रिफॉर्म यूके पार्टी का खुला खाता, 8 प्रयासों के बाद अब ब्रिटेन की संसद में निगेल फराज की होगी एंट्री

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अभिनय आकाश । Jul 5 2024 1:01PM

3 अप्रैल, 1964 को इंग्लैंड के फ़ार्नबोरो केंट में जन्मे फ़राज़ ने दक्षिण लंदन के निजी स्कूल डुलविच कॉलेज से पढ़ाई की है। साथी छात्र उन्हें विवादास्पद बयानों से छात्रों और शिक्षकों को भड़काने वाले छात्र के रूप में भी याद करते हैं।

ब्रिटेन में चार जुलाई को हुए आम चुनाव की अभी तक मतगणना में लेबर पार्टी ने बहुमत के लिए पर्याप्त सीटों पर जीत हासिल कर ली है। वहीं, निवर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने हार स्वीकार करते हुए लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर को बधाई दी है। अब तक सामने आए नतीजों में, रिफॉर्म यूके पार्टी के निगेल फराज ने अपनी पहली संसदीय सीट जीती। इसके बाद उन्होंने कहा, हमारी पार्टी ने इस चुनाव में जो हासिल किया वह बेहद खास है। कई सीटों पर हम चुनाव नहीं जीते, लेकिन दूसरे नंबर पर रहे।

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फराज का शुरुआती जीवन

3 अप्रैल, 1964 को इंग्लैंड के फ़ार्नबोरो केंट में जन्मे फ़राज़ ने दक्षिण लंदन के निजी स्कूल डुलविच कॉलेज से पढ़ाई की है। साथी छात्र उन्हें विवादास्पद बयानों से छात्रों और शिक्षकों को भड़काने वाले छात्र के रूप में भी याद करते हैं। लंदन स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में बताया गया कि जब एक शिक्षक ने प्रीफेक्ट के रूप में उनकी नियुक्ति पर आपत्ति जताई, तो उनकी चिंताओं को उप प्रमुख ने खारिज कर दिया। 18 साल की उम्र में उन्होंने विश्वविद्यालय न जाने का फैसला किया और 1982 में लंदन मेटल एक्सचेंज में एक व्यापारी बन गए। उनकी दो बार शादी हो चुकी है और उनके चार बच्चे हैं। उनका एक समृद्ध पारिवारिक इतिहास है, जिसमें उनके दादा भी शामिल हैं। फराज के दादा ने प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था और लड़ाई लड़तते हुए घायल भी हुए थे।

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राजनीति सफर

फराज का राजनीतिक सफर उतार चढ़ाव वाला रहा है। एक कंजर्वेटिव के रूप में सफर शुरू करने वाले फराज ने 1992 में मास्ट्रिच संधि पर पार्टी छोड़ दी और यूके इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) की सह-स्थापना की। वह पहली बार 1994 में ईस्टले उप-चुनाव में ब्रिटेन की संसद के लिए रेस में हिस्सा लिया लेकिन अपने प्रयास में असफल रहे। इसके बाद वह 1999 में दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड के लिए एमईपी के रूप में यूरोपीय संसद के लिए चुने गए और 2020 तक वहां रहे। एमईपी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वह ब्रिटिश संप्रभुता की वकालत करने और यूरोपीय संघ की नीतियों की आलोचना करने के लिए यूरोपीय संसद में एक प्रमुख आवाज बन गए। 2010 में उन्होंने तब ख्याति अर्जित की जब उन्होंने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष हरमन वान रोमपुय पर गंभीर आरोप लगाया। 2006 में वह यूकेआईपी पार्टी के नेता भी बने और विवादास्पद बयान देकर अपनी पहचान बनाई। 2010 में उनका राजनीतिक करियर लगभग समाप्त हो गया जब उनके विमान का एक्सीडेंट हो गया।  उल्लेखनीय रूप से इस दौरान फराज को काफी चोटें आईं। हालांकि टूटी पसलियों और फेफड़े में छेद होने के बावजूद जीवित रहे।

यूरोपीय चुनावों में यूकेआईपी को सफलता मिली

2014 के यूरोपीय चुनावों में यूकेआईपी को सफलता मिली। इसने 24 सीटें और 27 प्रतिशत लोकप्रिय वोट जीते। तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को ब्रिटेन की यूरोपीय संघ की सदस्यता पर जनमत संग्रह की मांग के आगे झुकने के लिए मजबूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

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