Budh Pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष व्रत से वैवाहिक जीवन में आती है खुशहाली

Budh Pradosh Vrat
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बुध प्रदोष व्रत से पति-पत्नी के रिश्ते बेहतर होते हैं। धन प्राप्ति के रास्ते खुलते हैं। संतान सुख मिलता है। साथ ही आज बुधवार भी है। ऐसे में पिता शिव की पूजा संग पुत्र गणपति जी की भी उपासना करें। उन्हें भोग लगाएं।

आज बुध प्रदोष व्रत है, यह व्रत महीने में दो बार पड़ता है। प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत भी कहा जाता है। यह मां पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है तो आइए हम आपको बुध प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

जानें बुध प्रदोष व्रत के बारे में 

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित व्रत है। हर माह की त्रयोदशी तिथि में प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है। त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने पर महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख शांति का आगमन होता है। प्रदोष व्रत हर महीने में दो दिन रखा जाता है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत 19 जून दिन बुधवार को है। प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होता है, इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। भगवान शिव की कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम पल में संवर जाते हैं, इसके साथ ही आय, आयु, सुख और सौभाग्य में मन मुताबिक बढ़ोतरी होती है।

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बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

पंडितों के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 जून को सुबह 07 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 20 जून को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा। आज भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष काल का समय शाम 07 बजकर 22 मिनट से 09 बजकर 22 मिनट तक है।

बुध प्रदोष पर करें ये उपाय

बुध प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति के साथ ही कर्ज की मुक्ति से जुड़े प्रयास सफल रहते हैं। इस दिन भोलेनाथ का पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें भांग चढ़ाएं।

बुध प्रदोष व्रत से मिलते हैं ये फायदे

बुध प्रदोष व्रत से पति-पत्नी के रिश्ते बेहतर होते हैं। धन प्राप्ति के रास्ते खुलते हैं। संतान सुख मिलता है। साथ ही आज बुधवार भी है। ऐसे में पिता शिव की पूजा संग पुत्र गणपति जी की भी उपासना करें। उन्हें भोग लगाएं। बुध प्रदोष व्रत के दिन हरे रंग के वस्त्र, हरा मक्का यानी भुट्टा, हरा चारा, बाजरा और चमेली का तेल दान करने से लाभ होगा।

बुध प्रदोष व्रत में करें इनका इस्तेमाल मिलेगा लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुध प्रदोष व्रत में भगवान शिव की प्रतिमा, फल, फूल, मिठाई, सफेद चंदन, नशा, बेल पत्र, अक्षत, कलावा, दीपक, कपूर, धूपबत्ती, शहद पूजा सामग्री में शामिल करें।

बुध प्रदोष व्रत का महत्व

बुध प्रदोष व्रत करने से शिव जी की कृपा प्राप्त तो होती ही है। साथ ही बुध ग्रह को भी मजबूती मिलती है। कहा जाता है कि जिन दंपतियों को संतान रत्न की प्राप्ति करनी हो उन्हें बुध प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए। इस दिन प्रदोषकाल में की गई शिव साधना संतान को हर संकट से बचाती है। बुध प्रदोष व्रत के दिन बच्चों की समृद्धि के लिए सुबह और शाम के समय भगवान गणेश के सामने हरी इलायची अर्पित करें और 27 बार ॐ बुद्धिप्रदाये नमः मंत्र जाप करें। 

बुध प्रदोष व्रत में शिवलिंग पूजा का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन समस्त जैसे ब्रह्म बेताल, देव, गंधर्व दिव्यात्माएं अपने सूक्ष्म स्वरूप में शिवलिंग में समा जाती हैं। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोषकाल में शिवलिंग के केवल दर्शन करने से सभी जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। साथ ही त्रयोदशी तिथि पर प्रदोषकाल में बिल्वपत्र चढ़ाकर दीप जलाने से अनेक पुण्य प्राप्त होते हैं। पहले इस व्रत के महत्व के बारे में शिवजी ने माता सती को बताया था। शास्त्रों में कहा गया है कि कलियुग में एक मात्र प्रदोष ऐसा व्रत है जो व्यक्ति के रोग, दोष, संतापों का नाश कर खुशियां प्रदान करता है।

बुध प्रदोष व्रत पर करें ऐसे पूजा

पंडितों के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान भोलेनाथ का सच्चे मन से ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा शाम को करने का विधान है। शिवलिंग का विधिपूर्वक शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद देशी घी का दीपक जलाएं। शिवलिंग पर कनेर के फूल, बेलपत्र और भांग अर्पित करें। भगवान शिव की आरती करें और भगवान शिव के प्रिय मंत्रों का जाप करें। भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं। इसलिए जलाभिषेक के साथ ही 'ऊं नम: शिवाय:' का जाप भी करते रहें। इसके बाद भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि से पूजा करें।

प्रदोष व्रत होते हैं खास

पंडितों के अनुसार रविवार के दिन प्रदोष व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग रहेंगे। सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा फलित होती है। मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है और आप स्वस्थ रहते हैं। बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है। बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है। शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है। शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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