अनारकली ऑफ आरा में स्वरा भास्कर का जानदार अभिनय
फिल्म के निर्देशक अविनाश दास की खासियत रही कि जिस पात्र का रोल निभाने के लिए जो कलाकार लिया है वह चयन बिलकुल सही नजर आता है।
इस सप्ताह प्रदर्शित निर्देशक अविनाश दास की फिल्म 'अनारकली ऑफ आरा' पांच साल पहले बननी शुरू हुई थी लेकिन किसी कारण से फिल्म शुरुआत में ही अटक गयी और बाद में निर्देशक ने अधिकतर कलाकारों को बदल दिया। पहले लीड रोल को रिचा शर्मा करने वाली थीं लेकिन फिर बाद में इसे स्वरा भास्कर को दिया गया। स्वरा बहुत अच्छी अभिनेत्री हैं लेकिन उन्हें लीड रोल कम ही मिलते हैं। इससे पहले वह 'निल बटे सन्नाटा' में लीड रोल में अपने काम का लोहा मनवा चुकी हैं। निर्देशक की खासियत रही कि जिस पात्र का रोल निभाने के लिए जो कलाकार लिया है वह चयन बिलकुल सही नजर आता है।
फिल्म की कहानी बिहार के आरा जिले की है। यहां रहने वाली लोक गायिका अनारकली (स्वरा भास्कर) की मां भी स्टेज पर परफॉर्म करती है। एक बार एक शादी समारोह में फंक्शन के दौरान अनारकली की मां मारी जाती है तो अनारकली अकेली रह जाती है। वह बाद में रंगीला (पंकज त्रिपाठी) के आर्केस्ट्रा ग्रुप के साथ जुड़ जाती है। वह इस ग्रुप की ताकत है क्योंकि उसके डांस पर देखते ही देखते स्टेज पर नोट बरसने लगते हैं। एक बार उन्हें पुलिस थाने में कार्यक्रम करना होता है जहां एक विश्वविद्यालय का वीसी धर्मेन्द्र चौहान (संजय मिश्रा) चीफ गेस्ट बनकर आया हुआ है। अनारकली जब डांस कर रही होती है तो चौहान का दिल उस पर आ जाता है और वह उससे सबके सामने छेड़खानी करने लगता है। अनारकली बहुत बर्दाश्त करती है लेकिन जब उसकी हरकतें बरदाश्त के बाहर हो जाती हैं तो वह सबके सामने चौहान को चांटा जड़ देती है। स्टेज पर पब्लिक के बीच एक नाचने वाली से तमाचा खाने के बाद चौहान अब किसी भी कीमत पर अनारकली को हासिल करना चाहता है। ऐसे में अनारकली का एक और संघर्ष शुरू हो जाता है।
अभिनय के मामले में स्वरा ने साबित किया है कि यदि उन्हें लीड रोल मिलें तो वह अपने आप को साबित कर सकती हैं। नायिका प्रधान फिल्में बनाने वाले निर्माताओं का ध्यान स्वरा पर जरूर जाएगा। संजय मिश्रा अपनी कॉमेडी से दर्शकों का दिल जीतते रहे हैं लेकिन इस फिल्म में वह विलेन के रूप में छा गये। संभव है आगे भी वह नकारात्मक किरदारों में पर्दे पर दिखें। पंकज त्रिपाठी और अन्य कलाकारों का काम ठीकठाक रहा। फिल्म में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में बोली जाने वाली भोजपुरी में संवादों की भरमार है जोकि संभव है मल्टीप्लेक्स के दर्शकों को नहीं भाए। फिल्म में द्विअर्थी संवाद भी काफी हैं। फिल्म छोटे सेंटरों पर अच्छा बिजनेस कर सकती है। फिल्म का गीत संगीत औसत दर्जे का ही है।
कलाकार- स्वरा भास्कर, पकंज त्रिपाठी, संजय मिश्रा और निर्देशक- अविनाश दास।
प्रीटी
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