'यूरोप की समस्या यूरोप की, दुनिया की नहीं', जयशंकर के अंदाज से खुश हुआ चीन, भारत को परिपक्व पड़ोसी देश बताया
ग्लोबल टाइम्स में जयशंकर के उस बयान का भी जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने अमेरिका बनाम चीन में किसके साथ जुड़ने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि वो नहीं समझते हैं कि भारत को किसी पक्ष में शामिल होना जरूरी है।
टीवी, अखबार और सोशल मीडिया इन सभी पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों छाए हुए हैं। उनकी विभिन्न मंचों पर हाजिरजवाबी और बयान इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। लोगों को विदेश मंत्री एस जयशंकर का नो नॉनसेंस एटीट्यूड बेहद पसंद आ रहा है। यानी सीधी बात नो बकवास। अब तो चीन भी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का दीवाना हो गया है। चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स आए दिन रिपोर्ट छाप रहा है। जिसमें रूस और यूक्रेन युद्ध पर भारत के रूख की चीन लगातार तारीफ कर रहा है। अब एक बार फिर चीनी अखबार ने भारत का पक्ष लिया है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि पश्चिमी देशों की तरफ से भारत पर रूस के खिलाफ कड़ा स्टैंड लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है जिससे चीन और भारत के बीच विवाद को भड़काया जा सके।
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जयशंकर ने दिया करारा जवाब
अमेरिकी दौरे पर गए एस जयशंकर ने अपने जवाबों से लोगों को अपना फैन बना लिया है। चाहे मानवाधिकार हनन के आरोप हो या रूस से गैस और तेल की खरीद। बीते दिनों स्लोवाकिया के दौरे पर गए जयशंकर ने रूस से गैस का आयात कर रहे यूरोपीय देशों की पोल खोलते हुए एक सवाल के जवाब में कहा कि क्या रूस से गैस खरीदना युद्ध के लिए पैसे देना है। उन्होंने सवाल किया कि यह केवल भारतीय पैसा है जो युद्ध को फंड कर रहा है, यूरोप को आ रही गैस युद्ध को बढ़ावा नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत के चीन के साथ बहुत चुनौतीपूर्ण रिश्ते हैं लेकिन यूरोप ने इस पर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने कहा कि यूरोप का विकास इस तरह से हुआ है कि यूरोप की समस्या दुनिया की समस्या है लेकिन दुनिया की समस्या यूरोप की समस्या नहीं मानी जाती है।
चीन हुआ मुरीद
एस जयशंकर के जवाब ड्रैगन को भी खूब भा रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स ने इसके साथ ही कहा कि ब्रातिस्लावा फोरम में विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोप की ये कहकर आलोचना की कि यूरोप को मानसिकता से ऊपर उठना होगा कि उसकी समस्या दुनिया की समस्या है। लेकिन दुनिया की समस्या यूरोप की समस्या नहीं है। ग्लोबल टाइम्स में जयशंकर के उस बयान का भी जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने अमेरिका बनाम चीन में किसके साथ जुड़ने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि वो नहीं समझते हैं कि भारत को किसी पक्ष में शामिल होना जरूरी है।
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चीन और भारत अपने विवाद को बातचीत से सुलझाने में सक्षम
ग्लोबल टाइम्स की तरफ से जयशंकर के बयान को जटिल अंतरराष्ट्रीय स्थिति में समझदारी भरी आवाज को दर्शाने वाला बताया गया है। इसके साथ ही चीनी अखबार ने कहा कि एक बार फिर से ये साबित हो गया है कि चीन और भारत अपने विवाद को बातचीत के माध्यम से सुलझाने में सक्षम है। किसी और देश को ऊंगली उठाने के लिए कोई जगह नहीं है। चीनी विश्लेषकों ने कहा कि जयशंकर का बयान यह दर्शाता है कि भारत की कूटनीति पूरी तरह से स्वतंत्र है जो भारत के राष्ट्रीय हित को शीर्ष प्राथमिकता देती है। वैश्विक मुद्दों पर पश्चिमी देशों की बजाय भारत और चीन में कई साझा हित हैं।
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