Japan में महज चार साल में बदल गए 3 प्रधानमंत्री, जानें कौन हैं नए PM शिगेरू इशिबा

Shigeru Ishiba
@shigeruishib
अभिनय आकाश । Sep 27 2024 4:33PM

शिगेरू इशिबा को 1 अक्टूबर को डाइट द्वारा जापान के 102वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाएगी। इसी दिन आधिकारिक रूप से फुमियो किशिदा की पद से विदाई होगी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 67 वर्षीय शिगेरू इशिबा ने कट्टरपंथी राष्ट्रवादी साने ताकाइची को रन-ऑफ वोट में हराया।

महज चार साल में जापान में तीन प्रधानमंत्री का दौर देखने को मिल रहा है। शिंजो आबे के बाद कमान संभालने वाले फुमयो किशिदा की जगह अब शिगेरु इशिबा लेंगे। पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरू इशिबा अब जापान के नए प्रधानमंत्री होंगे। अगले हफ्ते वे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। नौ उम्मीदवारों के बीच मुकाबले में शिगेरू इशिबा को जीत मिली है। शिगेरू इशिबा को 1 अक्टूबर को डाइट द्वारा जापान के 102वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाएगी। इसी दिन आधिकारिक रूप से फुमियो किशिदा की पद से विदाई होगी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 67 वर्षीय शिगेरू इशिबा ने कट्टरपंथी राष्ट्रवादी साने ताकाइची को रन-ऑफ वोट में हराया। 

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भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी फुमियो किशिदा की पार्टी

वर्तमान प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं और उनकी पार्टी अगले आम चुनाव से पहले जनता का विश्वास हासिल करने की उम्मीद में एक नए नेता की तलाश कर रही है। मतदान में संसद के एलडीपी सदस्यों के अलावा लगभग 10 लाख बकाया भुगतान करने वाले पार्टी सदस्य ही हिस्सा ले सकते थे। यह संख्या देश के कुल योग्य मतदाताओं का केवल एक प्रतिशत है। पार्टी के दिग्गजों के बीच चल रही अंदरूनी बातचीत और समझौते की संभावनाओं के मद्देनजर यह अंदाजा लगाना कठिन था कि इस चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा। 

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9 उम्मीदवारों से था मुकाबला

ताकाइची, पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी रही हैं और कट्टर रूढ़िवादी नेताओं में उनकी गिनती होती है। उन्होंने 2021 में किशिदा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। कोइज़ुमी, पूर्व प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी के बेटे हैं। पिछले मतदानों में अक्सर पार्टी के शक्तिशाली गुट के नेताओं द्वारा नेता निर्धारित किए जाते थे, लेकिन इस बार छह गुटों में से एक को छोड़कर सभी ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद विलय की घोषणा की है। विशेषज्ञों के बीच व्यापक चिंता का विषय यह है कि जो भी चुनाव में जीते लेकिन उसे गुटीय समर्थन नहीं मिलता है तो संभावना है कि जापान में एक बार फिर 2000 के दशक की वापसी हो जाए। इस दौरान कई बार नेतृत्व परिवर्तन हुआ था और देश में राजनीतिक अस्थिरता देखी गई थी। अल्पकालिक सरकारों का मुखिया बनने वाले जापानी प्रधानमंत्रियों की दीर्घकालिक नीति लक्ष्यों को स्थापित करने या अन्य नेताओं के साथ विश्वसनीय संबंध विकसित करने की क्षमता को नुकसान पहुंचाती है। ताकाइची और विदेश मंत्री योको कामीकावा ही इस दौड़ में शामिल दो महिलाएं थीं। जापान की संसद के निचले सदन में महिलाओं की संख्या केवल 10.3 प्रतिशत है। जेनेवा स्थित अंतर-संसदीय संघ द्वारा अप्रैल में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक 190 देशों में महिला प्रतिनिधित्व के मामले को जापान 163 वें स्थान पर है। 

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