बांग्लादेश आग: दमकल कर्मी तीसरे दिन भी आग बुझाने को करते रहे मशक्कत, मृतकों की संख्या 41 पहुंची

Bangladesh Fire
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देश के मुख्य चटगांव सीपोर्ट (बंदरगाह) के पास बांग्लादेश-डच के संयुक्त उपक्रम रसायन कंटेनर डिपो में शनिवार शाम भीषण आग लग गई थी। घटना में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई घायलों की हालत नाज़ुक है।

 ढाका|  बांग्लादेशी दमकल कर्मी कंटेनर डिपो में लगी विनाशकारी आग बुझाने के लिए सोमवार को भी मशक्कत करते रहे। इस घटना में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई है जबकि करीब300 जख्मी हुए हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि चटगांव बंदरगाह में निजी कंपनी ने निर्यात किए जाने वाले कपड़ों के पास खतरनाक रसायनों को रखा हुआ था।

देश के मुख्य चटगांव सीपोर्ट (बंदरगाह) के पास बांग्लादेश-डच के संयुक्त उपक्रम रसायन कंटेनर डिपो में शनिवार शाम भीषण आग लग गई थी। घटना में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई घायलों की हालत नाज़ुक है।

अग्निशमन विभाग के प्रवक्ता अनीस-उर-रहमान ने घटना स्थल के करीब पत्रकारों से कहा, “हमारे दमकलकर्मी अब भी आग बुझाने और आग को और फैलने से रोकने के लिए काम कर रहे हैं। आग स्पष्ट रूप से रसायन के कंटेनर में लगी थी।”

टीवी पर प्रसारित फुटेज में दिख रहा है कि बंदरगाह शहर के बाहरी इलाके सीताकुंडा में स्थित बीएम कंटेनर डिपो से धुआं निकल रहा है। त्रासदी की जांच के लिए अलग-अलग समितियां गठित की गई हैं और मामले की तफ्तीश चल रही है, लेकिन अग्निशमन विभाग ने कहा कि उसकी शुरुआती जांच में सामने आया है कि डिपो में सुरक्षा उपकरण नाम मात्र के थे।। दमकल अधिकारियों ने आरोप लगाया कि कंटेनर डिपो के प्रबंधन ने बचावकर्मियों को वहां रसायन रखे होने के बारे में सूचित नहीं किया, जिससे दमकल कर्मियों सहित कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

एक दमकल अधिकारी ने कहा, “डिपो में वास्तव में कोई अग्नि सुरक्षा योजना नहीं थी।” उन्होंने कहा कि खतरनाक रसायनों से भरे कंटेनर को निर्यात किए जाने वाले कपड़ों के कंटेनर के साथ रखा गया था, जबकि रसायन से भरे कंटेनर को उनसे दूर रखना चाहिए था और अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी।

आग बुझाने के अभियान को कवर कर रहे एक पत्रकार ने फोन पर पीटीआई-से कहा कि डिपो 21 एकड़ में फैला हुआ है और यह युद्ध में तबाह हुए इलाके जैसा लग रहा है। आग लगने के 41 घंटे बाद भी कुछ कंटेनर से अब भी धुआं निकल रहा है और कुछ मेंविस्फोट भी हुआ है जिससे आसपास की इमारतों की खिड़कियों के शीशे टूट गए।

बांग्लादेश ने दमकल कर्मियों की मदद के लिए फौज को बुलाया था और सेना के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने चार कंटेनर का पता लगाया है जिनमें रसायन भरा हुआ लेकिन विस्फोट नहीं हुआ है। पुलिस और मीडिया में रविवार को आई खबरों में कहा गया था कि आग लगने और विस्फोट होने की घटना में 49 लोगों की मौत हुई है, लेकिन अधिकारियों ने मृतकों की संख्या में बदलाव किया और कहा कि घटना में 41 लोगों की मृत्यु हुई है। सेना के अधिकारी ने कहा कि उन्हें सोमवार को कोई शव नहीं मिला है और खोज अभियान जारी है।

आग लगने की घटना में करीब 300 लोग जख्मी हुए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, कुछ घायलों की हालत नाजुक है। इस बीच चटगांव जिला प्रशासन के अधिकारियों ने 22 शवों को उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया है लेकिन अन्य शव ऐसे हैं जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाई।

पुलिस की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) शाखा के एक अधिकारी ने कहा, “उनकी पहचान जानने के लिए डीएनए परीक्षण करने में कुछ वक्त लगेगा... हमें उम्मीद है कि अगले एक महीने में प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।” सीआईडी को उनकी प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए नमूने एकत्र करने का काम सौंपा गया है। वहीं लापता लोगों के रिश्तेदारों ने अपने डीएनए के नमूने देना शुरू कर दिया है। दैनिक समाचारपत्र ‘ढाका ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक चटगांव के आपराधिक जांच विभाग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) जहांगीर आलम के नेतृत्व में एक फॉरेंसिक टीम ने इस हादसे के मृतकों के डीएनए नमूनों का मिलान करने के लिए सोमवार को चटगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल (सीएमसीएच) के सामने एक बूथ स्थापित किया।

एएसपीआलम ने कहा कि अज्ञात पीड़ितों की पहचान के लिए माता-पिता, भाई-बहन या किन्हीं दो बच्चों से डीएनए नमूने एकत्र किए जा रहे हैं। सुबह होते ही अपनों की पहचान के लिए बूथ के सामने पीड़ितों के परिजनों की लंबी कतार लग गई।

सुबह होते ही अपनों की पहचान के लिए बूथ के सामने पीड़ितों के परिजनों की लंबी कतार लग गई।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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