राजनयिक दस्तावेज पर अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के स्रोत को लेकर पाकिस्तान में विवाद बढ़ा

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उन्होंने कहा कि प्रकाशक ने इस कथित लीक को प्रमाणित करने के लिए अबतक कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘कागज पर कुछ भी टाइप किया जा सकता है। कोई भी नहीं बता सकता कि उस टेलीग्राम में क्या है और क्या नहीं है। उसका पहले सत्यापन होना चाहिए।’’ मिलर ने कहा था, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता कि अमेरिका कहे कि पाकिस्तान के नेतृत्व के लिए उसकी पसंद कौन हैं।’’ उन्होंने कहा था,‘‘मैं इस दस्तावेज की प्रमाणिकता पर कुछ नहीं कह सकता। मैं केवल यह कह सकता हूं कि यदि ये टिप्पणियां शत-प्रतिशत सही हैं, तो भी इनसे यह प्रदर्शित नहीं होता है कि अमेरिकी विदेश विभाग के प्रतिनिधि पाकिस्तान का नेतृत्व तय करेंगे।

पिछले साल अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत और अमेरिकी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हुई एक बैठक के विवरण से जुड़े एक गोपनीय राजनयिक दस्तावेज की कथित सामग्री की प्रमाणिकता को लेकर संभवत: एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मीडिया में शनिवार को आई एक खबर में यह जानकारी दी गई। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस (राजनयिक दस्तावेज) लीक पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया है, लेकिन एक हालिया प्रेस वार्ता के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर द्वारा की गयी राजनयिक टिप्पणी ने इस कथित लीक के मूल स्रोत को लेकर दिलचस्पी पैदा कर दी है।

अमेरिकी मीडिया संस्थान ‘द इंटरसेप्ट’ ने अपनी खबर में कहा है कि यह दस्तावेज उसे ‘पाकिस्तानी सेना के एक अज्ञात स्रोत ने मुहैया किया, जिसने कहा कि उसका इमरान खान या उनकी पार्टी से कोई संबंध नहीं है।’ हालांकि कई लोगों, जिनमें ज्यादातर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान के आलोचक शामिल हैं, ने जोर देते हुए कहा कि यह लीक खान की पार्टी द्वारा किया गया होगा। खान (70) फिलहाल तीन साल की कैद की सजा काट रहे हैं। उन्हें पिछले हफ्ते भ्रष्टाचार के एक मामले में एक अदालत ने यह सजा सुनायी थी।

इस कथित गोपनीय राजनयिक दस्तावेज में पिछले साल दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों से जुड़े अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू समेत अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों तथा पाकिस्तानी राजदूत असद मजीद खान की एक बैठक में हुई बातचीत का विवरण है। यहां तक निवर्तमान विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भी मानते हैं कि ‘द इंटरसेप्ट’ द्वारा प्रकाशित दस्तावेज ‘अप्रमाणिक’ है। इस कथित लीक के समय पर प्रश्न उठाते हुए उन्होंने डॉन अखबार से कहा कि सेना की राजनयिक दस्तावेज तक पहुंच ही नहीं है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ‘बहुत सख्त नियमावली’ का पालन करती है और वह ऐसे दस्तावेज केवल प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, देश की खुफिया एजेंसी के प्रमुख तथा कुछ अन्य महत्वपूर्ण लोगों के साथ साझा करता है।

उन्होंने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी एवं निवर्तमान गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह द्वारा व्यक्त किये गये इस संदेह से सहमति जतायी कि उक्त दस्तावेज की केवल एक प्रति गायब है और वह ‘‘तत्कालीन प्रधानमंत्री (इमरान) खान को दिया गया था , जिन्होंने मीडिया से कहा था कि उनके पास से यह गुम हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह लीक या तो फर्जी है या (इमरान द्वारा) किया गया है। शायद, खान ने अपने समर्थकों से कहा था कि यदि मैं जेल चला जाऊं तो यह दस्तावेज लीक कर देना और दावा करना कि मैं जेल गया क्योंकि अमेरिका यही चाहता था। और यदि यह उनकी तरफ से किया गया है तो निश्चित ही यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है और इसके लिए उनपर मुकदमा चलना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि प्रकाशक ने इस कथित लीक को प्रमाणित करने के लिए अबतक कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘कागज पर कुछ भी टाइप किया जा सकता है। कोई भी नहीं बता सकता कि उस टेलीग्राम में क्या है और क्या नहीं है। उसका पहले सत्यापन होना चाहिए।’’ मिलर ने कहा था, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता कि अमेरिका कहे कि पाकिस्तान के नेतृत्व के लिए उसकी पसंद कौन हैं।’’ उन्होंने कहा था,‘‘मैं इस दस्तावेज की प्रमाणिकता पर कुछ नहीं कह सकता। मैं केवल यह कह सकता हूं कि यदि ये टिप्पणियां शत-प्रतिशत सही हैं, तो भी इनसे यह प्रदर्शित नहीं होता है कि अमेरिकी विदेश विभाग के प्रतिनिधि पाकिस्तान का नेतृत्व तय करेंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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