ़ने के लिए लोहे की जंजीरें लगानी पड़ती हैं या वह तरह-तरह की हरकतें करता है तो यह जो एक एक्टिविटी है कई हो सकता है कि भूत है लेकिन कई मामलों में यह भी देखा गया है कि भूत ना होने के बाद भी लोग इस तरह की एक्टिविटी मनोवैज्ञानिक कर्म से भी करती हैं और इस तरह के जो भूत होते हैं वह कुछ से टिप्स आते हैं या कुछ खास किस्म के ड्रग्स आते हैं उनको देने के बाद में धीरे-धीरे पहले कंट्रोल में होते हैं और फिर एक आदमी नॉर्मल उसमें चला जाता है अपनी नॉर्मल जिंदगी में वापस आ जाता है|

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के बाद जो शिजोटाइपी एक ऐसा मेथड है जिसके द्वारा  paranormal activity के realization को नापते हैं। इस आधार पर दो प्रकार के लोग सामने आते हैं, हैप्पी शिजोटाइप और हेल्थी शिज़ोटाइप। हैप्पी शिजोटाइप वो लोग है जो Paranormal फील करते हैं और एक वक्त के बाद ये paranormal उनके लिए ख़ुशी का कारण बन जाता है| जो लोग तांत्रिको के पास जाते हैं या फिर किसी जिन्हें कहीं भूत दिखाई देते हैं, कई बार वो एक प्रकार के नशे में भी होते हैं| उन्हें ये कनेक्ट अच्छा लगता है, वो इस तरह के बहाने लगातार ढूंढते रहते हैं। 

अगर आप इन दोनों प्रकार के लोगों को ध्यान से देखेंगे या जिस तरह से साइकोलॉजी में उनके बारे में कहा गया है डिस्क्रिप्शन दिए गए हैं यदि उसे आधार पर आप अपने आसपास के जो तंत्र फोनेटिक लोग हैं जिनके अंदर एक फेनेटिज्म है तंत्र को लेकर उनको मैच करेंगे तो आपको पता लगेगा कि जो हैप्पी शिजुका टाइप के लोग हैं दरअसल यही कहीं ना कहीं तंत्र का प्रचार प्रसार भी कर रहे होते हैं कोई आदमी परेशान दिखाई दिया इन्होंने फॉरेन किसी तांत्रिक का पता बताया अब उस काम होगा या नहीं होगा वह बात की चीज है मगर इनिशियली एक एंडोर्समेंट मिल गया कि अमुक आदमी जो है यह तंत्र का लाभ ले चुका है और इसे लाभ ही नहीं कहा जाएगा एक नेगेटिव वे में तंत्र को इस्तेमाल कर चुका है इसे कामयाबी मिल जाती है और हम भी कर सकते हैं इसी तरह से हेल्दी शिशु टाइप भी होते हैं यह जो हेल्थी हेल्थी शेड्यूल टाइप है यह दरअसल मानसिक रूप से कमजोर है और शारीरिक रूप से स्वस्थ है मगर इनको अपनी स्वच्छता या जिसको कहना चाहिए कि हम भी नॉर्मल हैं यह दिखाने का मौका नहीं मिल पा रहा तंत्र इनको वह या जो भूत की जो पैरानॉर्मल एक तरह की यहां पर एक शब्द इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है कि एक पैरानॉर्मल जो इनके अंदर फीलिंग बन जाती है की भाई एक पैरानॉर्मल वर्ल्ड है तो यह उसे वर्ल्ड में बार-बार जाकर और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं आपने देखा होगा कि एक क्रिकेटर हो या फिर कोई एक परफॉर्मर हो जब वह किसी एक खास स्टेट ऑफ माइंड में जाते हैं तो उनकी परफॉर्मेंस एक अलग लेवल पर पहुंच जाती है जैसे कि कई फिल्मी कलाकारों के बारे में मैं स्वर्गीय श्रीदेवी जी का नाम लेना चाहूंगा उनके बारे में कहा जाता था कि श्रीदेवी की जो हैं कैमरा ऑन करने के बाद उनकी पर्सनैलिटी चेंज हो जाती थी तो उनको एक जैसे ही कैमरा ऑन होता था उनका एक अलग वर्ल्ड बनता था वहां पर एक अलग पर्सनालिटी के अंदर वह पहुंच जाती थी अगर आप स्टेज के आर्टिस्ट की बात करेंगे तो जैसे ही वह स्टेज पर आते हैं और स्टेज के पास की सीडीओ के पास चुके चढ़ते हैं वह एक अलग ही चीज हो जाती है बाहर खड़ा हुआ आदमी जिसके पास मूंगफली खाने के पैसे नहीं है।

