देवउठनी एकादशी के बाद शुरू हो जाएंगे शादी-विवाह और मांगलिक कार्य, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी 14 नवंबर(रविवार) को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं।
हिंदू धर्म में एकादशी पर्व का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार एक महीने में दो एकादशी तिथि पड़ती हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी 14 नवंबर 2021 (रविवार) को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल की एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल की एकादशी को जागते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह की परंपरा है। इसी के साथ देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत होता है और इस दिन से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
इसे भी पढ़ें: Gyan Ganga: पूतना के सभी पापों को नजरंदाज करके प्रभु ने उसे भी परम गति प्रदान की
शुभ मुहूर्त-
कार्तिक शुक्ल एकादशी प्रारंभ - 14 नवंबर को 05 बजकर 48 मिनट
कार्तिक शुक्ल एकादशी समाप्त - 15 नवंबर को 06 बजकर 39 मिनट
देवउठनी एकादशी पूजा विधि -
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह प्रात: जल्दी उठ कर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
इसके बाद मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करके उन्हें स्नान करवाएं और साफ धुले हुए वस्त्र पहनाएं।
भगवान विष्णु के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें और उनकी विधि- विधान से पूजा करें।
भगवान को फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करें और उनकी आरती करें।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।
भगवान विष्णु को भोग लगाएं और प्रसाद घर में सभी को बांटे और खुद भी ग्रहण करें।
- प्रिया मिश्रा
अन्य न्यूज़