NASA में भारतीय महिला ने बिखेरा जलवा, महिला दिवस पर पढ़ें स्वाति मोहन की कहानी
भारतवंशी एयरोस्पेस इंजीनियर स्वाति मोहन का नासा में आने का रास्ता उस वक्त खुल गया था जब उन्होंने बचपन में स्टार ट्रेक की पहली कड़ी देखी थी।अंतरिक्ष के लिए स्वाति की जिज्ञासा बचपन में तब से शुरू हो गयी थी जब वह लोकप्रिय टीवी शो स्टार ट्रेक देखा करती थीं।
‘‘Touchdown confirmed!’’ (सफलतापूर्वक उतर गया) कुछ ऐसे बोलते हुए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के नियंत्रण कक्ष में भारतवंशी एयरोस्पेस इंजीनियर स्वाति मोहन की आवाज गूंज उठी। 18 फरवरी 2021 का वो ऐतिहासिक पल जब नासा का रोवर मंगल की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा तो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के नियंत्रण कक्ष में जश्न की आवाज गूंज उठी। आपको बता दें कि यह ऐतिहासिक लैंडिंग अब तक का किसी अन्य दुनिया में भेजा गया सबसे उन्नत एस्ट्रोबायोलॉजी रोवर साबित हो गया है। जानकारी के मुताबिक, एक साल की उम्र में भारत से अमेरिका पहुंचीं स्वाति मोहन ने रोवर को ‘लाल ग्रह’ पर उतारने में एक अहम भूमिका निभाई है।स्वाति ही वह वैज्ञानिक हैं जिन्होंने ‘मार्स 2020’ मिशन के दिशा-निर्देशन और नियंत्रण अभियान का नेतृत्व किया। उन्होंने रोवर को उतारने में उड़ान नियंत्रक (फ्लाइट कंट्रोलर) की भूमिका निभाई। स्वाति ने ही लाल ग्रह के वायुमंडल को पार करते हुए मंगल की सतह पर रोवर के सफलतापूर्वक उतरने की सबसे पहले घोषणा की। ‘पर्सवियरन्स’जैसे ही लाल ग्रह की सतह पर उतरा, स्वाति ने घोषणा की, ‘‘सफलतापूर्वक उतर गया।’’
10 days left!! #CountdownToMars pic.twitter.com/m4J8ZN5if2
— Swati Mohan (@DrSwatiMohan) February 8, 2021
इसे भी पढ़ें: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस: भारतीय नारी कब तक रहेगी बेचारी?
कौन है स्वाति मोहन?
स्वाति मोहन जब एक साल की थीं तभी उनका परिवार भारत से अमेरिका आ गया था। नॉर्दर्न वर्जीनिया और वाशिंगटन डीसी में पली बढ़ीं स्वाति ने यांत्रिक और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वैमानिकी एवं अंतरिक्षयानिकी में एमएस तथा पीएचडी की है।
बचपन में ‘स्टार ट्रेक’ देखने के बाद NASA पहुंचने की मिली थी प्रेरणा
भारतवंशी एयरोस्पेस इंजीनियर स्वाति मोहन का नासा में आने का रास्ता उस वक्त खुल गया था जब उन्होंने बचपन में ‘स्टार ट्रेक’की पहली कड़ी देखी थी।अंतरिक्ष के लिए स्वाति की जिज्ञासा बचपन में तब से शुरू हो गयी थी जब वह लोकप्रिय टीवी शो ‘स्टार ट्रेक’ देखा करती थीं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बातचीत के दौरान स्वाति ने उन्हें बताया कि कैसे उनका अंतरिक्ष के अद्भुत दृश्यों ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा था और तब से ही वह अंतरिक्ष के अन्वेषण के लक्ष्य के इरादे से काम करने लगी थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी की तारीफ
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एतिहासिक रोवर की सफलता के लिए नासा टीम को बधाई दी। उन्होंने भारतीय-अमेरिकी एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ स्वाति मोहन की तारीफ करते हुए कहा कि अब भारतीय-अमेरिकी "देश पर कब्जा" कर रहे हैं। बाइडेन ने मोहन और अभियान से जुड़े नासा के अन्य वैज्ञानिकों की सराहना की। बाइडन ने कहा, ‘‘आपने लाखें बच्चों, अमेरिकी युवाओं के सपनों को पूरा किया। आपकी टीम ने जो काम किया, उससे आपने अमेरिकी लोगों का भरोसा बढ़ाया।
स्वाति का ऐतिहासिक पल!
रोवर का मंगल की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने पर स्वाति ने कहा, ‘‘मंगल की सतह पर उतरने के दौरान सात मिनट का समय बहुत ही जोखिम भरा था। ’’ स्वाति ने कहा, ‘‘टीम के अभियान की कमान संभालने के नाते, मैं जीएन ऐंड सी उप प्रणाली और शेष परियोजना के बीच संवाद की कड़ी थी।’’स्वाति ने बताया, ‘‘जैसे-जैसे दिन करीब आ रहे थे हम वाकई बहुत घबराहट महसूस कर रहे थे। अभियान के अंतिम सात मिनट में तो धड़कनें और बढ़ गयी थी। मंगल की सतह पर रोवर के उतरने की पहली तस्वीरें मिलने के बाद जैसे लगा कि कोई सपना पूरा हो गया।’’
इसे भी पढ़ें: पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के बावजूद नारी अभी भी प्रताड़ित है
पूरी दुनिया में बज रहा भारतवंशी एयरोस्पेस इंजीनियर स्वाति मोहन का डंका
एतिहासिक रोवर की लैडिंग में अहम भूमिका निभाने वाली स्वाति मोहन की आज दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है। आपको बता दें कि नासा का छह पहिए वाला रोवर मंगल ग्रह से ऐसी चट्टानें लेकर आएगा, जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकता है कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर जल मौजूद था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है। ‘पर्सवियरन्स’ नासा द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा रोवर है। 1970 के दशक के बाद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह नौवां मंगल अभियान है।
अन्य न्यूज़