इमाम हुसैन के बलिदान को याद करने पहुंचे लाखों श्रद्धालु, जब यजीद के 8000 सैनिक से लड़े थे 72 लोग

Imam Hussain
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अभिनय आकाश । Sep 17 2022 2:20PM

इमाम की भीषण हत्या के लिए यज़ीद और उसकी सेना की निंदा की गई। पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने लाखों की संख्या में इस हुसैन के बलिदान को याद करने पहुंचे।

इराक के पवित्र शहर कर्बला में तीसरे शिया इमाम हुसैन और उनके परिवार के सदस्यों और उनके साथियों की शहादत की बरसी के मौके पर लाखों तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं। काले कपड़े पहने तीर्थयात्री कर्बला में इमाम हुसैन के पवित्र तीर्थस्थल पर जुटे। इस दौरान इमाम की भीषण हत्या के लिए यज़ीद और उसकी सेना की निंदा की गई। पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने लाखों की संख्या में इस हुसैन के बलिदान को याद करने पहुंचे। पिछले दो बरस से यात्रा कोरोना को लेकर काफी प्रभावित हुई थी। इस दौरान सीमित संख्या में तीर्थयात्री जुटते थे। 

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भारी बारिश के बावजूद मार्च करने वालों ने कई किलोमीटर तक की दूरी तय करते हुए सुलेजा में अपनी पैदल यात्रा समाप्त की। यहां इमाम हुसैन उनके घर के सदस्यों और उनके वफादार साथियों के लिए प्रार्थना की गई जो कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए थे। कहा जाता है कि हुसैन के काफिले में 72 लोग थे और यजीद के पास 8 हजार से अधिक सैनिक थे। लेकिन फिर भी उन लोगों ने यजीद की सेना का जमकर मुकाबला किया था। हालांकि युद्ध करते हुसैन के सारे 72 सैनिक मारे गए थे। केवल हुसैन जिंदा बच गए थे। 

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ये जंग मुहर्म 2 से 6 तक चली थी। आखिरी दिन हुसैन ने अपने साथियों को कब्र में दफन कर दिया। 10नें दिन जब हुसैन नमाज अदा कर रहे थे, तभी यजीद ने उन्हें धोखे से मरवा दिया। कहा जाता है कि मोहम्मद साहब के मरने के लगभग 50 वर्ष बाद मक्का से दूर कर्बला के गवर्नर यजीद ने खुद को खलीफा घोषित कर दिया था।  

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