Prabhasakshi Exclusive: Turkey-Syria Border पर तनाव क्यों देखा जा रहा है? क्यों एक दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं लोग?

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीरियाई सीमावर्ती शहर अफरीन सबसे ज्यादा हिंसक झड़पों का स्थल था, जहां सशस्त्र प्रदर्शनकारियों और तुर्की के सैनिकों के बीच गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि तुर्की को सीरिया की सीमा बंद करने पर क्यों मजबूर होना पड़ा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दरअसल तुर्की में रह रहे सीरियाई मूल के लोगों के खिलाफ हिंसा की घटना हुई जिससे सीरिया में लोग भड़क गये। उन्होंने कहा कि सीरिया के लोगों द्वारा सीमा पर हिंसक प्रतिक्रिया को देखते हुए तुर्की के सैनिकों ने गोलीबारी की जिससे तनाव बढ़ गया। उन्होंने कहा कि इसके बाद तुर्की ने उत्तर-पश्चिम सीरिया में अपनी मुख्य सीमा बंद कर दी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालात को देखते हुए तुर्की में पुलिस ने देश भर में सीरियाई समुदाय को निशाना बनाने वाले हमलों में शामिल सैंकड़ों लोगों को हिरासत में लिया। उन्होंने कहा कि सीरियाई लोगों की संपत्तियों और वाहनों को केंद्रीय शहर काइसेरी में तोड़ दिया गया और आग लगा दी गई। उन्होंने कहा कि दरअसल ये हंगामा सोशल मीडिया की उन रिपोर्टों से भड़का कि एक सीरियाई व्यक्ति ने एक महिला रिश्तेदार के साथ यौन दुर्व्यवहार किया था। उन्होंने कहा कि तुर्की की एमआईटी खुफिया एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि देखते देखते हिंसा गाजियांटेप, कोन्या, बर्सा और इस्तांबुल जिले के प्रांतों में फैल गई। उन्होंने कहा कि इसके बाद सैंकड़ों नाराज सीरियाई लोग विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर-पश्चिमी सीरिया के कई शहरों में सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कहा कि यह ऐसा क्षेत्र है जहां तुर्की ने हजारों सैनिकों को रखा है और इसे एक प्रभाव क्षेत्र बना लिया है। उन्होंने कहा कि तुर्की के इस कदम ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को यहां पर नियंत्रण हासिल करने से रोक दिया है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीरियाई सीमावर्ती शहर अफरीन सबसे ज्यादा हिंसक झड़पों का स्थल था, जहां सशस्त्र प्रदर्शनकारियों और तुर्की के सैनिकों के बीच गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि अन्य जगहों पर झड़पें और सशस्त्र संघर्ष हुए, कई कस्बों में नागरिकों ने तुर्की के सैनिकों के काफिलों पर पथराव किया और कुछ कार्यालयों पर तुर्की का झंडा फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि कई तुर्की अधिकारियों ने सीरिया में अशांति को "उकसावे" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि एक भाषण में तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने आतंकवादी संगठनों से जुड़े समूहों पर "अराजकता योजना" का आरोप लगाया और हाल की घटनाओं के पीछे "गंदे हाथों" को उजागर करने की कसम खाई। एर्दोगन ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा, "हम जानते हैं कि आतंकवादी संगठनों के साथ आयोजित इन खेलों में कौन खेल रहा है।'' उन्होंने कहा कि न तो हम, न ही हमारे सीरियाई भाई, इस धूर्त जाल में फंसेंगे... हम नस्लवादी बर्बरता के आगे नहीं झुकेंगे।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एर्दोगन ने कहा कि 670,000 से अधिक लोग उत्तरी सीरिया के इलाकों में लौट आए हैं, जहां तुर्की पिछले एक दशक से सुरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि शरणार्थी मुद्दे को तुर्की की आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप मानवीय और नैतिक रूप से हल करने का भरोसा एर्दोगन ने दिलाया है। उन्होंने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि तुर्की 3 मिलियन से अधिक सीरियाई युद्ध शरणार्थियों की मेजबानी कर रहा है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एर्दोगन ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने में मदद के लिए असद के साथ बैठक संभव है। उन्होंने कहा कि 2011 के सीरियाई गृह युद्ध के बाद तुर्की ने सीरिया के साथ संबंध तोड़ दिए थे और असद को सत्ता से बाहर करने के इच्छुक विद्रोहियों का समर्थन किया था।

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