सुबह-सुबह बस 15 मिनट करें ये योगासन, नहीं होगी स्ट्रेस और एंग्जायटी की समस्या

yoga for stress and anxiety

रोज़मर्रा की जिंदगी में तनाव या चिंता होना तो आम है लेकिन कभी-कभी यह चिंता इतनी ज़्यादा बढ़ जाती है कि एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारियों में बदल जाती है। आज के इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे योगासन बताएंगे जो स्ट्रेस और एंग्जायटी की समस्या कम करने में आपकी मदद करेंगे।

आजकल की भाग-दौड़ भरी और व्यस्त जीवनशैली में हम कहीं ना कहीं अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज कर देते हैं। आज के समय में कंपटीशन इतना ज़्यादा बढ़ गया है कि हर कोइ सबसे आगे रहना चाहता है। लेकिन कई बार इसका हमारी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आज के समय में बच्चे से लेकर बूढ़े तक, हर कोई तनाव और चिंता का शिकार है। बच्चों को पढ़ाई और अच्छे मार्क्स की चिंता रहती है तो बड़ों को नौकरी व अन्य चीज़ों की चिंता। हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में तनाव या चिंता होना तो आम है लेकिन कभी-कभी यह चिंता इतनी ज़्यादा बढ़ जाती है कि एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारियों में बदल जाती है। इससे बचने के लिए बहुत जरूरी है कि आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। आज के इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे योगासन बताएंगे जो स्ट्रेस और एंग्जायटी की समस्या कम करने में आपकी मदद करेंगे - 

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उष्ट्रासन

इस आसन में ऊंट की मुद्रा बनाई जाती है और शरीर को पीछे की तरफ झुकाया जाता है। इस आसान को करने के लिए जमीन पर घुटने के बल बैठ जाएं और दोनों हाथों को कूल्हों पर रखें। ध्यान रखें कि आपके घुटने कंधों के समानांतर हों और पैरों के तलवे छत की तरफ हों। अब सांस को अंदर लें और रीढ़ की निचली हड्डी को आगे की तरफ जाने का दबाव डालें। इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए। इसे करने के दौरान अपनी कमर को पीछे की तरफ मोड़ें। अब धीरे-धीरे हथेलियों की पकड़ पैरों पर मजबूत बनाएं और अपनी गर्दन को ढीला छोड़ दें। गर्दन पर बिल्कुल भी तनाव न दें। इस अवस्था में 30 से 60 सेकेंड तक रहें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पुरानी अवस्था में वापस लौट आएं।

               

बुद्ध कोणासन

इस आसन को बटरफ्लाई पोज भी कहा जाता है। इस आसन को करने के लिए सीधे बैठ जाएं और अपने पैरों को आगे की ओर लेकर आएं। अब अपनी टांगों को आगे फैला लें। अब अपनी टांगों को अंदर की ओर इस तरह से मोड़ें कि अपके दोनों पैरं एक दूसरे से टच हो जाएं। अपने घुटनों को सीधा रखें और अपनी एड़ियों को अपनी जांघों के पास लाने की कोशिश करें। जितना हो सके अपने पैरों को नीचे रखें।

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पश्चिमोत्तानासन

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले ज़मीन पर सीधा बैठ जाएं और दोनों पैरों को फैलाकर एक-दूसरे से सटाकर रखें। अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। इस दौरान आपकी कमर बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए। अब झुककर दोनों हाथों से अपने पैरों के दोनों अंगूठे पकड़ें। ध्यान रखें कि इस दौरान आपके घुटने मुड़ने नहीं चाहिए और पैर भी जमीन से सटे हुए होने चाहिए।


दंडासन 

इस आसन को करने के लिए आप सीधा बैठे जाएं और अपनी टांगों को सीधा फैला लें। अब अपने पैरों की उंगलियाँ को अंदर करें और मोड़ें, लेकिन तलवों को बहार की ओर रखें। बाजुओं को कमर के बराबर सीधा रखें और अपनी हथेलियां हिप्स के साथ बराबर जमीन पर सटा लें। अब अपने सिर को नीचे की और झुकाकर नजर से अपने नाक को देखिए। इस प्रक्रिया को 5-6 बार दोहराएं।

- प्रिया मिश्रा 

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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