लद्दाख गतिरोध को सुलझाने के लिए भारत-चीन सैन्य वार्ता रचनात्मक, दूरंदेशी : बीजिंग
वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया, जबकि चीनी प्रतनिनिधमंडल का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया था।
बीजिंग| चीन ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख में टकराव के शेष बिंदुओं पर मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत-चीन वार्ता के 16वें दौर को रचनात्मक और दूरंदेशी करार दिया। इसने कहा कि दोनों देशों द्वारा जारी किए गए संयुक्त बयान में बैठक के बारे में सकारात्मक टिप्पणी की गई। दोनों देशों की सेनाओं के बीच नए दौर की वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की तरफ चुशूल-मोल्दो क्षेत्र में रविवार को हुई थी।
वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया, जबकि चीनी प्रतनिनिधमंडल का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि चीन-भारत के बीच कोर कमांडर स्तर की बैठक रचनात्मक और दूरंदेशी रही। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली।
झाओ ने कहा, उन्होंने अपने नेताओं द्वारा शेष मुद्दों के जल्द से जल्द समाधान के वास्ते काम करने के लिए दिए गए मार्गदर्शन को ध्यान में रखते हुए विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष पश्चिमी क्षेत्र में जमीन पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत होने के साथ ही एक-दूसरे के निकट संपर्क में रहने तथा सैन्य एवं राजनयिक माध्यम से बातचीत बनाए रखने और शेष मुद्दों का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान ढूंढ़ने पर भी सहमत हुए।
झाओ ने कहा, दोनों पक्षों की ओर से एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, जिसमें बैठक के बारे में सकारात्मक टिप्पणी की गई। इन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि भारत ने विवादित सीमा क्षेत्र के पास चीनी विमान के उड़ने पर विरोध दर्ज कराया था, उन्होंने कहा, मुझे आपके द्वारा उठाए गए विशिष्ट प्रश्न के बारे में जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि चीन हमेशा भारत और चीन के बीच हुए प्रासंगिक समझौतों के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य गतिविधियां करता है। इसके साथ ही, हम हमेशा भारतीय पक्ष से इन समझौतों का पालन करने के लिए कहते हैं।
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