Deep State है क्या? जो हिलाना चाहता है भारत की जड़ें, मोदी-ट्रंप हैं इसके दुश्मन नं-1
डीप स्टेट सरकार, नौकरशाही, खुफिया एजेंसियों और अन्य सरकारी संस्थाओं के अंदर स्थापित एक अनधिकृत सीक्रेट नेटवर्क है। हालांकि अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने आरोपों को ‘निराशाजनक’ बताया और कहा कि अमेरिका सरकार दुनिया भर में मीडिया की स्वतंत्रता की पैरोकार रही है।
राज्यसभा में उस समय हंगामा हो गया जब आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्यवसायी गौतम अडानी पर निशाना साधते हुए नारे लगाए। सदन में "मोदी अडानी भाई भाई" और नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद के नारे गूंजे, जिससे कार्यवाही बाधित हुई और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हस्तक्षेप करना पड़ा। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को भीतर या बाहर की कोई भी ताकत नुकसान नहीं पहुंचा सकती। उन्होंने सभी से अपील की कि एकजुट होकर 'डीप स्टेट' के खिलाफ काम करें। इसके बाद एक बार फिर से डीप स्टेट शब्द सुर्खियों में आ गया है। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश में सफल मगर अमेरिका में नाकाम डीप स्टेट दोबारा अडानी के बहाने भारत पर बुरी नजर डाल रहा है। बीजेपी की तरफ से डीप स्टेट को पआउट किया गया है। ऐसा माना जाता है कि डीप स्टेट सरकार, नौकरशाही, खुफिया एजेंसियों और अन्य सरकारी संस्थाओं के अंदर स्थापित एक अनधिकृत सीक्रेट नेटवर्क है। हालांकि अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने आरोपों को ‘निराशाजनक’ बताया और कहा कि अमेरिका सरकार दुनिया भर में मीडिया की स्वतंत्रता की पैरोकार रही है।
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दुनिया में कहीं भी नहीं चाहिए मजबूत नेतृत्व
लाल बहादुर शास्त्री की मौत, होमी जहांगीर भाभा की मौत, 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या, राजीव गांधी की मौत और वर्तमान में बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के पीछे डीप स्टेट का हाथ है। पाकिस्तान के बनने के बाद से पहली बार हुआ जब आईएसआई का चीफ जेल में है। ये अमेरिका के डीप स्टेट की ताकत है। जानकार बताते हैं कि ये केवल भारत की बात नहीं है। उन्हें दुनिया में कहीं भी राष्ट्रवादी सरकार नहीं चाहिए। कोई मजबूत या ऐसा लीडर नहीं चाहिए जिसे वे मैन्युप्लेट न कर सके। यहां तक की खुद अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप नहीं चाहिए। इसलिए भारत के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप भी डीप स्टेट के खिलाफ हैं।
डीप स्टेट की भारत पर क्यों है गंदी नजर
भारतीय अधिकारियों को पश्चिमी ताकतों और डीप स्टेट की भारत को अस्थिर करने की साजिशों के बारे में आगाह किया जा चुका है। भारत इन ताकतों की आंखों की किरकिरी बनता जा रहा है, क्योंकि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से दुनिया के कई देश और कारोबारी परेशान हैं। इसके अलावा, भारत की विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता (स्ट्रैटिजिक अटॉनमी) की मजबूत परंपरा को फिर से तरजीह दी जा रही है। वाइज और रॉस की 1964 में गुप्त सीआईए ऑपरेशन के बारे में लिखी गई किताब में डीप स्टेट के इस प्रस्ताव को संक्षेप में बताया गया है: अमेरिका में दो सरकारें हैं, एक दिखाई देती है, दूसरी अदृश्य। विडंबना यह है कि डीप स्टेट अब मुख्यधारा में आ गया है। भारत और अमेरिका दोनों में ही एक प्रमुख राजनीतिक दल पर दूसरे द्वारा इस स्थिति को बढ़ावा देने का आरोप है। अमेरिका ने 'भारत को अस्थिर करने' के लिए किसी भी और सभी डीप स्टेट साजिशों से इनकार किया है।
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ओसीसीआरपी की 50 % फंडिंग अमेरिकी विदेश मंत्रालय से आती
भाजपा ने एक फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया था और कहा था कि इससे पता चलता है कि ओसीसीआरपी को जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर फाउंडेशन जैसे अमेरिकी सरकारी संस्थाओं में शामिल तत्वों के साथ-साथ अमेरिकी विदेश मंत्रालय के यूएसएड द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। फ्रांसीसी खोजी मीडिया समूह मीडियापार्ट ने खुलासा किया कि ओसीसीआरपी को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के यूएसएड के साथ-साथ अमेरिका सरकार की संस्थाओं से संबद्ध जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर फाउंडेशन जैसे अन्य प्रमुख तत्वों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। ओसीसीआरपी की 50 प्रतिशत ‘फंडिंग’ सीधे अमेरिकी विदेश मंत्रालय से आती है। ओसीसीआरपी, अमेरिका की सरकारी संस्थाओं के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक मीडिया उपकरण के रूप में कार्य करता है।
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