सोनिया गांधी ने तो पार्टी का कर्ज उतारने को कहा था, मगर नेता कांग्रेस छोड़ रहे हैं
2019 में कांग्रेस में शामिल हुए हार्दिक पटेल ने पार्टी छोड़ने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में दावा किया कि कांग्रेस ने देश में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर केवल ''एक अवरोधक की भूमिका निभाई’’ है और उसने ''हर चीज का महज विरोध ही किया है।''
हाल ही में उदयपुर में संपन्न कांग्रेस के चिंतन शिविर से पहले पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेसियों से कहा था कि पार्टी का कर्ज उतारने का समय आ गया है। सोनिया गांधी के इस आह्वान के बाद कितने कांग्रेसियों ने कर्ज उतारा इसका तो कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है लेकिन कांग्रेस का पटका उतार कर पार्टी छोड़ने का ऐलान दो बड़े नेता सुनील जाखड़ और अब हार्दिक पटेल कर चुके हैं। जी हाँ, गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार में उतर चुके राहुल गांधी को झटका देते हुए हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन से उभरे नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस की गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देकर गुजरात की राजनीति में नये समीकरण बना दिये हैं। हार्दिक पटेल का कहना है कि वह कांग्रेस के ऐसे वर्किंग प्रेसिडेंट थे जिसके पास कोई वर्क नहीं था। हार्दिक कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं इस बात की खबरें तो बहुत दिनों से चल रही थीं।
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भाजपा करेगी 'हार्दिक' स्वागत!
माना जा रहा था कि वह गुजरात में अपना आधार बनाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन हार्दिक शायद अब अपने राजनीतिक कॅरियर के साथ और प्रयोग नहीं करना चाहते इसलिए कांग्रेस छोड़ते समय उन्होंने जो पत्र लिखा है वह दर्शा रहा है कि हार्दिक पटेल जल्द ही भाजपा में शामिल होकर इस साल के अंत में होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। संभवतः आने वाले दिनों में भाजपा जल्द ही कहे- 'हार्दिक स्वागत'। क्योंकि हार्दिक की युवाओं के बीच अच्छी पकड़ और पटेलों के बीच समर्थन का लाभ उस पार्टी को होना ही है जिसके साथ हार्दिक जायेंगे। वैसे तो गुजरात में भाजपा का अपना जनाधार है लेकिन फिर भी वह कभी भी जीत के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखती।
हार्दिक ने किन कारणों से कांग्रेस छोड़ी?
2019 में कांग्रेस में शामिल हुए हार्दिक पटेल ने पार्टी छोड़ने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में दावा किया कि कांग्रेस ने देश में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर केवल ''एक अवरोधक की भूमिका निभाई’’ है और उसने ''हर चीज का महज विरोध ही किया है।’’ हार्दिक पटेल ने बिना कोई नाम लिए कहा कि उन्होंने जब भी गुजरात के लोगों के हितों से जुड़े मुद्दे उठाये, तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फोन पर अपने संदेश देखने में मसरूफ होते और कुछ नेता जब पार्टी और देश को उनकी जरूरत होती तब ‘‘विदेश में मजे कर रहे होते थे।’’ हम आपको बता दें कि कांग्रेस छोड़ने वाले कई नेता यही आरोप लगाते रहे हैं कि जब-जब उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के समक्ष अपने मुद्दे उठाये तो उनकी बात पर ध्यान देने की बजाय नेता या तो कुत्ते को बिस्किट खिलाने, मोबाइल फोन पर गेम खेलने, मोबाइल फोन पर मैसेज देखने आदि में बिजी रहते थे।
कांग्रेस की क्या प्रतिक्रिया है?
वहीं, कांग्रेस ने हार्दिक पटेल के इस्तीफे को लेकर आरोप लगाया है कि उनके त्यागपत्र में इस्तेमाल शब्द भारतीय जनता पार्टी के हैं और अब ‘भाजपा के आका’ तय करेंगे कि हार्दिक का अगला कदम क्या होगा। पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने यह दावा भी किया कि गुजरात में भाजपा अपने खिसकते जनाधार के कारण कांग्रेस को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गुजरात में राहुल गांधी की हालिया रैली के बाद भाजपा में डर पैदा हो गया है। उसका आधार खिसक रहा है।'' गोहिल ने कहा कि डरी और बौखलाई भाजपा कांग्रेस के आधार को कमजोर बनाने के लिए सिर्फ साम, दाम, दंडभेद का सहारा ही नहीं ले रही है, बल्कि निम्न स्तर पर जाकर वार कर रही है।’’
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कुछ और बड़ी बातें
दूसरी तरफ हार्दिक ने अपने पत्र में कांग्रेस के बारे में जो कुछ कहा है वह विधानसभा चुनावों में पार्टी को नुकसान पहुँचा सकता है। क्योंकि गुजरात की राजनीति में एक तो हिंदुत्व का प्रभाव है साथ ही गुजराती गौरव की भावना भी प्रबल है। इसलिए हार्दिक पटेल के यह दो आरोप कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले होंगे-
1. ''चाहे, अयोध्या में राम मंदिर हो, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाना, जीएसटी लागू करना, भारत लंबे समय से इन मुद्दों का समाधान चाहता था और कांग्रेस ने केवल एक अवरोधक की भूमिका निभाई है।’’
2. ''वरिष्ठ नेता ऐसे बर्ताव करते हैं, जैसे वे गुजरात और गुजरातियों से नफरत करते हों। कांग्रेस कैसे गुजरात के लोगों से अपेक्षा करती है कि वे उन्हें हमारे राज्य का नेतृत्व करने के एक विकल्प के रूप में देखें?’’
बहरहाल, राहुल गांधी की विदेश यात्राओं पर तंज कसते हुए हार्दिक पटेल का यह कहना कि जब भी हमारा देश परेशानियों का सामना कर रहा होता है और कांग्रेस को नेतृत्व की जरूरत होती है, तो पार्टी के नेता विदेश में मजे कर रहे होते हैं महज एक आरोप भर नहीं है। याद कीजिये इस साल के शुरू में जब सभी राजनीतिक दल पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटे हुए थे तब राहुल गांधी विदेश में थे, इसके चलते कांग्रेस की तैयारियां काफी देर से शुरू हो पाई थीं और देर से शुरू होने वाली तैयारियों का हश्र चुनाव परिणाम ने बता ही दिया है।
-नीरज कुमार दुबे
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