अफगानिस्तान से भागकर पाकिस्तान में रह रहे पत्रकारों का अधर में लटका भविष्य
अफगानिस्तान में पिछले साल तालिबान का पुनः कब्जा होने के बाद देश से पलायन करने वाले दर्जनों अफगान पत्रकारों का पाकिस्तान में कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा। वे पाकिस्तान में रहने के लिए अपने वीजा के नवीनीकरण का इंतजार कर रहे हैं और साथ ही अमेरिका या यूरोपीय देशों में वापस भेजे जाने के लिए संघर्षरत हैं।
अफगानिस्तान में पिछले साल तालिबान का पुनः कब्जा होने के बाद देश से पलायन करने वाले दर्जनों अफगान पत्रकारों का पाकिस्तान में कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा। वे पाकिस्तान में रहने के लिए अपने वीजा के नवीनीकरण का इंतजार कर रहे हैं और साथ ही अमेरिका या यूरोपीय देशों में वापस भेजे जाने के लिए संघर्षरत हैं। अफगानिस्तान से भागकर मुख्य रूप से इस्लामाबाद, कराची और क्वेटा में रह रहे पत्रकारों की शिकायत है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय संगठनों और गैर सरकारी संगठनों से भी मदद नहीं मिल रही।
पाकिस्तानी गृह मंत्रालय के वीजा विभाग के एक अधिकारी मलिक मुहम्मद अफजल ने कहा कि इस साल वीजा की अवधि बढ़ाई जा सकती है लेकिन इसके लिए उन्हें देश की खुफिया एजेंसियों से अनुमति लेनी होगी। काबुल में आरिआना न्यूज में काम करने वाली नसरीन शिरजाद ने कहा, “अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद रिपोर्टिंग और कामकाज बंद होने के डर से वहां से पलायन करने वाले सभी मीडियाकर्मियों को विशेष वीजा देने के लिए पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने अनुमति दी है।”
शिरजाद तीन बच्चों की मां हैं और अगस्त 2021 में तालिबान की वापसी के तत्काल बाद उन्होंने नांगरहार प्रांत छोड़ दिया था। अफगानिस्तान में उनके घर के बाहर एक पत्र मिला था जिस पर लिखा था कि उन्होंने जो “पाप” और “काफिरों वाले काम” किये हैं उसके लिए उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। तालिबान ने ऐसा कोई पत्र जारी करने से इनकार किया था और उस पत्र को फर्जी बताया था। महिला एंकर और प्रसारक का कहना है कि गैर सरकारी संगठनों और पश्चिमी देशों के अन्य संगठनों ने कहा कि इसका कोई प्रमाण नहीं है कि शिरजाद को अफगानिस्तान में किसी तरह का खतरा है।
शिरजाद का कहना है कि एक पत्रकार के तौर पर उन्हें और उनके परिवार को ऐसे कई खतरों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, “जब हमें पाकिस्तान का वीजा मिला तो यह हमारे परिवार के लिए राहत की बात थी मगर अब वह वीजा समाप्त हो गया है।” अन्य अफगान पत्रकार भी पाकिस्तान सरकार की ओर से वीजा की अवधि बढ़ाए जाने के इंतजार में हैं। उनके मकान मालिकों ने उनसे कह दिया है कि वे घर छोड़ दें नहीं तो उन्हें निकाल दिया जाएगा।
अफगान समाचार चैनल तोलो टीवी के पत्रकार अब्दुला हमीम ने कहा, “वैध वीजा के बिना मैं न तो पाकिस्तान में कहीं किराए की जगह पर रह सकता हूं और न ही एनजीओ या अफगान रिश्तेदारों से मुझे कोई वित्तीय मदद मिल रही है।” वर्तमान में लगभग दो सौ ऐसे पत्रकार हैं जिन्होंने तालिबान के डर से देश छोड़ा है। वे भी व्हाट्सऐप समूह के जरिये संपर्क में रहते हैं। इनमें से बहुत सी महिला पत्रकार हैं जिन्होंने तालिबान की वापसी से पहले एंकर और प्रसारक के तौर पर काम किया था।
अफगान संसद के पूर्व टीवी चैनल के लिए काम करने वाली 26 वर्षीय सोबदा नासिरी ने कहा कि उनके वीजा की अवधि इस महीने समाप्त हो गई जिसके कारण वह वैध तरीके से किराए का कमरा लेकर नहीं रह सकतीं। उन्होंने कहा कि अभी वह इस्लामाबाद में एक अफगान महिला के साथ रह रही हैं। नासिरी का इस समय अवसाद का इलाज चल रहा है और उन्हें वित्तीय संकट जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स जैसे संगठनों तथा जर्मन, फ्रांसीसी, इतालवी और कनाडाई दूतावासों को भेजे गए ईमेल तथा आवेदनों का अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
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