साइटोमेगालो वायरस क्या है? इसके क्या-क्या लक्षण हैं? यह कैसे फैलता है?

cytomegalo virus

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जन्मजात साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) संक्रमण से पैदा हुए बच्चों में सबसे आम और दीर्घकालिक असर रखने वाली स्वास्थ्य समस्या बहरापन है, जिसे जन्म के तुरंत बाद ही पता लगाया जा सकता है, यानि कि बाद में यह बचपन में भी विकसित हो सकता है।

यदि आप कोविड 19 यानी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तो आपके लिए कतिपय मामलों में अतिशय सावधानी जरूरी है। यह प्रबल संभावना है कि आप साइटोमेगालो वायरस के भी शिकार हो सकते हैं। इसलिए अब आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि साइटोमेगालो वायरस क्या है? इसके होने के क्या-क्या लक्षण हैं? यह आमलोगों में कैसे फैलता है? क्या यह जीवन भर आपके साथ रहता है? और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि यह बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?

इसे भी पढ़ें: क्या होता है ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’, किस तरह इस बीमारी से बाहर आने में मिलेगी मदद?

यह बताने से पहले आपको स्पष्ट कर दूं कि यदि आप कोरोना वायरस कोविड 19 से संक्रमित हुए थे और फिर ठीक हो गए हैं तो कदापि निश्चिंत नहीं होइए। क्योंकि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी कतिपय लोगों को विभिन्न तरह की समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है। ऐसे लोगों ने पहले ब्लैक फंगस, उसके बाद व्हाइट फंगस, फिर येलो फंगस, ततपश्चात ग्रीन फंगस का खतरा झेला। इससे उत्पन्न परेशानियों के निदान के लिए जगह जगह भटके। और अब एक नए वायरस से संक्रमण की खबरें सामने आ रही हैं, जिसका नाम साइटोमेगालो वायरस है? 

समाचार माध्यमों के अनुसार, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल ने कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज करा चुके मरीजों में साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) के मिलने का सनसनीखेज खुलासा किया है। क्योंकि देश में अब तक इसके पांच मरीज मिल चुके हैं। बताया गया है कि गंगाराम अस्पताल में भर्ती इन मरीजों की उम्र लगभग 30 से 70 साल के बीच है। चिकित्सकों के मुताबिक, इन मरीजों को पेट में दर्द और मल में खून बहने की परेशानी के बाद भर्ती किया गया है, जिनमें से एक मरीज की मौत हो चुकी है। इस मेडिकल रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद कोरोना संक्रमित होकर फिर से ठीक हुए मरीजों की दुश्चिंताएं बढ़ गई हैं।

इसलिए आइए आज यहां पर हम जानते हैं कि ये साइटोमेगालो वायरस आखिर में क्या है और इस वायरस से संक्रमित होने के क्या क्या लक्षण हैं? शकाई न्यूरो केअर सेंटर, द्वारिका और नजफगढ़ न्यूरो केअर सेंटर, वेस्ट दिल्ली के प्रख्यात न्यूरोसर्जन डॉ मनीष कुमार बताते हैं कि साइटोमेगालो वायरस एक सामान्य सा दिखने वाला वायरस है, जो आमतौर पर किसी भी व्यक्ति के शरीर में निष्क्रिय पड़ा रहता है। लेकिन यह कोविड 19 के शिकार लोगों को जल्दी अपनी गिरफ्त में ले लेता है।

उन्होंने सीडीसी का हवाला देते हुए आगे बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली ही आमतौर पर इस वायरस को बीमारी पैदा करने से बचाती है। वहीं, यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक प्रणाली यानी इम्यूनिटी कमजोर है तो उस व्यक्ति को साइटोमेगालो वायरस से संक्रमित होने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। 

वहीं, सीडीसी के अनुसार पता चलता है कि दुनिया के सुपर पावर अमेरिका में पांच साल की उम्र तक के हर तीन में से एक बच्चा साइटोमेगालो वायरस से पहले से ही संक्रमित हो चुका है। वहीं, 40 वर्ष की आयु तक के आधे से अधिक वयस्क मरीज सीएमवी यानी साइटोमेगालो वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।