अचानक एक बादशाह का रोल प्ले करने लगता है वह भी बड़े इफेक्टिवली तेरा नॉर्मल एक्टिविटी के अंदर जो लोग भूत को या महसूस करते हैं या जिनके ऊपर हमने देखा है कि भूत आते हैं या वह एक पर्सनालिटी उनकी चेंज हो जाती है साइकोलॉजी मानती है कि पैरानॉर्मल एक्जिस्टेंस भूत का एक्जिस्टेंस या इस तरह के एक्जिस्टेंस कहीं ना कहीं इन लोगों के लिए एक इंटरफेस क्रिएट कर देते हैं जिस इंटरफेस के अंदर जाने के बाद में इनकी पर्सनैलिटी चेंज होती है और यह अपना बेस्ट दे पाते हैं तो इस आधार पर भी यह कहा जा सकता है कि जो भूत चढ़ता है या जो भूत का जो अस्तित्व है वह इसका एक कारण यह भी है कि एक मेंटल स्टेट है जिसके अंदर भूत है अच्छा यहां तांत्रिक उनका रोल समझना भी बड़ा इंपॉर्टेंट है तांत्रिक इसके आसपास एक धर्म का एक अनुशासन का एक एक अजीब सा तना-बना बना देते हैं जिसकी वजह से जो आदमी इन चीजों में यकीन नहीं भी रखता है एक सेकंड के लिए तो यही मान बैठता है कि नहीं भैया भूत होते हैं या भूत किसी के ऊपर सवार है या किसी व्यक्ति के ऊपर भूत आए हुए हैं तो बॉटम लाइन में हम यह कह सकते हैं की यकीनन यकीन ही तौर पर 5% या 10 परसेंट तक ऐसे लोग हैं जिनके ऊपर पिशाच और आत्माएं आती हैं उनका कोई पर नॉर्मल कनेक्ट होता है लेकिन उसके बाद में 90% लोग ऐसे हैं जिनका कोई तरह नॉर्मल कनेक्ट नहीं है और अगर आप चाहे तो बड़ी आसानी से उनको मनोविज्ञान की मदद से सॉल्व कर सकते हैं अगर आप उनके वर्ल्ड में थोड़ा एंटर करें और उसमें जाकर देखेंगे तो आपको उसके आंसर्स मिलने लगेंगे कि उनकी एक्जेक्टली बीमारी क्या है

