डिप्लोमेसी, अमीर के साथ मुलाकात और वो संधि…. 8 पूर्व नौसैनिकों को मोदी सरकार ने कैसे फांसी के फंदे से बचाया, जानें सीक्रेट डील की इनसाइड स्टोरी
दिसंबर 2014 में केंद्रीय कैबिनेट ने कतर के साथ संधि को हरी झंडी दे दी थी, जिसके तहत कतर में या इसके विपरीत कैद भारतीय कैदियों को उनके देश में स्थानांतरित किया जा सकता है ताकि वे अपने परिवारों के पास रह सकें।
मोदी है तो मुमकिन है। सियासी मिजाज में लोगों को भले ही ये महज एक नारा लगे, लेकिन जमीन पर इसका असर सात समुंदर पार भी दिखाई पड़ रहा है। कतर में 28 दिसंबर को जो कुछ भी हुआ उससे न सिर्फ सजा-ए-मौत पाने वाले आठ नौसैनिकों और उनके परिवार के चेहरे खिले हैं बल्कि करोड़ों भारतीयों को भी ये राहत देने वाली खबर है। कतर में फंसे भारीतय नेवी के आठ पूर्व अफसरों की सजा पर रोक ऐसे ही नहीं लगी है। ये भारत के कूटनीतिक जीत की कहानी है। ये पीएम मोदी के कतर के शेख तमीम बिन अमद अल थानी से मुलाकात और सैकड़ों फोन कॉल्स का ही असर है कि भारत को इस मामले में बड़ी जीत मिली है।
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मनमुताबिक रिजल्ट के बाद आया विदेश मंत्रालय का बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि कतर की कोर्ट से आठ भारतीयों की सजा को कम कर दिया गया है। विस्तृत फैसले का इंतजार है। हम लीगल टीम और आठों भारतीयों के परिवार के संपर्क में हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारतीय राजदूत और दूसरे अधिकारी मौजूद थे। हम शुरू से ही आठों भारतीयों के साथ खड़े थे और आगे भी सभी कानूनी व कॉस्लर मदद करते रहेंगे। इस मामले को कतर के अधिकारियों के सामने आगे भी उठाते रहेंगे। मतलब मोदी सरकार बस इतने पर ही नहीं रुक गई कि फांसी की सजा तो रुक गई लेकिन बाकी की जिंदगी वो जेल में ही रहेंगे। अब इनकों वहां से बचाने के लिए क्या करना है इस पर फोकस किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने कैसे कतर को दिया मैसेज
पीएम मोदी फांसी की सजा पाए आठ भारतीयों के लिए चिंतित थे। भले ही पीएम मोदी ने सीधे-सीधे इस मामले का जिक्र नहीं किया। लेकिन बिना कहे भी कतर तक अपना मैसेज पहुंचा दिया था। 1 दिसंबर 2023 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान कतर के अमीर शेख तमीम बिन अमद अल थानी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कतर के शेख से आठ भारतीयों को फांसी की सजा के मुद्दे पर बात नहीं की थी। लेकिन पीएम मोदी ने मुलाकात के बाद जो ट्वीट किया था उससे पता चलता है कि पीएम मोदी ने कतर के शेख को क्या मैसेज दिया था। पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा था कि दुबई में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान कतर के अमीर शेख तमीम बिन अमद अल थानी से मुलाकात हुई। हम दोनों के बीच भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय साझेदारी की संभावना और कतर में भारतीय समुदाय के हितों पर अच्छी चर्चा हुई है। पीएम मोदी और कतर के अमीर शेख के मुलाकात के तीन दिन बाद ही भारत के राजदूत आठों पूर्व नौसेनिकों से मुलाकात भी की थी और उन्हें तभी भरोसा दिला दिया था कि जल्द ही कोई बड़ा फैसला हो सकता है।
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मोदी काम करते रहे विपक्ष आरोप लगाते रहे
ग्लोबल डिप्लोमेसी में बहुत सारी चीजें अंदरखाने चलती हैं। जिसकी पब्लिक डोमेन में चर्चा नहीं होती है। कांग्रेस, एआईएमआईएम समेत कई दलों के नेताओं ने इस पर सरकार को घेरा था। एआईएमआईएम ने नेता असद्दुदीन ओवैसी ने कहा था कि अगस्त में मैंने कतर में फंसे हमारे पूर्व नौसेना अधिकारियों का मुद्दा उठाया था। उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। नरेंद्र मोदी ने दावा किया है कि इस्लामिक देश उनसे कितना प्यार करते हैं। उन्हें हमारे पूर्व नौसेना अधिकारियों को वापस लाना होगा। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें मृत्युदंड का सामना करना पड़ा। वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी ट्वीट करते हुए सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि 7 दिसंबर 2022 को मैंने कतर में आठ सेवानिवृत्त वरिष्ठ नौसेना कर्मियों की हिरासत का मुद्दा लोकसभा में उठाया था। तब वे 120 दिनों तक एकान्त कारावास में रहे थे। मैं इस मुद्दे को संसद के अंदर और बाहर बार-बार उठाता रहा। हमें पता चला कि सभी 08 को मौत की सज़ा सुनाई गई है। उनके परिवारों को कभी यह नहीं बताया गया कि उन पर क्या आरोप हैं। मुझे बताया गया है कि उनके बचाव के लिए नियुक्त वकील भी परिवारों के साथ टाल-मटोल कर रहा है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। एस जयशंकर परिवार के सदस्यों, पूर्व सैनिक लीग और यहां तक कि संसद सदस्यों की विनती को भी कभी गंभीरता से नहीं लिया।
क्या है 2014 की वो संधि
दिसंबर 2014 में केंद्रीय कैबिनेट ने कतर के साथ संधि को हरी झंडी दे दी थी, जिसके तहत कतर में या इसके विपरीत कैद भारतीय कैदियों को उनके देश में स्थानांतरित किया जा सकता है ताकि वे अपने परिवारों के पास रह सकें। कतर के साथ संधि पर 2015 में कतर के विदेश मंत्री डॉ. खालिद बिन मोहम्मद अल अत्तियाह की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत, कतर में दोषी ठहराए गए भारतीय कैदियों को उनकी सजा की शेष अवधि काटने के लिए भारत लाया जा सकता है। इसी तरह भारत में दोषी ठहराए गए कतरी नागरिकों को सजा काटने के लिए उनके देश भेजा जा सकता है। यह समझौता सजायाफ्ता व्यक्तियों को उनके परिवारों के पास रहने में सक्षम बनाएगा और उनके सामाजिक पुनर्वास की प्रक्रिया में मदद करेगा।
किन देशों के साथ है ये संधि?
कतर उन 30 से अधिक देशों में से एक है जिसके साथ भारत का ऐसा समझौता है। इन देशों में ब्रिटेन, मॉरीशस, बुल्गारिया, ब्राजील, कंबोडिया, मिस्र, फ्रांस, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब ईरान, कुवैत, श्रीलंका, यूएई, मालदीव, थाईलैंड, तुर्की, इटली, बोस्निया और हर्जेगोविना, इजरायल, रूस, वियतनाम और ऑस्ट्रेलिया है।
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