Jaundice Newborns: पीलिया में शिशु के लिए रामबाण इलाज है मां की ब्रेस्टफीडिंग, दवाओं से भी तेज करती है काम

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नवजात बच्चों में पीलिया होना आम बात होती है। इस दौरान आंख व शरीर पीला पड़ जाता है। लेकिन मां ब्रेस्टफीडिंग के जरिए बच्चे में पीलिया के लक्षणों को कम करने में सहायक होती है।

नवजात बच्चों को पीलिया सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली आम स्वास्थ्य समस्‍याओं में से एक है। इसमें नवजात की आखों और स्किन पीली पड़ जाती है। बता दें कि पीलिया होने पर खून के अंदर बिलरूबिन की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है। यूके नेशनल हेल्‍थ सर्विस के मुताबिक 10 में 6 नवजात पीलिया का शिकार हो जाते हैं। जिनमें से 10 में से 8 बच्चे प्रीमैच्‍योर होते हैं। इन शिशुओं का जन्म प्रेग्‍नेंसी के 37वें हफ्ते से पहले हुआ होता है। आइए जानते हैं कि अगर नवजात बच्चे को पहले साल में पीलिया हो गया है, तो आपको कैसे उसका ख्याल रखना चाहिए।

इतनी बार पिलाना चाहिए दूध

Mayo clinic के मुताबिक नवजात बच्चे को पीलिया से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चे को सही से दूध पिलाना चाहिए। दूधमुंहे शिशु को पैदा होने के बाद कुछ ही दिनों के अंदर बच्चे को 10 से 12 बार दूध पिलाना चाहिए। पहले कुछ हफ्तों में हर दो से तीन घंटों में नवजात शिशु को 30 से 60 मिली दूध पिलाना जरूरी होता है।

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जानिए क्या है ट्रीटमेंट

अगर आपके बच्चे को पीलिया हो गया है तो उसे ब्रेस्‍टफीडिंग जरूर करवाना चाहिए। इस स्थिति में डॉक्‍टर भी ब्रेस्‍टफीडिंग करवाते रहने की सलाह देते हैं। इसके अलावा नवजात को लाइटथेरेपी दी जाती है। इसके तहत नवजात को एक स्पेशल लैंप के नीचे रखा जाता है। स्पेशल लैंप से ब्‍लू-ग्रीन स्‍पेक्‍ट्रम में रोशनी निकलती है। हालांकि कुछ जटिल और दुर्लभ मामलों में नवजात को खून भी चढ़ाया जाता है।

ब्रेस्‍टमिल्‍क क्यों है जरूरी

Clevelandclinic के मुताबिक नवजात को पीलिया होना आम है। इस से बचा नहीं जा सकता है। लेकिन ब्रेस्‍टफीडिंग के जरिए नवजात में पीलिया को गंभीर होने से रोका जा सकता है। क्योंकि हर थोड़ी देर में जब नवजात को दूध पिलाया जाता है तो वह ज्यादा मल त्याग करता है। मल के जरिए उसके शरीर से बिलरूबिन निकल जाता है। अगर आप नवजात को फॉर्मूला मिल्‍क दे रही हैं तो बच्चे को पहले कुछ हफ्तों में हर 2 से 3 घंटे में 30 से 60 मिली दूध पिलाना चाहिए। बच्चे को 24 घंटे के अंदर कम से कम 8 बार दूध पिलाना चाहिए।

जरूर करवाएं चेकअप

डिलीवरी के बाद अगर नवजात में पीलिया के लक्षण नजर आते हैं तो हॉस्पिटल में बच्चे का बिलरूबीन लेवल चेक करवा लें। नवजात के होने के कुछ दिन बाद फिर से फॉलोअप लेना न भूलें। अगर आप चाहें तो दोबारा बिलरूबीन लेवल चेक करवा सकते हैं। इससे नवजात को पूरे तरीके से पीलिया से निजात दिलाई जा सकती है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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