आजादी के कुछ साल बाद ही महारानी एलिजाबेथ की ताजपोशी में शामिल होने के लिए लंदन पहुंच गए थे नेहरू, झेलनी पड़ी थी आलोचना

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अभिनय आकाश । May 6 2023 5:50PM

लगभग 70 साल पहले 2 जून, 1953 को जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का राज्याभिषेक हुआ था तो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

महाराजा चार्ल्स तृतीय को शनिवार को ऐतिहासिक राज्याभिषेक समारोह में आधिकारिक रूप से सेंट एडवर्ड का ताज पहनाया गया। उनके साथ-साथ उनकी पत्नी कैमिला की भी महारानी के रूप में ताजपोशी की गई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने शनिवार को महाराजा चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक समारोह के लिए एक विशेष संदेश जारी करते हुए इसे ‘एक नये युग की शुरुआत’ बताया। 

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नेहरू हुए थे एलिजाबेथ के राज्याभिषेक में शामिल 

लगभग 70 साल पहले 2 जून, 1953 को जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का राज्याभिषेक हुआ था तो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। नेहरू ने न केवल उत्सव में भाग लिया बल्कि ब्रिटेन के राष्ट्रीय प्रसारक बीबीसी के साथ आयोजित अपने पहले टेलीविजन साक्षात्कार के साथ इस अवसर की बातें भी साझा की थी। घटना के बारे में बात करते हुए नेहरू ने बताया था कि वो भव्य कार्यक्रम से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने लंदन की व्यवस्थित भीड़ और उनके व्यवहार करने के तरीके की जमकर प्रशंसा की। भारत द्वारा ब्रिटिश शासन से मुक्त होने के तुरंत बाद राज्याभिषेक में भाग लेने के अपने निर्णय के लिए नेहरू की भारत में आलोचना हुई थी। बीबीसी साक्षात्कार के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या उनके राज्याभिषेक में आने के बारे में भारत में कोई आलोचना नहीं होगी, नेहरू ने कहा कि होगी, लेकिन इससे कुछ नहीं होता। 

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तीन बार दिल्ली दरबार कर चुका था मेजबानी

वैसे आपको बता दें कि 1953 में जब महारानी एलिजाबेथ की ताजपोशी हुई, भारत राज्याभिषेक समारोह के लिए अजनबी नहीं था। 1877, 1903 और 1911 में तीन दिल्ली दरबारों की मेजबानी की थी। ये दरबार नई दिल्ली में कनॉट प्लेस से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित कोरोनेशन पार्क में आयोजित किए गए थे। 1953 में महारानी एलिजाबेथ के सिंहासन पर बैठने तक, भारत न केवल एक स्वतंत्र गणराज्य था, बल्कि राष्ट्रमंडल राष्ट्रों में शामिल होकर ब्रिटिश शासन की बेड़ियों को तोड़ दिया था, केवल इस शर्त पर कि वह क्राउन के प्रति निष्ठा की शपथ लेने पर ही मुक्त होगी। 

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