Prabhasakshi Exclusive: Netanyahu ने Israel की War Strategy में जो बदलाव किये हैं उससे क्या बड़ा असर पड़ने वाला है?

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री इस सप्ताह इसलिए भी चर्चा में रहे क्योंकि उन्होंने आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए अपने रक्षा मंत्री याव गैलेंट को पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि उनके इस फैसले ने कई सवालों को जन्म दिया है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि इजराइल लगातार गाजा पर हमला किये जा रहा है दूसरी ओर ईरान भी इजराइल पर पलटवार करने की तैयारी कर रहा है। आखिर यह संघर्ष कहां जाकर रुकेगा? इसके अलावा हम यह भी जानना चाहते हैं कि अचानक ही इजराइली प्रधानमंत्री ने अपने रक्षा मंत्री को क्यों बर्खास्त कर दिया? क्या इससे इजराइली रक्षा बलों की तैयारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इजरायली बलों ने गाजा पट्टी पर बमबारी तेज कर दी और अधिक लोगों को वो इलाका खाली करने का आदेश दिया है जिससे उत्तरी गाजा में विस्थापन की एक नई लहर पैदा हो गई। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के फिलिस्तीनियों को डर है कि वे अगर बाहर गये तो वापस नहीं लौट पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बीच, फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि गाजा शहर में शाती शरणार्थी शिविर में विस्थापित परिवारों के एक स्कूल पर इजरायली हवाई हमले में कम से कम 10 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि इजराइल हमास के पूर्ण सफाये तक रुकने वाला नहीं है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि फ़िलिस्तीनी अधिकारियों का कहना है कि इज़राइल "जातीय सफ़ाए" का अभियान चला रहा है। दूसरी ओर इज़रायली सेना का कहना है कि उसे जबालिया को खाली करने और पास के बेत लाहिया को साफ़ करना शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा ताकि हमास के आतंकवादियों से मुकाबला किया जा सके। इजराइल का मानना है कि हमास के आतंकी इस क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने कहा कि गाजा में कितना नुकसान हुआ है इसका आकलन इसी से लग सकता है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि गाजा युद्ध में मारे गए लोगों में से लगभग 70% महिलाएं और बच्चे थे। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने इसे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का व्यवस्थित उल्लंघन बताया है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री इस सप्ताह इसलिए भी चर्चा में रहे क्योंकि उन्होंने आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए अपने रक्षा मंत्री याव गैलेंट को पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि उनके इस फैसले ने कई सवालों को जन्म दिया है क्योंकि पूर्व मंत्री ईरान-इज़राइल युद्ध के संबंध में कई महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने कहा कि साथ ही, यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब इजराइल कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इज़राइल के पीएम नेतन्याहू ने गैलेंट को हटाने का कारण 'विश्वास का संकट' बताया, जो 'धीरे-धीरे गहराता जा रहा था।' नेतन्याहू ने कहा, 'युद्ध के बीच, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के बीच पूर्ण विश्वास की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू के साथ विवादों और भर्ती कानून पर हालिया तनाव के बाद, यह स्पष्ट था कि गैलेंट को बर्खास्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ समय का सवाल था और आखिरकार वह समय आ ही गया।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नेतन्याहू के साथ गैलेंट का तनाव पिछले साल के मध्य में तब बढ़ गया था, जब नेतन्याहू द्वारा सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों पर अंकुश लगाने के अभियान के कारण इज़राइल विभाजित हो गया था। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू के उस कदम के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसे आलोचकों ने लोकतंत्र पर हमले के रूप में देखा था। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे विरोध बढ़ता गया, गैलेंट ने नेतन्याहू की योजना के खिलाफ बयान देते हुए कहा था कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। नेतन्याहू ने तभी उन्हें बर्खास्त करने का पहला प्रयास किया था लेकिन यह कदम उन्होंने तब त्याग दिया जब सैंकड़ों हजारों इजरायलियों ने रक्षा मंत्री के समर्थन में प्रदर्शन किये थे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा गैलेंट को पद से हटाने का एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि नेतन्याहू को जीत करीब दिख रही है और ऐसे में वह सफलता का श्रेय बांटना नहीं चाहते होंगे। उन्होंने कहा कि एक और संभावित कारण यह माना जा रहा है कि इजराइली प्रधानमंत्री ने अपनी सैन्य रणनीति में बड़ा बदलाव कर दिया है जिसके माध्यम से वह जल्द से जल्द हर मोर्चे पर जीत हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री की सैन्य रणनीतियों पर गैलेंट हमेशा सवाल उठाते रहे हैं इसलिए संभवतः नेतन्याहू को लगा कि गैलेंट को हटा कर ही अपनी नीतियों को आगे बढ़ाया जा सकता है।

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