अरुणाचल में जगहों के नाम रखने का अधिकारः चीन

[email protected] । Apr 21 2017 4:41PM

चीन ने कहा, ''''जातीय मोमबा और तिब्बती चीनियों द्वारा प्रासंगिक नामों का इस्तेमाल किया जाता रहा है जो यहां पीढ़ियों से रहते हैं। यह एक तथ्य है जिसे बदला नहीं जा सकता है।''''

बीजिंग। चीन ने आज कहा कि अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों को मानकीकृत आधिकारिक नाम देना उसका ‘‘कानूनी अधिकार’’ है जबकि सरकारी मीडिया ने चेताया कि अगर भारत दलाई लामा कार्ड खेलना जारी रखता है तो उसे ‘‘बहुत भारी’’ कीमत चुकानी होगी। भारत के अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न अंग बताने वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने यहां कहा ‘‘भारत-चीन सीमा के पूर्वी हिस्से पर चीन की स्थिति स्पष्ट और एक समान है।’’

उन्होंने कहा ''जातीय मोमबा और तिब्बती चीनियों द्वारा प्रासंगिक नामों का इस्तेमाल किया जाता रहा है जो यहां पीढ़ियों से रहते हैं। यह एक तथ्य है जिसे बदला नहीं जा सकता है। इन नामों को मानकीकृत करना और उनका प्रसार करना हमारे कानूनी अधिकार पर आधारित सही तरीका है।’’ लु ने भारत के इस आरोप का भी विरोध किया कि चीन क्षेत्र पर अपने क्षेत्रीय दावे को वैध करने के लिए नामों को गढ़ रहा है। भारत ने अरुणाचल प्रदेश के छह इलाकों को चीनी नाम देने के लिए कल चीन की आलोचना करते हुए कहा था कि पड़ोसियों के शहरों को गढ़े हुए नाम देने से अवैध क्षेत्रीय दावे वैध नहीं हो जाते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने यह भी कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है।

हालांकि लु ने केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू की इस टिप्प्णी पर प्रतिक्रिया नहीं दी कि अरुणाचल प्रदेश में चुनी हुई सरकार है। इससे पहले, ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया था कि अगर भारत ने दलाई लामा का ‘तुच्छ खेल’ खेलना जारी रखा तो उसे ‘बहुत भारी’ कीमत चुकानी होगी और अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों को बीजिंग द्वारा नाम देने पर नई दिल्ली की प्रतिक्रिया को ‘‘बेतुका’’ कहकर खारिज कर दिया था।

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