Vishwakhabram: Mahrang Baloch की गिरफ्तारी कहीं Balochistan में Pakistan की आखिरी गलती न बन जाये

हम आपको बता दें कि महरंग बलूच समेत लगभग 150 कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई है और पाकिस्तान में मानवाधिकारों के हनन तथा बलूच आवाज़ों के दमन के बारे में चिंताएँ विश्व स्तर पर देखी जा रही हैं।
बलूचिस्तान मामले में पाकिस्तान शुरू से गलतियां करता रहा और इलाके की जनता उसे सहती रही। लेकिन अब बलूच जनता के सब्र का बांध टूट चुका है और कल को बलूचिस्तान यदि पाकिस्तान से अलग हो जाये तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा। बलूचिस्तान के हालात पर गौर करें तो संघर्ष से भरा यह क्षेत्र पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बढ़ते विद्रोह और प्रतिरोध आंदोलन के कारण बारूद का ढेर बनता दिख रहा है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी इस क्षेत्र को स्वतंत्र कराने पर आमादा है। लेकिन पाकिस्तानी सेना और पुलिस ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और इसके नेताओं के खिलाफ जो सघन अभियान छेड़ रखा है उससे इनके लिए मुश्किलें भी खड़ी हो रही हैं। लेकिन बलूचों को लग रहा है कि जैसा गुलामी और गरीबी का जीवन उनके पुरखों ने गुजारा वैसा जीवन वह और उनकी आने वाली पीढ़ी गुजारने के लिए मजबूर नहीं हों इसके लिए अभी कार्रवाई करनी होगी। इसके लिए बलूच विद्रोही पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ाई में किसी भी हद तक जाने को तैयार नजर आ रहे हैं। इस बीच पाकिस्तान पुलिस ने एक ऐसी गलती कर दी है जिससे बलूचिस्तान में विद्रोह की आग और भड़क गयी है। दरअसल पाकिस्तान पुलिस ने हाल ही में एक प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता और बलूच आकांक्षाओं की प्रतीक महरंग बलूच को हिरासत में ले लिया है जिससे अशांति और अधिक बढ़ गयी है। टाइम पत्रिका द्वारा महरंग को 100 उभरते नेताओं में शामिल किया जा चुका है।
हम आपको बता दें कि महरंग बलूच समेत लगभग 150 कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई है और पाकिस्तान में मानवाधिकारों के हनन तथा बलूच आवाज़ों के दमन के बारे में चिंताएँ विश्व स्तर पर देखी जा रही हैं। हम आपको बता दें कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में एक विरोध प्रदर्शन के बाद आतंकवाद, देशद्रोह और हत्या के आरोपों के तहत महरंग को गिरफ़्तार किया है। उल्लेखनीय है कि बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) की नेता और एक मेडिकल डॉक्टर महरंग बलूच, बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने वाले लोगों और पुलिस तथा सेना की ओर से की जाने वाली हत्याओं के खिलाफ मुखर रही हैं।
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हम आपको यह भी बता दें कि महरंग बलूच की बहन इकरा बलूच ने उनकी गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए सोशल मीडिया पर कहा है कि जेल में उनकी यात्रा उस समय की याद दिलाती है जब उन्होंने 18 साल पहले अपने पिता को सलाखों के पीछे देखा था। उन्होंने लिखा, "उस समय, महरंग हमारे साथ थी। आज, वह नहीं है।" हम आपको बता दें कि उनके पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव एक राष्ट्रवादी नेता थे, जिन्हें 2009 में जबरन गायब कर दिया गया था और उनका शव तीन साल बाद लासबेला जिले में मिला था। तब से महरंग ने जबरन गायब किए जाने और न्यायेतर हत्याओं के खिलाफ़ लड़ने का फ़ैसला किया था। अब 32 वर्ष की हो चुकीं महरंग तमाम बाधाओं के बावजूद सक्रियता से अपना मिशन जारी रखे हुए हैं। उन्हें मिलने वाली मौत की धमकियां, उन पर लगने वाले यात्रा प्रतिबंध और हिरासत आदि उन्हें रोक नहीं पा रही हैं। हम आपको याद दिला दें कि दिसंबर 2023 में उन्होंने जबरन गायब किए जाने वाले लोगों के मामले में पुलिस के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग करते हुए इस्लामाबाद में एक बड़े मार्च को आयोजित करने में भी मदद की थी। महरंग पर तब भी पुलिस ने जुल्म किये थे और अब भी उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। महरंग के परिवार ने यह भी आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने उन्हें जेल में उनसे मिलने या भोजन पहुँचाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है।
