प्रेसिडेंशियल डिबेट में बोले बाइडेन, अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने वाले देश को चुकानी होगी कड़ी कीमत
जो बाइडेन ने कहा कि चुनाव जीतने पर अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने वाले देशों को कड़ा सबक सिखाया जाएगा। बाइडेन ने कहा, ‘‘ मेरे जीतने पर उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।’’ अमेरिकी चुनाव में रूस और ईरान के हस्तक्षेप करने की खुफिया विभाग की रिपोर्टों पर उन्होंने कहा, ‘‘ वे अमेरिकी सम्प्रभुता में हस्तक्षेप कर रहे हैं।’’
वाशिंगटन। राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा कि उनके जीतने पर अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने वाले किसी भी देश को उसकी ‘‘कीमत चुकानी’’ पड़ेगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ नाश्विल के बेलमॉन्ट विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति पद के चुनाव की अंतिम आधिकारिक बहस (प्रेसिडेंशियल डिबेट) के दौरान उनसे पूछा गया था कि वह अमेरिकी चुनाव में विदेशी हस्तक्षेप को कैसे रोकेंगे, जिसके जवाब में उन्होंने यह बयान दिया। बाइडेन ने कहा, ‘‘ मेरे जीतने पर उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।’’ अमेरिकी चुनाव में रूस और ईरान के हस्तक्षेप करने की खुफिया विभाग की रिपोर्टों पर उन्होंने कहा, ‘‘ वे अमेरिकी सम्प्रभुता में हस्तक्षेप कर रहे हैं।’’ वहीं ट्रम्प ने हालिया हस्तक्षेप पर कहा, ‘‘ मुझे इस संबंध में पूर्ण जानकारी हासिल है।’’ इस सप्ताह शीर्ष अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने दावा किया कि अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने के प्रयास के तहत ईरान और रूस दोनों ने अमेरिकी मतदाता पंजीकरण की जानकारी प्राप्त की है।
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बहस के दौरान बाइडेन ने ट्रम्प को आधुनिक इतिहास के ‘‘सबसे बड़े नस्लवादी राष्ट्रपतियों’’ में से एक बताया। पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा कि ट्रम्प ने हर ‘‘ नस्ली घटना को बढ़ावा दिया।’’ वहीं ट्रम्प ने बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर नस्ली भेदभाव के मुद्दे को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘आप ने कुछ नहीं किया लेकिन अपराध विधेयक जिसने लाखों अश्वेत लोगों को जेल पहुंचाया।’’ ट्रम्प ने कहा, ‘‘ मैं इस कक्ष में मौजूद लोगों की तुलना में सबसे कम नस्ली हूं।’’ ऑनलाइन बहस से ट्रम्प के इनकार करने के बाद 15 अक्टूबर को होने वाली दूसरी बहस को रद्द कर दिया गया था। ट्रम्प के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण बाइडेन आमने-सामने बहस करने को लेकर चिंतित थे। इससे पहले, दोनों नेताओं के बीच पिछले महीने हुई पहली बहस काफी गर्मागर्म रही थी, जिसमें कोविड-19, नस्ली भेदभाव, अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे उठाए गए थे।
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