नीदरलैंड के पूर्व PM मार्क रूट को सौंपी गई कमान, बताया क्या रहेगी NATO की 3 प्राथमिकताएं
रुटे ने कहा कि यहां आना और नाटो महासचिव का पद संभालना एक बड़ा सम्मान है। महासचिव रुटे ने गठबंधन के लिए अपनी तीन प्राथमिकताओं को रेखांकित किया।
मार्क रुटे ने नाटो महासचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया। ब्रुसेल्स में नाटो मुख्यालय में उनका स्वागत निवर्तमान महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने किया। आने वाले वर्षों में गठबंधन का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी सौंपने के लिए मित्र राष्ट्रों को धन्यवाद देने से पहले रुटे ने कहा कि यहां आना और नाटो महासचिव का पद संभालना एक बड़ा सम्मान है। महासचिव रुटे ने गठबंधन के लिए अपनी तीन प्राथमिकताओं को रेखांकित किया।
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क्या रहेगी 3 प्राथमिकताएं
1. नाटो को मजबूत रखना है और यह सुनिश्चित करना है कि हमारी सुरक्षा सभी खतरों के खिलाफ प्रभावी और विश्वसनीय बनी रहे।
2. यूक्रेन के लिए अपना समर्थन बढ़ाना और उसे नाटो के और करीब लाना है। उन्होंने कहा कि एक मजबूत, स्वतंत्र यूक्रेन के बिना यूरोप में कोई स्थायी सुरक्षा नहीं हो सकती है।
3. हमारी साझेदारी को मजबूत करना है
नाटो क्या है और कैसे अस्तित्व में आया
1948 में बर्लिन की नाकेबंदी की घटना ने अमेरिका के डर को बढ़ा दिया। उसे लगा कि सोवियत संघ से निपटने के लिए एकजुट होने का वक्त आ गया है। इसी क्रम में यह विचार किया जाने लगा कि एक ऐसा संगठन बनाया जाए जिसकी संयुक्त सेनाएं अपने सदस्य देशों की रक्षा कर सके। 4 अप्रैल 1949 को ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड तथा लक्सेमबर्ग ने बूसेल्स की संधि पर हस्ताक्षर किए। इसका उद्देश्य सामूहिक सैनिक सहायता व सामाजिक-आर्थिक सहयोग था। ये पूंजीवादी देशों की सोवियत विस्तार को चुनौती देने के लिए बना सैन्य संगठन था। इन देशों ने एक दूसरे को एक वादा किया है। कैसा वादा- एक दूसरे को खतरे की स्थिति में सहायता देने का वादा यानी सामूहिक सुरक्षा का वादा। किसी एक देश पर हमला तो माना जाएगा सबके सब देशों पर हमला।
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कौन कौन देश इसमें शामिल
अलबानिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्तोनिया, फ़्रान्स, जर्मनी, यूनान, हंगरी, आइसलैण्ड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, मॉन्टिनीग्रो
स्टोलटेनबर्ग ने 2014 में संभाला था पदभार
नाटो के 13वें महासचिव स्टोलटेनबर्ग ने 2014 में पदभार संभाला था। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के 1,000 दिन पूरे होने के साथ ही रूट नाटो के शीर्ष असैन्य अधिकारी बन गए हैं। पदभार ग्रहण करने के बाद, अपने पहले संबोधन में उन्होंने कहा कि एक मजबूत, स्वतंत्र यूक्रेन के बिना यूरोप में कोई स्थायी सुरक्षा नहीं हो सकती है। उन्होंने 32 सदस्यीय संगठन के नेताओं द्वारा 2008 में जताई गई इस प्रतिबद्धता को दोहराया कि यूक्रेन का सही स्थान नाटो में है।
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