POTUS Part 5 | रिपब्लिकन या डेमोक्रेट: भारत के लिए कौन बेहतर | Teh Tak
रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने असैनिक परमाणु सहयोग समझौते के ज़रिए दोनों देशों के रिश्तों को एक नई दिशा दी। लेकिन ये डेमोक्रेटिक ओबामा थे जो अपने कार्यकाल में दो बार भारत की यात्रा करने वाले प्रथम अमेरिकी राष्ट्रपति बने, जिनमें से एक मौका 2015 के गणतंत्र दिवस समारोहों का था।
अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी एक पुरातनपंथी राजनीतिक दल है। इस पार्टी से इस बार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उम्मीदवार हैं और वो अगले चार सालों तक राष्ट्रपति बनने की कोशिश में लगे हुए हैं। अमेरिका के ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में इस पार्टी का आधार मजबूत दिखाई पड़ता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश, रोनाल्ड रीगन और रिचर्ड निक्सन रिपब्लिकन पार्टी से थे। अमेरिका की दूसरी प्रमुख पार्टी डेमोक्रेट्स एक लिबरल पार्टी है और इस साल होने वाले चुनाव में कमला हैरिस इस पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार है। बराक ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते हुए आठ सालों तक वो देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। मानवाधिकारों और जलवायु परिवर्तन पर लंबे समय से डेमोक्रेटिक पार्टी के सख्त रवैये के मद्देनज़र भारत में बहुतों के मन में ये दुविधा हो सकती है कि भारत के लिए डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति सही रहेगा या रिपब्लिकन।
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रिपब्लिकन निक्सन पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आए थे
इस बात को याद करना उपयोगी रहेगा कि 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान का समर्थन एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने किया था, और उन्होंने भारत के खिलाफ युद्ध में चीन को शामिल करने के लिए गुप्त प्रयास भी किए थे। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को रिपब्लिकन राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने मजबूत किया था, जब अफगानिस्तान से सोवियत संघ को भगाने के वास्ते ‘उग्रवादी जिहाद’ के लिए उन्होंने आईएसआई के ज़रिए समर्थन और फंड की व्यवस्था की थी। भारत को पहले पंजाब में और फिर जम्मू कश्मीर में आईएसआई प्रायोजित आतंकवाद का सामना करना पड़ा। दूसरी तरह डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 1999 के कारगिल युद्ध में भारत का समर्थन किया, और 2000 में भारत की ऐतिहासिक यात्रा कर अमेरिका और भारत के बीच नए संबंधों की नींव रखी।
जॉर्ज बुश ने परमाणु सहयोग समझौते से दी रिश्तों को नई दिशा
रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने असैनिक परमाणु सहयोग समझौते के ज़रिए दोनों देशों के रिश्तों को एक नई दिशा दी। लेकिन ये डेमोक्रेटिक ओबामा थे जो अपने कार्यकाल में दो बार भारत की यात्रा करने वाले प्रथम अमेरिकी राष्ट्रपति बने, जिनमें से एक मौका 2015 के गणतंत्र दिवस समारोहों का था। उन्होंने संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के भारत के दावे का समर्थन किया था और भारत को एक ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ करार दिया था। जबकि व्यापार मामलों में भारत के साथ असंगत व्यवहार करने और उसे तरजीही दर्जे (जीएसपी) के फायदों से वंचित करने का काम रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का है, हालांकि उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों के महत्व पर ज़ोर देने और भारत को अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी दिए जाने की अनुमति देने जैसे काम भी किए हैं।
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भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों पर क्याअसर
स्पष्टतया अधिक महत्व इस बात का है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को किस भूराजनैतिक संदर्भ में रखा जाता है। शीत युद्ध के बाद से अमेरिका से भारत के रिश्ते गर्मजोशी से भरे होना शुरू हो गए थे, चाहे वहां रिपब्लिकन राष्ट्रपति बने या डेमोक्रेट। ऐसे ही, वहां चाहे डोनाल्ड ट्रंप बरकरार रहे या फिर उनकी जगह कमला हैरिस चुनकर आ जाएं, भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते कमोवेश वैसे ही रहने हैं।
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