Bhadrapada Purnima 2024: भाद्रपद पूर्णिमा व्रत से पूरे होते हैं सभी बिगड़े काम

Bhadrapada Purnima
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भाद्रपद पूर्णिमा के दिन उमा-महेश्वर व्रत रखा जाता है। इस व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। पंडितों के अनुसार जो व्यक्ति भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर व्रत कथा पढ़ता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।

17 सितम्बर को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत है, पूर्णिमा के दिन चंद्र देव को अर्घ्य और विष्णु जी की विधिपूर्वक पूजा करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और प्रभु सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं तो आइए हम आपको भाद्रपद पूर्णिमा व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

जानें भाद्रपद पूर्णिमा व्रत के बारे में 

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन उमा-महेश्वर व्रत रखा जाता है। इस व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। पंडितों के अनुसार जो व्यक्ति भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर व्रत कथा पढ़ता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।

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प्रत्येक माह में पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता हैं। सनातन धर्म में भाद्रपद माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को बहुत ही शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्र देव, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस शुभ तिथि पर उपासना करने से दुख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है और इसके बाद 16 दिनों तक हम अपने पितरों को याद करते हैं, उनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण, दान आदि करते हैं। साल 2024 में पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर के दिन शुरू होगी।

भाद्रपद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 18 सितंबर को सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 17 सितंबर को पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। वहीं, 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाएगी।

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन ऐसे करें पूजा, मिलेगा लाभ

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करें या पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करें। भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी का जलाभिषेक करें। माता का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें। अब मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें। संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें। भाद्रपद पूर्णिमा की व्रत कथा और श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें। पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें। माता को खीर का भोग लगाएं और चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें। अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय

अगर आप सुख-समृद्धि की कामना करते हैं तो भाद्रपद पूर्णिमा के दिन कुछ आसान उपाय आप कर सकते हैं। पंडितों के अनुसार, माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए भाद्रपद पूर्णिमा के दिन श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। वैवाहिक दिक्कतें दूर करने के लिए लक्ष्मी नारायण की जोड़े में पूजा करें और माता को शृंगार का समान भी चढ़ाएं। नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से और सामर्थ्य अनुसार दान देने से पितरों और देवताओं का आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करने से आर्थिक समस्याओं से आपको छुटकारा मिलता है।

सत्यनारायण की कथा का पाठ करने से सुख-समृद्धि घर में बनी रहती है। अगर आप इस दिन गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी आदि को अन्न खिलाते हैं तो आपके जीवन की कई समस्याओं का हल आपको मिल सकता है। इस दिन घर में गंगाजल का छिड़काव करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है।  योग-ध्यान करने से आलौकिक अनुभव व्यक्ति को प्राप्त होते हैं। अगर दांपत्य जीवन में परेशानियां चल रही हैं तो इस दिन पति-पत्नी को चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देना चाहिए, ऐसा करने से दांपत्य जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं। जो लोग अविवाहित हैं और योग्य जीवनसाथी पाना चाहते हैं वो भी इसदिन चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं और चंद्रमा का पूजन कर सकते हैं। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ तले दीपक जलाने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं। 

मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः

भाद्रपद पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा

एक बार की बात है महर्षि दुर्वासा भगवान शंकर से भेंट करके लौट रहे थे तभी उनकी मुलाकात भगवान विष्णु से हो गई। महर्षि दुर्वासा ने उन्हें बताया कि वो महादेव जी से मिलकर आ रहे हैं और इसके बाद उन्होंने बिल्वपत्र की माला भगवान विष्णु को भेंट की। लेकिन श्री हरि विष्णु जी ने उस माला को स्वयं पहनने के बजाय अपने वाहन गरुड़ को पहना दिया। जिस पर महर्षि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि तुम्हें अपने ऊपर बहुत घमंड है ना, जाओ तुम्हारा सारा सुख खत्म हो जाएगा, तुम्हारी पत्नी लक्ष्मी तुमसे अलग हो जाएगी। क्षीर सागर से भी तुम्हें हाथ धोना पड़ेगा। ये सुनने के बाद भगवान विष्णु ने महर्षि दुर्वासा को प्रणाम करते हुए इस श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा।  भगवान विष्णु को अपनी गलती का अहसास होने पर दुर्वासा शांत हो गए लेकिन उन्होंने कहा कि अब मैं श्राप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन तुम्हें इस श्राप से मुक्ति का उपाय बतलाता हूं। आपको पूर्णिमा के दिन महादेव और चांद की पूजा करनी होगी जिसके बाद ही आप सभी श्राप के कष्ट से मुक्त पा सकेंगे। जिसके बाद भगवान विष्णु ने महर्षि दुर्वासा के कहे अनुसार उमा-महेश्वर का व्रत रखा और पूर्णिमा के दिन शिव और चांद की विधि विधान पूजा की। जिससे उनके सारे कष्ट दूर हो गए और भगवान विष्णु को अपनी समस्त शक्तियां पुनः प्राप्त हो गईं।

भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान स्नान और दान करने का खास महत्व है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का विधान है। इसलिए भाद्रपद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान किया जाता है।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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