जो बाइडेन की जीत से क्या अमेरिका का चीन के प्रति बदलेगा रवैया?

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चीनी विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की युद्ध रणनीति और चीन के प्रतिद्वंदी भारत के प्रति नरम रवैया चीन के लिए अनुकूल नहीं हैऔर बाइडेन का जीतना ही अमेरिकी-चीन संबंधों में थोड़ी नरमी ला सकता है।बीजिंग और संस्कृति विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर यू वानली ने कहा, बाइडेन की नीति ट्रंप की तरह भावनात्मक और हास्यास्पद नहीं होगी।

बीजिंग। चीनी नेताओं को उम्मीद है कि यदि अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन की जीत होती है तो अमेरिका का चीन से व्यापार, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा को लेकर रवैया बदलेगा। लेकिन कोई भी बदलाव केवल शैली में होने की संभावना है क्योंकि अमेरिकी राजनीति के हर हलके में चीन को लेकर निराशा बढ़ रही है। चुनाव के परिणाम कुछ भी होख् रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों के नेता चीन के प्रति नरम रुख अपनाने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं। गत कुछ महीनों में कोरोना वायरस महामारी, प्रौद्योगिकी, व्यापार, सुरक्षा और जासूसी करने जैसे विवादों के कारण अमेरिका-चीन संबंध और कड़वे हो गए हैं। ढेर सारे मुद्दों पर डेमोक्रैटिक और रिपब्लिकन पार्टियेां के बीच तीखे मतभेद के बावजूद चीन के कारोबारी रिकॉर्ड और हांगकांग, ताइवान, तिब्बत तथा शिनजियांग में धार्मिक एवं जातीय अल्पसंख्यकों के प्रति चीन के रवैये को लेकर दोनों पार्टियां आलोचना करती रही हैं।

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चीनी विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की युद्ध रणनीति और चीन के प्रतिद्वंदी भारत के प्रति नरम रवैया चीन के लिए अनुकूल नहीं है और बाइडेन का जीतना ही अमेरिकी-चीन संबंधों में थोड़ी नरमी ला सकता है। बीजिंग और संस्कृति विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर यू वानली ने कहा, कम से कम, बाइडेन की नीति ट्रंप की तरह भावनात्मक और हास्यास्पद नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के देश के सबसे प्रमुख विद्वानों में से एक बीजिंग के रेनमिन विश्वविद्यालय के शी यिनहोंग ने कहा, ‘‘डेमोक्रेट कम उग्र लगते हैं, इसलिए वे सैन्य संघर्षों को रोकने और चीन के साथ समस्यायें सुलझाने और बातचीत पर अधिक ध्यान दे सकते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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