विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन पर काम विकसित देशों की मदद पर निर्भर: भारत

Bhupendra Yadav
प्रतिरूप फोटो

भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने विकसित देशों से 2009 में किए गए प्रति वर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर के अपने वादे को पूरा करने का आह्वान किया।

भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र द्वारा बुलाई गई एक बैठक में दोहराया कि विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन पर काम करने की महत्वाकांक्षी योजना पेरिस समझौते के तहत विकसित देशों की मदद पर निर्भर है।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ एक बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने विकसित देशों से 2009 में किए गए प्रति वर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर के अपने वादे को पूरा करने का आह्वान किया।

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उन्होंने कहा कि ‘कॉप 26’ को कम लागत पर हरित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण तथा दायरा, पैमाना एवं गति में जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने आगामी ‘सीओपी26’ सहित जलवायु परिवर्तन संबंधित किसी भी बातचीत में सफल परिणाम के लिए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रुपरेखा (यूएनएफसीसी) प्रक्रिया के सिद्धांतों को कायम रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि बैठक में, जलवायु संकट से मुकाबला करने के लिए आवश्यक वित्त, अनुकूलन आदि पर महत्वपूर्ण जलवायु कार्रवाई पर चर्चा की गयी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने नवंबर में ग्लासगो में होने वाले 26वें ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज’ (सीओपी26) से पहले कुछ नेताओं की बैठक बुलाई थी।

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पर्यावरण मंत्री यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा सहित भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में किए जा रहे विभिन्न कार्यों की चर्चा की।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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