Mukesh Ambani को पछाड़ने वाले जैक मा के हाथ से निकल गया कंपनी का कंट्रोल, चीन सरकार से पंगा पड़ा महंगा
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार उनके वोटिंग राइट्स भी बेहद कम कर दिए गए हैं। कभी एंट ग्रुप में मा के पास 50 फीसदी वोटिंग राइट्स थे। लेकिन अब ये 6.2 फीसदी रह गए हैं। वहीं एंट्स में उनकी हिस्सेदारी महज 10 फीसदी रह गई।
एक गरीब परिवार में जन्मे अलीबाबा के संस्थापक जैक मा बड़े होकर चीन के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गए। लेकिन पिछले कुछ महीनों में उनके सितारे गर्दिश में ही चलते नजर आए। पहले तो अलीबाबा के संस्थापक के कुछ दिन पहले जापान के टोक्यो में परिवार के साथ होने की बात सामने आई थी। अब खबर है कि चीनी अरबपति जैक मा का देश के सबसे बड़े फिनटेक प्लेटफॉर्म एंट ग्रुप पर नियंत्रण नहीं रहेगा। एंट ग्रुप में वोटिंग स्ट्रक्चर में बदलाव का ऐलान किया है। बता दें कि इस ग्रुप को जैक मा ने ही खड़ा किया था और बुलंदियों पर पहुंचाया था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार उनके वोटिंग राइट्स भी बेहद कम कर दिए गए हैं। कभी एंट ग्रुप में मा के पास 50 फीसदी वोटिंग राइट्स थे। लेकिन अब ये 6.2 फीसदी रह गए हैं। वहीं एंट्स में उनकी हिस्सेदारी महज 10 फीसदी रह गई।
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क्यों लिया ये फैसला?
कहा जा रहा है कि जैक मा ने चीनी रेगुलेशन को खुश करने के लिए बड़ा बदलाव किया है। हालांकि आईपीओ लाने के लिए इसे और लंबे वक्त का इंतजार करना पड़ेगा। बता दें कि चीन के शेयर मार्केट में लिस्ट होने के लिए कंपनी के कंट्रोलर में पिछले तीन साल में कोई बदलाव नहीं होने जैसे नियम हैं। इसके अलावा शंघाई के स्टाक मार्केट में लिस्ट होने के लिए ये अवधि दो साल की है। जबकि हांगकांग के स्टाक मार्केट के लिए एक साल है।
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थोड़ा बैकग्राउंड समझ लेते हैं
मार्च 2020 में मुकेश अंबानी को पछाड़कर एशिया के सबसे बड़े रईस बन गए थे। लेकिन फिर अलीबाबा के संस्थापक द्वारा अक्टूबर 2020 में एक विवादास्पद भाषण देने के बाद शुरू हुआ था। उन्होंने कहा था कि चीन के सरकारी बैंकों की "पॉन शॉप मानसिकता" है। तब से, मा द्वारा स्थापित दो कंपनियों एंट ग्रुप और अलीबाबा ने नियामक बाधाओं का लगातार सामना किया। उन्होंने वैश्विक बैंकिंग नियमों को बुजुर्गों का क्लब करार दिया था। जैक मा के इस बयान के बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी नाराज हो गई थी और चीन में इस आलोचना को क्मयुनिस्ट पार्टी पर हमले के रूप में लिया गया।
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