पाकिस्तान में ‘आयातित सरकार’ स्वीकार नहीं करूंगा: इमरान खान
खान ने हाल के हफ्तों में एक ‘‘धमकी भरे पत्र’’ के बारे में बात की है और दावा किया है कि यह उन्हें हटाने की एक विदेशी साजिश का हिस्सा है क्योंकि वह एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के चलते वह स्वीकार्य नहीं हैं।
इस्लामाबाद| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से कुछ घंटे पहले, शुक्रवार को अपने समर्थकों का आह्वान किया कि ‘‘नयी आयातित सरकार’’ के सत्ता में आने पर वे रविवार को देशभर में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करें।
अविश्वास प्रस्ताव पर शनिवार को मतविभाजन से पहले राष्ट्र के नाम एक संबोधन में, 69 वर्षीय खान ने अपने समर्थकों से रविवार शाम को उनके साथ सड़क पर उतरने का आह्वान किया।
नेशनल असेंबली में खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन में कोई चमत्कार होने की उम्मीद नहीं है। खान ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष के विवादित फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त किये जाने को लेकर भी निराशा व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस आयातित सरकार को स्वीकार नहीं करूंगा, मैं सड़क पर उतरूंगा ... केवल लोग ही मुझे सत्ता में ला सकते हैं और मैं लोगों की मदद से वापस आऊंगा।’’ उन्होंने कहा कि नयी सरकार के संभावित गठन के बाद उनके समर्थकों को रविवार शाम को सड़क पर उतरना चाहिए। उन्होंने नये चुनावों की घोषणा करने और देश का सामना करने के लिए विपक्ष पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैंने सदन भंग कर दी, क्योंकि मैं चाहता हूं कि लोग नई सरकार चुनें।’’
342 सदस्यीय सदन में एक तरह से बहुमत खो चुके खान ने कहा, ‘‘मैं संघर्ष के लिए तैयार हूं... शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में मेरे साथ शामिल हों।’’ प्रधानमंत्री खान को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी दलों को 342 सदस्यीय सदन में 172 सदस्यों की आवश्यकता है। हालांकि उन्होंने इससे अधिक संख्या का पहले ही समर्थन दिखा दिया है। अब खान पाकिस्तान के इतिहास में पहले ऐसे प्रधानमंत्री हो सकते हैं, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के नेतृत्व वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष का फैसला बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही नेशनल असेंबली को बहाल करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि नेशनल असेंबली भंग करने और समय से पहले चुनाव कराने का प्रधानमंत्री का कदम ‘‘असंवैधानिक’’ था।
अदालत ने निचले सदन के अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन के लिए 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे (स्थानीय समयानुसार) नेशनल असेंबली का सत्र बुलाने का भी आदेश दिया था।
पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। खान ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय और न्यायपालिका का सम्मान करता हूं, लेकिन शीर्ष अदालत को अपना फैसला देने से पहले एक धमकी भरे पत्र पर गौर करना चाहिए था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं फैसले से दुखी हूं, लेकिन मैं इसे स्वीकार करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत कम से कम दस्तावेज मांग सकती थी और देख सकती थी, क्योंकि यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है और अदालत में इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। खान ने हाल के हफ्तों में एक ‘‘धमकी भरे पत्र’’ के बारे में बात की है और दावा किया है कि यह उन्हें हटाने की एक विदेशी साजिश का हिस्सा है क्योंकि वह एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के चलते वह स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बहुत इच्छा है कि लोग दस्तावेज़ को देख सकें लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण इसे साझा करने से इनकार कर दिया। खान ने कहा कि हालांकि उन्होंने इसका सार अपने शब्दों में साझा किया।
खान ने अपने आरोपों को दोहराया कि एक अमेरिकी राजनयिक ने पाकिस्तान में शासन परिवर्तन की धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी राजदूत और अमेरिकी अधिकारी के बीच बैठक के दौरान, अमेरिकी अधिकारी ने शिकायत की कि ‘‘मुझे (इमरान खान को) (रूस) नहीं जाना चाहिए था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह पाकिस्तान के 22 करोड़ लोगों के लिए बहुत शर्मनाक है कि एक विदेशी अधिकारी देश के मौजूदा प्रधानमंत्री को तीसरे व्यक्ति के माध्यम से आदेश दे रहा है, गंभीर परिणामों की चेतावनी दे रहा है और अगर मैं (इमरान खान) पद छोड़ देता हूं तो उन्हें क्षमा करने का प्रलोभन दिया जाता है।’’ उन्होंने लोगों से बाहर आने और सरकार को हटाने की विदेशी साजिश को खारिज करने को कहा।
खान ने एक बार फिर भारत की प्रशंसा करते हुए इसे ‘‘महान सम्मान की भावना वाला देश’’ कहा। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी महाशक्ति भारत को उसके हितों के खिलाफ कुछ भी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती। वे (भारत) प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीद रहे हैं।’’ खान ने यह भी कहा कि वह भारत के खिलाफ नहीं हैं और पड़ोसी देश में उनके काफी प्रशंसक हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कारक के कारण और उन्होंने (भारत सरकार) कश्मीर में जो किया, उसकी वजह से भारत के साथ संबंध नहीं सुधर सके।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी भारत को हुक्म नहीं दे सकता। यूरोपीय संघ के राजदूतों ने यहां जो कहा, क्या वे भारत को भी कह सकते हैं?’’ उन्होंने कहा कि वे इसलिए ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन पहले मैं तय करूंगा कि मेरे लोगों के लिए क्या अच्छा है और मैं अन्य लोगों की ओर देखूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इमरान खान अमेरिका के खिलाफ नहीं हैं, और मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि हम समान संबंध चाहते हैं।
अन्य न्यूज़