श्रीलंका के अनुरोध के बाद भी हंबनटोटा बंदरगाह की ओर बढ़ रहा चीन का जासूसी जहाज युआन वांग 5, भारत ने जताई थी आपत्ति
पने खुफिया मंसूबे को अंजाम देने की चाहत लिए ड्रैगन ने उल्टे इसकी रफ्तार को और बढ़ा दिया। अब ये जहाज हंबनटोटा से मात्र 600 समुद्री मील की दूरी पर पहुंच गया है।
चीन का जासूसी जहाज यूआन वांग 5 श्रीलंका के दौरा स्थगित करने के अनुरोध के बावजूद लगातार हंबनटोटा बंदरगाह की ओर बढ़ रहा है। भारत की नाराजगी को देखते हुए श्रीलंका ने चीन से जासूसी जहाज युआन वांग 5 की यात्रा को टालने का अनुरोध किया था। लेकिन अपने खुफिया मंसूबे को अंजाम देने की चाहत लिए ड्रैगन ने उल्टे इसकी रफ्तार को और बढ़ा दिया। अब ये जहाज हंबनटोटा से मात्र 600 समुद्री मील की दूरी पर पहुंच गया है। चीन की इस हरकत के पीछे विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि अगर श्रीलंका चीनी जहाज को भारत के कहने पर रोकने की कोशिश करते है तो ड्रैगन उसे आईएमएफ से बेलआउट पैकेज लेने से रोक सकता है।
इसे भी पढ़ें: चीन को लेकर विपक्षी पार्टियों पर बरसे राजनाथ सिंह, बोले- देश के सम्मान की बात हो तो राजनीतिकरण न करें
चीन के जहाज के खिलाफ भारत के सख्त ऐतराज के बाद श्रीलंका ने उससे जहाज की यात्रा को टालने का अनुरोध किया था। भारत ने श्रीलंका से साफ कह दिया था कि इससे इस क्षेत्र की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर असर होगा। इसी के बाद श्रीलंका की सरकार ने चीन से कहा कि वो अपने अंतरिक्ष उपग्रह ट्रैकर जहाज की यात्रा को टाल दे। जिसके बाद चीन ने अपने जहाज को श्रीलंका के रूट से हटाकर ताइवान के करीब तैनात कर दिया था। लेकिन फिर अपनी रणनीति में तब्दिली करते हुए उसने पहले इंडोनेशिया के पास पहुंचकर अपनी स्पीड को कम कर दिया। फिर वो अंडमान निकोबार द्वीप समूह की ओर घूम गया। लेकिन फिर बाद में इसे हंबनटोटा की ओर मोड़ दिया गया।
इसे भी पढ़ें: मसूद अजहर को Black List करने के प्रस्ताव को रोकने की चीन की कोशिश को भारत ने बताया 'खेदजनक', कहा- प्रयास रहेगा जारी
भारत को क्यों ऐतराज?
हिंद महासागर के उत्तरी पश्चिमी हिस्से में चीन का इरादा जासूसी करने का था। चीन जहाज से कलपक्कम और कुडनकुलम परमाणु संयंत्रों की जासूसी का खतरा था। भारत ने इसलिए ऐतराज जताया था। ईंधन भरवाने के नाम पर 11 से 17 अगस्त तक हंबनटोटा में ये जहाज रहने वाला था। लेकिन अब इसके हंबनटोटा की ओर मुड़ने की खबर है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अगर श्रीलंका ने भारत के विरोध के बाद चीन के जासूसी जहाज को अनुमति नहीं दी तो अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से उसको मिलने वाला बेलआउट पैकेज ड्रैगन रोक सकता है।
अन्य न्यूज़