Space debris: चीन की अंतरिक्ष गतिविधियों पर नजर रख रहा अमेरिका

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पृथ्वी की निचली कक्षा में तेजी से इकट्ठे होते मलबे के बीच अमेरिका चीन की उन गतिविधियों पर करीबी नजर रख रहा है, जो अंतरिक्ष में अमेरिकी संपत्ति को संभावित रूप से खतरे में डाल सकती हैं। जिन चार देशों ने इस तरह की उपग्रह रोधी प्रणाली का परीक्षण किया है, उनमें से सिर्फ अमेरिका ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। चीन और रूस ने जहां प्रस्ताव का विरोध किया, वहीं भारत मतदान से दूर रहा।

बीजिंग। पृथ्वी की निचली कक्षा में तेजी से इकट्ठे होते मलबे के बीच अमेरिका चीन की उन गतिविधियों पर करीबी नजर रख रहा है, जो अंतरिक्ष में अमेरिकी संपत्ति को संभावित रूप से खतरे में डाल सकती हैं। अंतरिक्ष में अमेरिका के सैन्य अभियान के प्रमुख ने शुक्रवार को यह बात कही। यूएस स्पेस कमांड आर्मी के कमांडर जनरल जेम्स डिकिंसन ने संयुक्त राष्ट्र में उस प्रस्ताव के भारी मतों से पारित होने का स्वागत किया, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि देश सीधी उड़ान भरने वाली उपग्रह रोधी प्रणाली का परीक्षण नहीं करेंगे, जो बड़े पैमाने पर अंतरिक्ष मलबा पैदा कर उपग्रहों और अंतरिक्ष स्टेशन के अस्तित्व को खतरे में डालती हैं।

जिन चार देशों ने इस तरह की उपग्रह रोधी प्रणाली का परीक्षण किया है, उनमें से सिर्फ अमेरिका ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। चीन और रूस ने जहां प्रस्ताव का विरोध किया, वहीं भारत मतदान से दूर रहा। एशिया के संवाददाताओं से टेलीफोन पर हुई बातचीत में जनरल डिकिंसन ने कहा, “हम अंतरिक्ष में मौजूद मलबे को बढ़ाना जारी नहीं रख सकते। ज्यादातर मलबा पृथ्वी की अहम निचली कक्षा में मौजूद है, जो बहुत भरा हुआ और प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष का केंद्र बन गया है।” उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में वस्तुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है और धातु के छोटे टुकड़े भी खतरा पैदा कर सकते हैं।

डिकिंसन ने बताया कि अमेरिकी स्पेस कमांड पृथ्वी की कक्षा के पास अभी 48 हजार से अधिक वस्तुओं की निगरानी कर रहा है, जिनमें उपग्रह, दूरबीन, अंतरिक्ष स्टेशन और हर आकार का मलबा शामिल है। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले ऐसी वस्तुओं की संख्या 25 हजार के आसपास थी। चीन 2003 में अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के बाद अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला दुनिया का तीसरा देश बना था। तब से उसका मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम काफी तेजी से बढ़ा है। 2007 में चीन को अंतरिक्ष में अपने एक निष्क्रिय उपग्रह को उड़ाने के लिए एक मिसाइल का अघोषित परीक्षण करने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

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इस परीक्षण के कारण अंतरिक्ष में बड़े पैमाने पर मलबा फैल गया था, जो अभी भी खतरे का सबब बना हुआ है। डिकिंसन ने कहा, “बीजिंग को लगता है कि अंतरिक्ष न केवल उसकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि सैन्य क्षेत्र के लिए भी अहम कारक है। ऐसे में जब वह अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं में लगातार इजाफा कर रहा है, तब हम उसकी गतिविधियों पर बेहद करीबी नजर रख रहे हैं।” ताइवान, दक्षिण चीन सागर और व्यापार एवं तकनीक के क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच अंतरिक्ष दोनों देशों में तेजी से टकराव के एक संभावित केंद्र के रूप में उभर रहा है।

इसके अलावा, पेंटागन ने पिछले हफ्ते वार्षिक चीन सुरक्षा रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें आगाह किया गया था कि वर्ष 2035 तक बीजिंग के पास 1,500 परमाणु हथियार हो सकते हैं और उसने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह इन हथियारों का किस रूप में इस्तेमाल करने की मंशा रखता है। डिकिंसन ने कहा कि चीन ‘उन क्षमताओं का निर्माण कर रहा है, जो वास्तव में अंतरिक्ष में हमारी ज्यादा संपत्तियों को खतरे में डालती हैं।’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध ने भी दिखाया है कि अंतरिक्ष ‘टकराव का केंद्र है, जिसकी रक्षा किया जाना जरूरी है। यह एक ऐसी भूमिका है, जिसे यूएस स्पेस कमांड काफी गंभीरता से ले रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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