Skin Pigmentation: पिगमेंटेशन ने छीन ली चेहरे की रौनक, इन आसान उपायों से करें अपना इलाज
खूबसूरत दिखना हर किसी की चाहत है। सभी चाहते हैं कि उनकी त्वचा हमेशा दमकती रहे। स्किन की एक समस्या पिगमेंटेशन भी है। इसमें चेहरे पर छोटे-छोटे निशान आ जाते हैं। लेकिन कई मामलों में यह मेडकल समस्या के लक्षण भी होते हैं।
खूबसूरत दिखना हर किसी की चाहत है। सभी चाहते हैं कि उनकी त्वचा हमेशा दमकती रहे। लेकिन ऐसा नहीं होता है। लोगों को अक्सर स्किन संबंधी समस्याएं होती रहती हैं। इन्हीं स्किन संबंधी समस्याओं में से एक पिगमेंटेशन है। इसके बारे में जानना जरूरी है कि पिगमेंटेशन क्या है, यह कितने प्रकार का होता है और यह क्यों होता है। साथ ही यह भी जानेंगे किस तरह से इसका इलाज किया जाता है।
जानिए क्या है पिगमेंटेशन
हमारी स्किन पर पड़ने वाले काले धब्बों और कहीं-कहीं स्किन का रंग डार्क हो जाता है। इसे हाइपरपिगमेंटेशन कहते हैं। किसी के फेस पर छोटे-छोटे निशान होते हैं, तो किसी के चेहरे पर यह निशान काफी बड़े होते हैं। हांलाकि यह हानिकारक नहीं होते हैं। लेकिन कई मामलों में यह मेडकल समस्या के लक्षण भी होते हैं। इससे आपकी स्किन अस्वस्थ दिखाई देती है।
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कितने प्रकार का होता है पिगमेंटेशन
बता दें कि पिगमेंटेशन दो तरह की होती है। हाइपोपिगमेंटेशन और हाइपर पिगमेंटेशन। हाइपर पिगमेंटेशन स्किन की एक नॉर्मल समस्या होती है। हाइपर पिगमेंटेशन होने पर स्किन के एक हिस्से का रंग बाकी हिस्से के रंग से गहरा हो जाता है। हांलाकि यह एक आम समस्या है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि आपकी त्वचा में मेलानिन का लेवल बढ़ जाना। करीब-करीब इस समस्या का सामना पूरी दुनिया को करना पड़ रहा है।
मेलेस्मा की समस्या
ज्यादातर वयस्कों में मेलेस्मा या फिर झाईं की समस्या पाई जाती है। मेलेस्मा के होने पर फेस के दोनों तरफ जैसे, गाल, माथा, नाक और ऊपरी होंठ आदि पर भूरे रंग के निशान आ जाते हैं। पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा यह समस्या 10 फीसदी पाई जाती है। तो वहीं महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। बता दें कि पिगमेंटेशन एक तरह का लिवर स्पॉट भी है। इन्हें ढलती उम्र के निशान भी कहा जाता है। यह पिगमेंटेशन का एक रूप होता है। अगर आप धूप में ज्यादा समय बिताते हैं, तो आपको पिगमेंटेशन होने के अधिक चांसेज होते हैं। यह हाथों और चेहरे पर होता है।
झाइयों की समस्या होना
त्वचा से जुड़ी सामान्य समस्याओं में से झाइयां भी है। इस समस्या को अधिकतर लोग वंशानुगत मानते हैं।
पीआईएच
पीआईएच को पोस्ट इन्फ्लेमेटरी हाइपर पिगमेंटेशन कहा जाता है। स्किन पर चोट लगने के बाद कई बार यह समस्या हो जाती है। वहीं कई बार लेजर थेरेपी लेने से भी पोस्ट इन्फ्लेमेटरी हाइपर पिगमेंटेशन होती है। इसके अलावा मार्केट में कई ऐसे प्रोडक्ट मिलते हैं, जो हमारी त्वचा के लिए काफी हानिकारक माने जाते हैं। इस प्रोडक्ट का अधिक इस्तेमाल करने से यह समस्या होती है।
पिगमेंटेशन से कैसे करें बचाव
इस समस्या से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि आप ज्यादा धूप के संपर्क में न आएं। वहीं धूप में कहीं बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं। इस समस्या से बचने के लिए आपको अच्छी क्वालिटी की 30 एसपीएफ वाली सनस्क्रीन लगाएं। सनस्क्रीन अप्लाई करने से आपकी त्वचा ड्राई नहीं होती है। इससे आपकी स्किन नर्म रहती है। सनस्क्रीन में केमिकल जैसे मिनरल ऑयल, पैराबेन, सिलिकॉन आदि से नहीं होता है। इसको लगाने से ना सिर्फ आपका फेस पिगमेंटेशन से बच सकता है, बल्कि आपके फेस पर भी निखार आता है।
लेजर थेरेपी
अगर आपको सनस्क्रीन से फायदा नहीं हो रहा है, तो आप लेजर तकनीक का भी सहारा ले सकती हैं। लेकिन लेजर ट्रीटमेंट के कई सेशन लेने के बाद आपको इस समस्या से छुटकारा मिलता है।
कच्चा आलू
इसके अलावा आप पिगमेंटेशन से राहत पाने के लिए कच्चे आलू का भी इस्तेमाल किया जाता है। कच्चे आलू में हमारी त्वचा के लिए पोषक तत्व होता है। आलू को छीलकर स्किन पर मलने से आपको पिगमेंटेशन से राहत मिलेगी।
नींबू और शहद का इस्तेमाल
स्किन को बेदाग बनाने के लिए नींबू और शहद फायदेमंद माना जाता है। जहां नींबू चेहरे से दाग-धब्बे हटाने का काम करता है, तो वहीं शहद स्किन में कसाव लाने का काम करता है। नींबू और शहद को मिक्स कर फेस पर 10 मिनट के लिए लगाएं। फिर नॉर्मल पानी से फेस धो लें।
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