e-RUPI क्या है और यह कैसे काम करता है,नए डिजिटल भुगतान के बारे में सब कुछ जानें

e RUPI
जे. पी. शुक्ला । Aug 16 2021 3:13PM

एनपीसीआई ने ई-रुपी लेनदेन के लिए 11 बैंकों के साथ साझेदारी की है। वे एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन बैंक, इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया हैं।

ई-रूपी क्या है?

ई-रूपी एक ई-वाउचर है जो लाभार्थियों को क्यूआर कोड और एसएमएस-स्ट्रिंग-आधारित वाउचर के रूप में दिया जाएगा, जिसके माध्यम से धन सीधे उनके बैंक खाते में स्थानांतरित किया जाएगा।

देश में डिजिटल मुद्रा की दिशा में पहला कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इलेक्ट्रॉनिक वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली "ई-रूपी" लॉन्च की। यह प्लेटफार्म, जिसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा विकसित किया गया है, एक व्यक्ति-विशिष्ट और उद्देश्य-विशिष्ट भुगतान प्रणाली होगी।

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ई-रूपी कैसे काम करेगा?

ई-रुपी एक कैशलेस और संपर्क रहित डिजिटल भुगतान माध्यम है, जिसे एसएमएस-स्ट्रिंग या क्यूआर कोड के रूप में लाभार्थियों के मोबाइल फोन पर पहुंचाया जाएगा। यह अनिवार्य रूप से एक प्रीपेड गिफ्ट-वाउचर की तरह होगा जिसे बिना किसी क्रेडिट या डेबिट कार्ड, मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के कुछ विशिष्ट केंद्रों पर भुनाया जा सकेगा। 

उदाहरण के तौर पर यदि सरकार किसी निर्दिष्ट अस्पताल में किसी कर्मचारी के विशेष उपचार को कवर करना चाहती है, तो वह एक भागीदार बैंक के माध्यम से निर्धारित राशि के लिए ई-रुपी वाउचर जारी कर सकती है। कर्मचारी को उसके फीचर फोन/स्मार्ट फोन पर एक एसएमएस या एक क्यूआर कोड प्राप्त होगा। वह निर्दिष्ट अस्पताल में जा सकता है, सेवाओं का लाभ उठा सकता है और अपने फोन पर प्राप्त ई-रुपी वाउचर के माध्यम से भुगतान कर सकता है।

इस प्रकार ई-आरयूपीआई (e-RUPI) एक वनटाइम संपर्क रहित, कैशलेस वाउचर-आधारित भुगतान का तरीका है जो उपयोगकर्ताओं को कार्ड, डिजिटल भुगतान ऐप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के बिना वाउचर को भुनाने में मदद करता है।

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ये वाउचर कैसे जारी किए जाएंगे?

इस सिस्टम को एनपीसीआई (NPCI) ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर बनाया है और इसमें बैंकों को शामिल किया गया है जो जारीकर्ता संस्थाएं होंगी। किसी भी कॉर्पोरेट या सरकारी एजेंसी को साझेदार बैंकों से संपर्क करना होगा, जो निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र के ऋणदाता हैं, व्यक्तियों के विवरण और उस उद्देश्य के लिए जिसके लिए भुगतान किया जाना है। लाभार्थियों की पहचान उनके मोबाइल नंबर का उपयोग करके की जाएगी और बैंक द्वारा  दिए गए किसी व्यक्ति के नाम पर सेवा प्रदाता को आवंटित वाउचर केवल उस व्यक्ति को ही दिया जाएगा।

ई-आरयूपीआई उपभोक्ता के लिए कैसे फायदेमंद है?

ई-आरयूपीआई के लिए लाभार्थी के पास बैंक खाता होना आवश्यक नहीं है, जो अन्य डिजिटल भुगतान रूपों की तुलना में एक प्रमुख फीचर है। यह एक आसान, संपर्क रहित दो-चरणीय प्रक्रिया सुनिश्चित करता है जिसमें व्यक्तिगत विवरण साझा करने की भी आवश्यकता नहीं होती है।

इसका एक अन्य लाभ यह ही है कि ई-आरयूपीआई बेसिक फोन पर भी संचालित होता है और इसलिए इसका उपयोग उन लोगों द्वारा भी किया जा सकता है जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है या उन जगहों पर जहां इंटरनेट कनेक्शन की कमी है।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) को मजबूत करने और इसे और अधिक पारदर्शी बनाने में ई-रुपी एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। चूंकि वाउचर को भौतिक रूप से जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है, इसलिए इससे लागत में बचत भी होगी।

कौन से बैंक ई-रुपी जारी करते हैं?

एनपीसीआई ने ई-रुपी लेनदेन के लिए 11 बैंकों के साथ साझेदारी की है। वे एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन बैंक, इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया हैं।

ई-रुपी  का उपयोग कहां किया जा सकता है?

शुरुआत में एनपीसीआई ने 1,600 से अधिक अस्पतालों के साथ करार किया है जहां ई-आरयूपीआई को भुनाया जा सकता है। इसके अलावा इसका उपयोग आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, उर्वरक सब्सिडी आदि योजनाओं के तहत मातृ एवं बाल कल्याण योजनाओं, टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों, दवाओं और निदान के तहत दवाएं और पोषण सहायता प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है। सरकार ने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र भी अपने कर्मचारी कल्याण और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में इन डिजिटल वाउचर का लाभ उठा सकता है।

ई-रुपी का  डिजिटल करेंसी, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक विचार कर रहा है, के साथ किसी भी तरह का कन्फूज़न नहीं होना चाहिए। क्योंकि ई-रुपी एक व्यक्ति विशिष्ट, यहां तक कि उद्देश्य विशिष्ट डिजिटल वाउचर है।

जे. पी. शुक्ला

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