Durga Visarjan 2024: आज मां दुर्गा को किया जाएगा विदा, जानिए विर्सजन का मुहूर्त और विधि

Durga Visarjan
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हर साल दशमी तिथि यानी की दशहरा के दिन शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा का समापन होता है। जो भी लोग अपने घरों पर मां दुर्गा की मूर्ति रखते हैं, वह दशहरा के दिन मां दुर्गा का विसर्जन करते हैं।

आज यानी की आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को शारदीय नवरात्रि की समाप्ति हो गई है। हर साल दशहरा के दिन शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा का समापन होता है। जो भी लोग अपने घरों पर मां दुर्गा की मूर्ति रखते हैं, वह दशहरा के दिन मां दुर्गा का विसर्जन करते हैं। जो लोग शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों का व्रत करते हैं, वह दशमी तिथि को व्रत का पारण करते हैं।

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दुर्गा विसर्जन करते हैं। दुर्गा विसर्जन के लिए श्रवण नक्षत्र भी अच्छा माना जाता है। बता दें कि इस साल दुर्गा विसर्जन के दिन यानी की आज 3 शुभ संयोग बन रहे हैं। तो आइए जानते हैं दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त और महत्व और 3 शुभ संयोग के बारे में...

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दुर्गा विसर्जन

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 मिनट से अश्विन मा​ह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरूआत हो रही है। वह अगले दिन यानी की 13 अक्तूबर की सुबह 09:08 मिनट पर इसका समापन होता है। ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से 12 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन किया जाएगा।

3 शुभ संयोग

बता दें कि इस साल दुर्गा विसर्जन के मौके पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं। सुबह 05:25 मिनट से श्रवण नक्षत्र की शुरूआत हो रही है, जोकि 13 अक्तूबर को सुबह 04:27 मिनट तक रहेगा। वहीं सुबह 06:20 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जोकि 13 अक्तूबर की सुबह 04:27 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा आज रवि योग भी बन रहा है। जोकि पूरा दिन रहेगा।

दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त

आज यानी की 12 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त दोपहर में 01:17 मिनट से लेकर दोपहर 03:35 मिनट तक है। ऐसे में दुर्गा विसर्जन के लिए 02 घंटे 19 मिनट का समय है। वहीं दशहरा के दिन श्रवण नक्षत्र और दशमी तिथि दोपहर में प्राप्त हो रहे हैं, तो यह समय दुर्गा विसर्जन के लिए उपयुक्त है।

दुर्गा विसर्जन का मंत्र

गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।

पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।

क्यों करते हैं दुर्गा विसर्जन

धार्मिक मान्यता के मुताबिक नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा अपने ससुराल कैलाश से धरती पर अपने मायके आती हैं। वहीं 9 दिन मायके में रहने के बाद वह फिर अपने ससुराल वापस लौटती हैं। ठीक वैसे ही जैसे एक बेटी ससुराल से अपने मायके आती है और कुछ दिन रहने के बाद वापस ससुराल लौट जाती है। इस कारण हर साल प्रतिपदा तिथि को लोग मां दुर्गा का आह्वान कर कलश स्थापना करते हैं। इस दौरान लोग व्रत रखते हैं औऱ 9 दिनों तक विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करते हैं। फिर दशमी को मां दुर्गा को विदा कर देते हैं।

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