महात्मा गांधी के पोते ने कहा- अमेरिका में सामाजिक ढांचे में सबसे ऊपर गोरे फिर भारतीय, एशियाई और काले आते हैं

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भारतीय मूल के अमेरिकी सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अरूण मणिलाल गांधी ‘ब्लैक लाइव्स मैटर्स’ के नारे से सहमत नहीं हैं जिसने जॉर्ज फ्लॉयड की कथित रूप से पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद प्रदर्शनों के बीच दुनियाभर में अपनी पकड़ बना ली ह।

जोहानिसबर्ग। न्यूयार्क में रह रहे महात्मा गांधी के पोते अरूण मणिलाल गांधी का मानना है कि अमेरिका में ‘अनौपचारिक रंगभेद’ है जहां सामाजिक ढांचे में सबसे ऊपर गोरे हैं तथा फिर भारतीय, एशियाई और काले आते हैं। भारतीय मूल के अमेरिकी सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अरूण मणिलाल गांधी ‘ब्लैक लाइव्स मैटर्स’ के नारे से सहमत नहीं हैं जिसने जॉर्ज फ्लॉयड की कथित रूप से पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद प्रदर्शनों के बीच दुनियाभर में अपनी पकड़ बना ली है।

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अरूण मणिलाल गांधी ने दक्षिण अफ्रीकी साप्ताहिक ‘‘पोस्ट’’ से मंगलवार को कहा कि फ्लॉयड की मौत के बाद काले नाराज हैं लेकिन गोरे अमेरिकियों में गुस्सा से ज्यादा अचंभा है। गांधी ने कहा, ‘‘ वे विश्वास नहीं कर सकते कि गोरे इतने निर्मम होंगे। वे कालों के प्रति इस तरह की निर्ममता से बेखर हैं।’’ उन्होंने कहा कि वह समझते हैं कि अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय द्वारा सृजित यह नारा कहां से आया लेकिन उसने विभाजित समाज बनाये रखा जिसे लोगों ने बनाया है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं मानता हूं कि सभी जिंदगियां मायने रखती हैं। इसलिए हम सभी को जीवन के प्रति उस तरह का सम्मान पैदा करने की दिशा में काम करना चाहिए।’’ अरूण मणिलाल गांधी ने कहा, ‘‘ अमेरिका में अनौपचारिक रंगभेद है जहां गोरे सामाजिक ढांचे में सबसे ऊपर हैं और फिर भारतीय, एशियाई और काले आते हैं।’’ अरूण मणिलाल गांधी डर्बन में पैदा हुए थे और फोनिक्स सैटलमेंट में रहते थे जहां उनके दादा महात्मा गांधी 1904 में रहे थे। अरूण मणिलाल गांधी भारत में 1956 में सुनंदा से मिले और उनसे विवाह किया। इसके बाद उन्हें दक्षिण अफ्रीका लौटने से मना कर दिया गया। उन्होंने लोगों द्वारा सत्याग्रह का गलत मतलब निकल लेने का जिक्र करते हुए कहा,‘‘ वे सोचते हैं कि जब तक आप शारीरिक हिंसा नहीं करते या किसी इंसान को चोट नहीं पहुंचाते हैं या उसकी हत्या नहीं करते हैं तब तक आप अहिंसक हैं। वे गलत हैं। संपत्ति के विरूद्ध हिंसा भी उतनी ही घृणित है।’’ पत्रकारिता में लंबा जीवन बिता चुके 86 वर्षीय गांधी अपना समय गांधी के अहिंसा के सिद्धांत के प्रचार प्रसार में व्यतीत करते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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