इसे भी पढ़ें: दूध में कैस्टर ऑयल मिलाकर पीने से मिलते हैं यह जबरदस्त फायदे, जानिए

न्यूरोसर्जन डॉ मनीष कुमार आगे बताते हैं कि जब एक बार साइटोमेगालो वायरस यानी सीएमवी किसी व्यक्ति के शरीर में येन केन प्रकारेण प्रवेश कर जाता है, तो वह आजीवन मतलब जीवन भर वहीं पर बना रहता है और मौका पाकर कभी कभी फिर से सक्रिय हो सकता है। यही नहीं, एक व्यक्ति इस वायरस के एक अलग तरह के स्ट्रेन (किस्म) से फिर से कभी भी संक्रमित हो सकता है। 

     

सीडीसी के अनुसार, कुछ मामलों में स्वस्थ लोगों में इसके संक्रमण से हल्की बीमारी भी हो सकती है, जैसे कि उनमें बुखार, गले में खराश, थकान और ग्रंथियों में सूजन जैसे लक्षण भी कभी कभार दिख सकते हैं। यही नहीं, कभी-कभी, साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) मोनोन्यूक्लिओसिस या हेपेटाइटिस यानी कि लीवर की समस्या का कारण भी बन सकता है। 

बताया जाता है कि कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र (वीक इम्युनिटी सिस्टम) वाले लोग यदि साइटोमेगालो वायरस से संक्रमित होते हैं, तो उनमें आंखों, फेफड़े, लिवर, पेट और आंतों को प्रभावित करने वाले अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं। वहीं, साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) के साथ पैदा होने वाले शिशुओं में मस्तिष्क, लिवर, प्लीहा, फेफड़े और शरीर के विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जन्मजात साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) संक्रमण से पैदा हुए बच्चों में सबसे आम और दीर्घकालिक असर रखने वाली स्वास्थ्य समस्या बहरापन है, जिसे जन्म के तुरंत बाद ही पता लगाया जा सकता है, यानि कि बाद में यह बचपन में भी विकसित हो सकता है। जिससे भावी पीढ़ी भी अछूती नहीं बचेगी। इससे समझा जा सकता है कि कोरोना वायरस संक्रमण कितना खतरनाक है और इससे जीवन का कई हिस्सा किस हद तक प्रभावित हो सकता है।

इसे भी पढ़ें: कोविड से बचाव के लिए सुबह खाली पेट खाएं ये 3 चीजें, इस तरह बूस्ट होगी इम्यूनिटी!

डॉ मनीष कुमार बताते हैं कि सीएमवी यानी कि साइटोमेगालो वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों के तरल पदार्थ, जैसे लार, मूत्र, रक्त, आंसू, वीर्य एवं स्तनपान के माध्यम से साइटोमेगालो वायरस एक से दूसरों में फैल सकते हैं। उन्होंने कहा कि साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) एक संक्रमित व्यक्ति से निम्न तरीकों से दूसरों में फैलता जाता है:- पहला, लार या मूत्र के सीधे संपर्क से, विशेष रूप से शिशुओं यानी छोटे बच्चों से। दूसरा, यौन संपर्क के माध्यम से। तीसरा, दुग्धपान या स्तनपान के माध्यम से। चतुर्थ, शिशुओं में प्रत्यारोपित अंगों और ब्लड ट्रांसफ्यूजन (रक्त आधान) के माध्यम से। इन बातों से साफ है कि कोरोना वायरस प्रकोप से ग्रसित मरीजों को साइटोमेगालो वायरस के लक्षण से सावधान रहना चाहिए और दिए हुए कोई भी लक्षण में से एक भी नजर आए तो बिना समय गंवाए ही चिकित्सक से उसका इलाज करवाना चाहिए, ताकि आपका जीवन महफूज रह सके और यह देश आपके सद्गुणों से लाभान्वित होता रहे।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़