Pahalgam Attack का जिम्मेदार TRF क्यों बना? कैसे करता है ऑपरेट, अब तक कौन-कौन से हमले किए, जानें सबकुछ

Pahalgam
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अभिनय आकाश । Apr 23 2025 12:24PM

टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 2019 में इसे बनाया गया था। यह पहले ऑनलाइन यूनिट के रूप में काम करता था, लेकिन जल्द ही खुद को एक ग्राउंड ग्रुप में तब्दील कर लिया। इसका मकसद भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना था। टीआरएफ आज जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी खतरा है। भारत सरकार ने 2023 में टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया।

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ है। पहलगाम से पांच किलोमीटर दूर पर्यटकों पर अटैक हुआ। बीते कुछ सालों में पर्यटकों पर हुआ ये सबसे दुर्दांत हमला माना जा रहा है। इस हमले में बच गए कुछ लोगों के वीडियो सामने आए हैं जो बता रहे हैं कि लोगों को बिल्कुल करीब से जाकर गोली मारी। कई ने तो नाम पूछ पूछकर गोलियां चलाई हैं। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और ट्रंप से लेकर पुतिन तक ने इस हमले की निंदा की है। साथ की आतंकियों पर कार्रवाई की बात कही है। इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है। टीआरएफ लश्कर ए तैयबा की स्थानीय शाखा है जो बीते कुछ सालों से जम्मू कश्मीर में हमले करती आ रही है। इस संगठन को 2023 में ही भारत सरकार ने आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। क्या है टीआरएफ की कहानी? इससे पहले इस संगठन ने कहां कहां हमले किए और कैसे 2019 धारा 370 हटाए जाने के बाद ये अस्तित्व में आया इसके बारे में बताते हैं। 

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टीआरएफ का गठन कब हुआ था ? 

टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 2019 में इसे बनाया गया था। यह पहले ऑनलाइन यूनिट के रूप में काम करता था, लेकिन जल्द ही खुद को एक ग्राउंड ग्रुप में तब्दील कर लिया। इसका मकसद भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना था। टीआरएफ आज जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी खतरा है। भारत सरकार ने 2023 में टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया।  इस फ्रंट में आतंकवादी साजिद जट्ट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी प्रमुख हैं, ये सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं। अपनी स्थापना के बाद से ही लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का संगठन माना जाने वाला टीआरएफ घाटी में पर्यटकों, अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों और खासकर प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाकर किए गए कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। 

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टीआरएफ ऑपरेट कैसे करता है

टीआरएफ कश्मीरी पंडितों, हिंदू, सिख, कर्मचारियों और प्रवासी मजदूरों को टारगेट कर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश रचता है। पारंपरिक आतंकी संगठनों की तरह टीआरएफ में कोई फिदायीन हमलावर नहीं होता। टीआरएफ ने युवाओं का नया कैडर तैयार किया, जो सुरक्षा बलों के रडार पर नहीं हैं, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। कैडरों की बहुत कम तस्वीरें उपलब्ध हैं और वे जमीनी नेटवर्क के माध्यम से आसान टारगेट चुनते हैं। युवाओं को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने के लिए सोशल मीडिया पर मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन चलाते हैं। टीआरएफ ने सेना पर हमलों को शूट करने के लिए ग्रोपो जैसे बॉडी कैमरों का इस्तेमाल किया था। 

टीआरएफ ने कौन-कौन से हमले किए? 

अप्रैल 2020: केरन सेक्टर में हमले में 5 सैनिक शहीद हुए थे। 

30 अक्टूबर 2020: कुलगाम में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या। 

26 नवंबर 2020: श्रीनगर में सेना की 2 राष्ट्रीय राइफल्स पर हमला। 

26 फरवरी 2023: पुलवामा में कश्मीरी पंडित संजय  शर्मा की हत्या। 

20 अक्टूबर 2024: गंदेरबल में आतंकी हमला। इसमें एक डॉक्टर और 6 प्रवासी श्रमिकों की हत्या की गई। 

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