India China News: LAC से पीछे हटी दोनों देश की सेना, अब शुरू होगी पेट्रोलिंग
गलवान क्षेत्र सहित चार बफर जोन के बारे में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। सूत्रों ने कहा है कि कोर कमांडर स्तर पर चर्चा बफर जोन में गश्त फिर से करने की संभावना पर फैसला करेगी। जो देपसांग और डेमचोक क्षेत्र में गश्त की सफल शुरुआत के बाद होगी। दोनों देशों के स्थानीय सैन्य कमांडर दिन के लिए नियोजित कार्यों का समन्वय करने के लिए प्रत्येक सुबह हॉटलाइन पर बातचीत में लगे हुए हैं।
पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक इलाकों में भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हो गई। भारतीय सेना और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी दोनों ही वर्तमान में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास संवेदशील क्षेत्रों में कर्मियों की वापसी और सैन्य बुनियादी ढांचे को खत्म करने की पुष्टि कर रही है। हालांकि इसे वेरिफाई किया जाएगा और ये संयुक्त रूप से होगा। जिसमें ये पुष्टि करना शामिल है कि सहमत शर्तों के मुताबिक पदों को खाली कर दिया गया है और प्रतिष्ठानों को हटा दिया गया है। सूत्रों ने कहा है कि वर्तमान में विश्वास के आधार पर काम किया जा रहा है। गलवान क्षेत्र सहित चार बफर जोन के बारे में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। सूत्रों ने कहा है कि कोर कमांडर स्तर पर चर्चा बफर जोन में गश्त फिर से करने की संभावना पर फैसला करेगी। जो देपसांग और डेमचोक क्षेत्र में गश्त की सफल शुरुआत के बाद होगी। दोनों देशों के स्थानीय सैन्य कमांडर दिन के लिए नियोजित कार्यों का समन्वय करने के लिए प्रत्येक सुबह हॉटलाइन पर बातचीत में लगे हुए हैं।
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प्रोटोकॉल की समीक्षा और संरेखन के लिए प्रतिदिन एक या दो बार निर्देशित बिंदु पर बैठके भी कर रहे हैं। इससे जुड़ा हुआ बड़ा अपडेट जयशंकर के बयान के जरिए आया था। जिसमें 27 अक्टूबर को उन्होंने कहा था कि भारत और चीन जल्द ही लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त फिर से शुरू करेंगे, जो अप्रैल 2020 में सीमा गतिरोध शुरू होने के पहले की व्यवस्था को बहाल करेगा। जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम में कहा था कि सैनिकों के पीछे हटने का) 21 अक्टूबर को जो समझौता हुआ, उसके तहत देपसांग और डेमचोक में गश्त की जाएगी। इससे अब हम अगले कदम पर विचार कर सकेंगे। ऐसा नहीं है कि सबकुछ हल हो गया है, लेकिन सैनिकों के पीछे हटने का पहला चरण है और हम उस स्तर तक पहुंचने में सफल रहे हैं।
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अप्रैल 2020 से पहले जब पट्रोलिंग होती थी, तब ऐसा नहीं होता था। इसलिए तब फेसऑफ भी होते थे। अब फेसऑफ से बचने के लिए यह किया गया है। पट्रोलिंग पर कितने सैनिक जाएंगे, इस सवाल पर सूत्रों ने बताया कि आम तौर पर 10 से 25 सैनिक जाते हैं। जब पट्रोलिंग ज्यादा दूरी की होती है तो करीब 25 सैनिक होते हैं और जब कम दूरी की होती है तो 10 से 15 सैनिक उसमें होते हैं। दोनों देशों के सैनिक उन सभी जगहों पर पट्रोलिंग कर सकेंगे जहां अप्रैल 2020 से पहले करते रहे हैं। इसके साथ ही देपसांग और डेमचॉक में अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति की बहाली हो जाएगी।
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