कृष्ण का उत्तर प्रश्न में ही छुपा हुआ है आपने पूछा कि भूत रात में क्यों दिखाई देते हैं तो उसका आंसर यह है कि भाई रात में जो कुछ और दिखाई नहीं देता है तो फिर भूत दिखाई देते हैं यह बहुत बड़ा सा आंसर है जो हम मजाक में अक्सर करके दे सकते हैं मगर ज्योतिष के पॉइंट ऑफ व्यू से अगर हम देखें तो एक हमें आंसर एक सब्सटेंस आंसर मिल जाता है कई बार सब्सटेंस आंसर यह कहता है कि दिन में जब सूर्य का प्रकाश आता है तो फिर बाकी के जितने भी अंधेरे कोने हैं उन सारे अंधेरे कोनों में एक बिंदु के बाद में जाकर आप देखेंगे कि सूर्य की रोशनी पहुंच जाती है जब सूर्य की जो रोशनी है जो दुनिया में विजिबल लाइट का सोर्स है जब वह पहुंच जाती है तो फिर बाकी की किसी लाइट को रिफ्लेक्ट होने के लिए इसको भी नहीं रहता जो भूत है वह हमने हम जानते हैं कि विजिबल लाइट स्पेक्ट्रम से बाहर है सूक्ष्म जीव जितने भी हैं जो हमारे आसपास है वह बैक्टीरिया विष्णु फिर उसी में हम शामिल कर लेते हैं पाटो को भी पिशाचों को भी या इस तरह की जो भी एंटी है तो वह सारे विजिबल लाइट स्पेक्ट्रम से बाहर है यही कारण है कि जहां पर सूर्य की रोशनी इस आधार पर पहुंच रही है कि वह विजिबल लाइट स्पेक्ट्रम प्रीवेल कर रहा है वहां हमें भूत दिखाई नहीं देते हैं दूसरी चीज यह भी है कि एक बड़ी इंट्रस्टिंग चीज यहां पर नई डिस्कवरी यह भी है कि भाई आप जैसे-जैसे यह ओजोन लेयर हमारी खत्म होती जा रही है उसके बाद में कहा जा रहा है कि भाई अल्ट्रावायलेट जो आपकी रेस है वह पृथ्वी पर आने लगी है

अल्ट्रावायलेट जो है वह भी एक नॉन विजिबल लाइट स्पेक्ट्रम है तो अगर हम उनको रिलाइज कर पा रहे हैं अपनी स्क्रीन पर तो यह कहना गलत होगा की भूत पूरी तरह से रात को ही दिखाई देते हैं या रात को ही इफेक्टिव होते हैं भूत दिन में ही इफेक्टिव दिन में भी उतने ही इफेक्टिव होते हैं द ओनली डिफरेंस दिस की रात को उनकी शक्तियां बढ़ जाती हैं क्योंकि विजिबल लाइट स्पेक्ट्रम कई बार एकदम मिनिमम लेवल पर पहुंच जाता है और जो इनविजिबल लाइट स्पेक्ट्रम है उसके पास कुछ इस तरह के स्कोप्स आ जाते हैं कि वह अपना मेनिफेस्टेशन प्रस्तुत कर सके तो यह तो हमारा साइंस और ज्योतिष के आधार पर हुआ इसको भूत की जो एक्टिविटी है।

इसको अगर हम एक और लेंस क्यों में डालकर देखे तो हमें थोड़ा सा क्लियर होता है वह कांसेप्ट है आफ्टर इमेज का आपको शायद जान के ताजुब होगा कई रिसर्च यह कहती है कि जो भी इमेज हम देख रहे हैं एक्चुअली वह एक आफ्टर इमेज है क्योंकि हो क्या रहा है हमारी आंखों के रेटिना पर एक प्रतिबिंब बनता है उसे प्रतिबिंब को हमारा दिमाग एक जगह जाकर प्रक्रिया करता है प्रोसेस करने के बाद में न्यूरल नेटवर्क के अंदर उसको भेजा जाता है जहां पर हम एक कॉपरेटिव इमेज बनाते हैं और इमेज बनाने के बाद में हमको एक डिसीजन मिलता है कि भैया यह वाला चीज मैंने देखी यह जो चीज मैंने देखी इसको मैं हाथी का नाम दूं यह जो चीज मैंने देखी इसको मैं बाइक का नाम दूं यह जो चीज मैंने देखी यह फल फल ह्यूमन बीइंग है।

