क्या पहले ही अखुंदजादा की हो चुकी थी मौत ? तालिबान ने फिर क्यों छुपाई सच्चाई

अमेरिकी ड्रोन हमले में अख्तूर मंसूर के मारे जाने के बाद साल 2016 में अखुंदजादा को तालिबान का प्रमुख नियुक्त कर दिया गया था। 15 अगस्त, 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया तो कयास लगाए जाने लगे कि अखुंदजादा सामने आकर सरकार के गठन का ऐलान करेंगे।
काबुल। अफगानिस्तान के काबुल में तालिबान की एंट्री के साथ ही सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा का नाम सामने आने लगा। तालिबान इसी नाम के सहारे आतंक का अपना साम्राज्य खड़ा कर रहा था लेकिन क्या अखुंदजादा की पहले ही मौत हो चुकी थी ? क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद भी अखुंदजादा दिखाई नहीं दिया और इंटरनेट पर उसकी जो तस्वीर है वो काफी ज्यादा पुरानी है।
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गिर गई अमेरिकी समर्थित सरकार
साल 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान के राज के बाद वहां पर अमेरिकी प्रशासन समर्थित सरकार का गठन हुआ था। लेकिन अमेरिका की वापसी के साथ ही सरकार भी गिर गई और वापस से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया।
अमेरिकी ड्रोन हमले में अख्तूर मंसूर के मारे जाने के बाद साल 2016 में अखुंदजादा को तालिबान का प्रमुख नियुक्त कर दिया गया था। 15 अगस्त, 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया तो कयास लगाए जाने लगे कि अखुंदजादा सामने आकर सरकार के गठन का ऐलान करेंगे। लेकिन किसी ने भी अखुंदजादा को नहीं देखा और फिर बाद में अखुंदजादा की मौत की खबर सामने आई। इसमें कितनी सच्चाई है यह बताया नहीं जा सकता है।
पहले तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि अखुंदजादा मारा गया है तो कह रहा था कि वो जेल में कैद है लेकिन अंतत: तालिबान ने यह स्वीकार किया कि अखुंदजादा नहीं रहा। माना जा रहा है कि साल 2020 में अखुंदजादा पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा समर्थित आत्मघाती हमले में मारा गया था।
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अखुंदजादा की मौत के बाद भी तालिबान ने उसके नाम का इस्तेमाल किया। फिर भी अफगानिस्तान की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। अफगानिस्तान में तालिबान के राज स्थापित होने के बाद से कई सरकारी कार्यालय अभी तक खुले ही नहीं।
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