सऊदी-चीनी 'भाई भाई': फ्लाइ पास्ट से स्वागत, बैंगनी कॉरपेट वेलकम, जिनपिंग ने खाड़ी देश का किया मूड स्विंग, ड्रैगन ने क्यों मिडिल ईस्ट में बढ़ाई अपनी भागीदारी?
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खाड़ी अरब के नेताओं से कहा कि चीन युआन में तेल और गैस खरीदने के लिए काम करेगा। ये एक ऐसा कदम जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मुद्रा स्थापित करने और विश्व व्यापार पर अमेरिकी डॉलर की पकड़ को कमजोर करने के बीजिंग के लक्ष्य का समर्थन करेगा।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सऊदी अरब से हाथ मिलाकर बाइडेन को शिकस्त देने की कोशिश कर रहे हैं। जिनपिंग का अरब दौरा ऐसे समय में हुआ जब अमेरिका का चीन और सऊदी के साथ तनाव चरम पर है। ऐसे में इस बात की आशंका जताई गई कि जिनपिंग अमेरिका के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए सऊदी अरब पहुंचे। सऊदी क्राउन प्रिंस की बाइडेन से नाराजगी का जिनपिंग ने पूरा फायदा उठाया है। जिनपिंग जब सऊदी अरब पहुंचे तो उनका ऐसा ग्रैंड वेलकम हुआ जैसा कभी किसी राष्ट्रपति का नहीं हुआ था। अमेरिकी राष्ट्रपति का तो कम से कम कतई नहीं हुआ था। फ्लाइ पास्ट से स्वागत, तोपों की सलामी, आसमान में चीनी झंडे के रंग और बैंगनी कॉरपेट वेलकम। सऊदी परंपरा में इस रंग का खास महत्त्व होता है। गार्ड ऑफ ऑर्नर और क्राउन किंग की गर्मजोशी।
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राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खाड़ी अरब के नेताओं से कहा कि चीन युआन में तेल और गैस खरीदने के लिए काम करेगा। ये एक ऐसा कदम जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मुद्रा स्थापित करने और विश्व व्यापार पर अमेरिकी डॉलर की पकड़ को कमजोर करने के बीजिंग के लक्ष्य का समर्थन करेगा। शी सऊदी अरब में बोल रहे थे, जहां क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने चीनी नेता के साथ अरब शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। सऊदी यात्रा के दौरान शी जिनपिंग के दो खास सम्मेलनों में भाग लेने का कार्यक्रम रखा गया था। इनमें एक सम्मेलन अरब देशों के नेताओं के साथ था। दूसरा सम्मेलन खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों के नेताओं के साथ था। इसके बाद सऊदी अरब के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता रखी गई।जिसने शक्तिशाली राजकुमार के क्षेत्रीय महत्व को प्रदर्शित किया क्योंकि वह पश्चिम के साथ घनिष्ठ ऐतिहासिक संबंधों से परे साझेदारी करता है।
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जिनपिंग का ये दौरा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बाद हुआ है जिसमें बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका मिडिल ईस्ट पर चीन की पैठ नहीं बनने देगा। उन्होंने कहा था कि अमेरिका मिडिल ईस्ट से नहीं जाएगा और चीन, रूस और ईरान को यहां पैठ भी नहीं बनाने देगा। दोनों देशों ने वैश्विक तेल बाजारों में स्थिरता के महत्व और उसमें सऊदी अरब की भूमिका की पुष्टि की है।
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