उसका नाम यह है तो एक तेरे इस ए कनेक्शन तो हमारे दिमाग में क्या पहुंची आफ्टर इमेज अब यहां एक सोशियोलॉजिकल रीजन भी निकाल कर आता है भूतों की एक आफ्टर इमेज हमारे दिमाग में बना दी गई है वह इमेज किसने बनाई है हमारी दादी नानी जो हमें कहानियां सुनाया करती थी उसके अंतर्गत हमने जो फिल्में देखी उसके अंतर्गत आजकल भी अगर आप देखेंगे तो घोस्ट टाइप आ गए हैं जिनमें वह तरह-तरह की घोस्ट कि वह बना देते हैं शेप्स बना देते हैं तो कहीं ना कहीं एक आफ्टर इमेज है और अब आप देखिए ज्यादातर क्लाउड की शक्ल में होते हैं जिन लोगों ने भूत को कभी पर्सीव किया है या उसका कोई विजुअल रिप्रेजेंटेशन बनाने की कोशिश की है तो सबसे बड़ा चीज उन्हें क्या दिखाई थी उन्हें क्लाउड दिखाई दिया तो आपको आप देखते होंगे कि ढूंढने से भूत दिखाई देते हैं दूसरा आपने कई तरह की चीज देखी होगी भूत आपको हमेशा सफेद कपड़ो में दिखाई दे रहे हैं या फिर भूतों की जो है पांव उल्टे हो जाते हैं या एक एक स्केलेटन है स्केलेटन के ऊपर एक चीज है जिसका कोई चेहरा नहीं है यह बहुत घास ली कर डराने वाला चेहरा है तो यही कारण है कि हमें भूत रात को दिखाई देते हैं मगर यह याद रखिएगा कि इसका यह मतलब नहीं है कि भूत दिन में एक्टिव नहीं है भूत दिन में भी उतने ही एक्टिव हैं और इसके अलावा यहां पर मैं जैसा कि हमेशा कहता ही आया हूं सिंस आईटी इस ए वेरी सेंसिबल प्लेटफार्म तो मैं यहां पर यह भी कहना चाहूंगा कि जो आफ्टर इमेज हमारे यहां क्रिएट की गई है या फिर जो मित्र हमारे बना दिए गए हैं उसके आधार पर हमने एक भूत की तस्वीर भी बना ली है जो कहानी हम पढ़ते हैं जो हम टीवी में देखते हैं या जो लोगों के मुंह से हम सुनते हैं उसके बाद में अपने दिमाग में एक मेंटल इमेजरी बनाते हैं उसकी अगर कोई भी चीज उसके नियर बाय भी हमको मिलती है तो जो मैं तो उसके स्थिति में जो एक आफ्टर इमेज हमारे दिमाग में पहले से बनी हुई है हम उस आफ्टर इमेज को मैच कर देते हैं और आफ्टर इमेज को आपस में मैच करने के बाद में हमें लगने लगता है कि यार यहां पर भूत है या समथिंग लाइक था अगर यह भी देखा जाए तो मैंने आपको पहले भी बताया है कि दुनिया में की आधी आबादी को कोई ना कोई पैरानॉर्मल एक्टिविटी फुल हुई है वह उसे मना नहीं कर सकते मैं भी मन नहीं कर सकता आप भी मन नहीं कर सकती हमने देखा है हम भले ही दो परसेंट माने लेकिन दिल के किसी कोने में भूत प्रेत पिशाच इन सब के अस्तित्व को मानते हैं क्योंकि हम भगवान को मानते हैं तो उसे स्थिति में होता है क्या है कि जो आफ्टर इमेज हमने दिमाग में बिठाई हुई है उसे जो हमने फील्ड मैच किया हुआ है बस केवल भूत उसी की देन है।

कई मामलों में 90% मामलों में भूत इस आफ्टर इमेज की देन है और भूतों का रात में दिखाई देना या रात में अपने आप को मेनिफेस्टो करना उसका भी एक मूल कारण यही माना जाता है कि भाई रात के समय जो हमारे दिमाग में सोशियोलॉजिकल ही जो आफ्टर इमेज डाली गई है वह सारी रात के भूत की डाली गई है जिनके भूत की हमें इमेज दी ही नहीं गई है आज जाकर जब हम फिल्में देखते हैं जो थोड़ी प्रोग्रेसिव लेवल की फिल्में हैं या जो प्रोग्रेसिव लिटरेचर है या फिर जहां पर पैरानॉर्मल और नॉर्मल की कनेक्टिविटी को एक नए तरीके से रेडी फाइंड किया गया है उन सभी जगह में हम पाते हैं की भूत दिन और रात की परिधि से बाहर है


लेखक- ज्योतिषी आशीष तिवारी

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