विकासशील देशों को शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने के लिए और अधिक समय की जरूरत: संयुक्त बयान

Developing Countries
Google Creative Commons.

तिरुमूर्ति द्वारा दिए गए संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘हमें एक स्पष्ट मान्यता की आवश्यकता है कि विकासशील देशों को गरीबी उन्मूलन और विकास के अपने व्यापक लक्ष्यों के मद्देनजर शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए 2050 से अधिक समय की आवश्यकता होगी।’’

संयुक्त राष्ट्र| चीन समेत 10 देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में भारत ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि विकासशील देशों को गरीबी उन्मूलन और विकास के अपने लक्ष्यों के मद्देनजर शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए निर्धारित वर्ष 2050 से आगे बढ़कर अतिरिक्त समय दिए जाने की आवश्यकता है।

बयान में कहा गया कि विकसित देशों को 2050 की निर्धारित समयसीमा में शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत, बोलीविया, चीन, गैबॉन, ईरान, इराक, माली, निकारागुआ, पनामा और सीरिया की ओर से ‘‘वैश्विक शून्य उत्सर्जन’’ पर एक संयुक्त बयान दिया।

तिरुमूर्ति द्वारा दिए गए संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘हमें एक स्पष्ट मान्यता की आवश्यकता है कि विकासशील देशों को गरीबी उन्मूलन और विकास के अपने व्यापक लक्ष्यों के मद्देनजर शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए 2050 से अधिक समय की आवश्यकता होगी।’’

उन्होंने बयान में कहा, ‘‘यह स्पष्ट हो जाता है कि एक वैश्विक शून्य उत्सर्जन, जहां विकासशील देश शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने में अधिक समय लेते हैं, केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है जब विकसित देश 2050 से पहले इस लक्ष्य तक पहुंच जाएं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़