हम आपको बता दें कि बलूचिस्तान में चल रहे मानवाधिकार हनन के कारण कई लोग कट्टरपंथी बन गए हैं। वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स की रिपोर्ट है कि 2009 से अब तक लगभग 1,500 लापता व्यक्ति मृत पाए गए हैं, जिन्हें अक्सर क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया, जबकि 6,000 अभी भी लापता बताये जाते हैं। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि न्यायेतर हत्याएँ बढ़ रही हैं, लेकिन सेना इससे इंकार करती है। इसीलिए पाकिस्तान कई वर्षों से बलूचिस्तान में अलगाववादी विद्रोह से जूझ रहा है, जिसमें आतंकवादी समूह सुरक्षा बलों और विदेशी नागरिकों को निशाना बनाते हैं।
दूसरी ओर, महरंग बलूच की गिरफ्तारी से बलूचिस्तान में पाकिस्तान की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है। अंतरराष्ट्रीय समूह भी पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं इसीलिए मौके की नजाकत को देखते हुए अगस्त 2023 से जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि बलूचिस्तान प्रांत वर्तमान में एक "अवैध सरकार" के तहत है। इमरान खान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा है कि बलूचिस्तान पर थोपी गई एक अवैध सरकार किसी भी मुद्दे का समाधान कैसे कर सकती है? उन्होंने कहा है कि एक पाकिस्तानी और एक पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में, मैं बलूचिस्तान की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हूं, जहाँ आतंकवाद में तेज वृद्धि हुई है। इमरान खान ने कहा, ‘‘शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाना, राज्य द्वारा हिंसा और गैरकानूनी गिरफ्तारियां समान रूप से बहुत परेशान करने वाली हैं।"
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान ने कहा है कि बलूचिस्तान में स्थिति तब तक नहीं सुधर सकती जब तक कि वास्तविक जनप्रतिनिधियों को मुख्यधारा में नहीं लाया जाता, उनकी आवाज को ईमानदारी से नहीं सुना जाता और क्षेत्र का भाग्य लोगों की इच्छा के अनुसार तय नहीं किया जाता। उन्होंने चेतावनी दी है कि केवल बल से इस मुद्दे को कभी हल नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे संकट और गहरा होगा और अस्थिरता और बढ़ेगी। इमरान खान ने कहा है कि वर्ष 2024 में धोखाधड़ी वाले चुनावों के माध्यम से थोपी गई कठपुतली सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है, इसकी विदेश नीति पूरी तरह से विनाशकारी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अफगानिस्तान के साथ बातचीत करके आतंकवाद से निपट सकते हैं। हम अफगानिस्तान के साथ 2,200 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और शांतिपूर्ण बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। हमारे (पीटीआई के) कार्यकाल के दौरान, उस समय अफगान सरकार के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, हमने उनके साथ सीधी बातचीत की थी।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने तीन वर्षों में जो नीतियां लागू कीं, उनसे आतंकवाद का सफलतापूर्वक सफाया हुआ। हालांकि, हमारे कार्यकाल के बाद, बाइडन (अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन) की नीति को अपनाने से कई मुद्दे सामने आए और आज, जनता बढ़ते आतंकवाद के रूप में इसका खामियाजा भुगत रही है।’’ इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने अभी तक अफगानिस्तान के साथ कोई गंभीर कूटनीतिक पहल नहीं की है।
बहरहाल, पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे गरीब प्रांत बलूचिस्तान अब जो संकल्प ले चुका है उसे सिद्ध करने के लिए वहां के लोग जो अभियान चला रहे हैं उसमें उन्हें कितनी कामयाबी मिलती है इस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। बलूचिस्तान में इस समय महिलाओं ने जिस तरह विरोध प्रदर्शन की आवाज बुलंद कर रखी है वह भी दर्शा रहा है कि दमन का जमाना जा चुका है और बलूचिस्तान में स्थायी अमन लाने के लिए जनता कमर कस चुकी है।
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