मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान होता है फलदायी
हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या के रूप में मनाते हैं। इस दिन माघ का दूसरा शाही स्नान होता है। प्रयागराज में हर साल लगने वाले माघ मेले में मौनी अमावस्या को लाखों को श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करने को पहुंचते हैं।
आज मौनी अमावस्या है, इस दिन देश भर में पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है तो आइए हम आपको मौनी अमावस्या के महत्व के बारे में बताते हैं।
मौनी अमावस्या के बारे में जानकारी
इस तिथि पर मौन रखने का विशेष महत्व है। इस दिन मौन रहने का अर्थ है मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही माघ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या कहलाती है। माघ मास में गोचर करते हुए भुवन भास्कर भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो ज्योतिष शास्त्र में उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता हैं। इस बार मकर राशि मे बन रहा है चतुष्ग्रही योग। वैसे तो जब सूर्य और चंद्रमा का एक साथ गोचरीय संचरण शनि देव की राशि मकर में होता है तब उस महत्त्वपूर्ण पूण्य तिथि को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस वर्ष जहाँ सूर्य पुत्र शनि देव स्वगृही होकर मकर राशि मे गोचर कर रहे है , वही चंद्रमा भी अपने पुत्र बुध के साथ बुधादित्य योग का निर्माण करके मकर राशि में गोचर करते हुए इस दिन की शुभता को बढ़ाने वाले है।
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मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में लगता है विशेष मेला
हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या के रूप में मनाते हैं। इस दिन माघ का दूसरा शाही स्नान होता है। प्रयागराज में हर साल लगने वाले माघ मेले में मौनी अमावस्या को लाखों को श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करने को पहुंचते हैं। लेकिन इस बार माघ अमावस्या साल 2022 की पहली सोमवती अमावस्या है। इसलिए इस अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है। लेकिन इस बार अमावस्या दिन रहेगी जिससे लोग सोमवार व मंगलवार दोनों दिन स्नान-दान का पुण्य प्राप्त कर सकेंगे।
पंडितों ने मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि माघ के महीने में देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। वहीं मौनी अमावस्या के दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं और इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है। इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन कई गुना फल देता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रखना, गंगा स्नान करना और दान देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। अमावस्या के विषय में कहा गया है कि इस दिन मन, कर्म तथा वाणी के जरिए किसी के लिए अशुभ नहीं सोचना चाहिए। केवल बंद होठों से " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: तथा "ॐ नम: शिवाय " मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य देने से पापों का शमन एवं पुण्य की प्राप्ति होती है।
शुभ योग में मौनी अमावस्या, इन कार्यों को करने से बचें
इन दिन गरीबों, असहाय तथा पूर्वजों का अपमान करने से बचें इससे नुकसान होता है। इससे शनिदेव नाराज होते हैं। साथ ही धोखाधड़ी तथा झूठ से भी बचना चाहिए।
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का है खास महत्व
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्वर्ग से आकर देवता वास करते हैं इसलिए गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन प्रयागराज तथा हरिद्वार में स्नान विशेष फलदायी होता है।
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मौनी अमावस्या के दिन क्यों करें ये खास काम
इस दिन स्नान के बाद आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं इससे सभी दुख-दर्द खत्म हो जाते हैं। साथ ही पंडितों के अनुसार इस दिन चीटिंयों को आटे में शक्कर मिलाकर खिलाना लाभदायी होता है। इससे समृद्धि आती है। इसके अलावा गरीबों को कपड़े और तिल दान करना चाहिए इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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