कांग्रेस ने चिंतन शिविर पार्टी के लिए किया या गांधी परिवार की साख बचाने के लिए ?

sonia rahul
ANI

सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में कहा था कि भाजपा और आरएसएस की नीतियों के कारण देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसपर विचार करने के लिए ये शिविर एक बहुत अच्छा अवसर है। ये देश के मुद्दों पर चिंतन और पार्टी के सामने समस्याओं पर आत्मचिंतन दोनों ही है।

कांग्रेस ने उदयपुर के चिंतन शिविर में प्रस्ताव रखा है कि "एक परिवार, एक टिकट" की व्यवस्था की जाए और परिवार के दूसरे सदस्य को टिकट तभी मिले जब वह संगठन में पांच साल काम करे। यदि कांग्रेस इस प्रस्ताव पर पूरी तरह अमल करने में सफल रहती है तो परिवार आधारित अन्य राजनीतिक दल भी देश की इस सबसे पुरानी पार्टी से सीख ले सकते हैं। कांग्रेस राजनीति से परिवारवाद को खत्म करने में सफल रहती है तो वाकई यह उसकी बड़ी कामयाबी होगी। प्रभासाक्षी के साप्ताहिक खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में कांग्रेस के चिंतन शिविर में रखे गये प्रस्तावों और किये गये फैसलों की समीक्षा की गयी।

प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि कांग्रेस एक परिवार एक टिकट फॉर्मूले के तहत अगर राजनीति से परिवादवाद को खत्म करने में सफल होती है तो दूसरे क्षेत्रीय दलों पर भी इसका असर पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने सोनिया गांधी के संबोधन पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी का संबोधन में पार्टी नेताओं के अंदर ऊर्जा भरने वाला रहा है और उन्होंने चिंतन शिविर के माध्यम से पार्टी नेताओं को अपनी भड़ास निकालने का मौका दे दिया है लेकिन उन्होंने यह जरूर स्पष्ट किया था कि बाहर महज एकजुटता का ही संदेश जाए।

इसे भी पढ़ें: जनता से कांग्रेस का संपर्क टूट गया, इसे फिर से जोड़ना होगा: राहुल गांधी

इसी दौरान प्रभासाक्षी के संपादक ने राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से जुड़े सवाल पर कहा कि उनके अमेठी से हारने का मतलब यह तो नहीं है कि वो आगामी चुनाव में जीत नहीं सकते हैं। हालांकि अमेठी में स्मृति ईरानी ने अच्छा प्रदर्शन किया था और वहां पर वो काम भी कर रही हैं लेकिन अध्यक्ष पद के उसे चुना जाना चाहिए जो राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ सके। 

क्या संतुष्ठ होंगे जी-23 नेता

नेतृत्व से जुड़े मुद्दे पर पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले जी-23 के नेता उदयपुर के चिंतन शिविर में पहुंचे। लेकिन इसमें कपिल सिब्बल मौजूद नहीं थे। ऐसे में एक तरफ जहां एकजुटता का संदेश दिखाई दे रहा था, वहीं सवाल यह भी खड़े हो रहे थे कि परिवर्तन की ओर बढ़ रही पार्टी से नेता छिटक रहे हैं। क्योंकि पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने भी कांग्रेस को फेसबुक लाइव के माध्यम से अलविदा कह दिया और उन्होंने कहा कि गुडलक, गुडबॉय कांग्रेस।

गौरतलब है कि कांग्रेस चिंतन शिविर में जो प्रस्ताव आये उनमें संगठन की विभिन्न समितियों में युवाओं के लिए 50 प्रतिशत जगह आरक्षित करने, स्थानीय स्तर पर मंडल समितियां बनाने, पदाधिकारियों के कामकाज की समीक्षा के लिए एक आकलन इकाई बनाने और एक पद पर किसी व्यक्ति के लगातार पांच साल से ज्यादा नहीं रहने की व्यवस्था तय करना आदि प्रमुख रहे।

इसे भी पढ़ें: चिंतन शिविर में उठा EVM का मुद्दा, सत्ता में आने के बाद कांग्रेस इस पर लगा सकती है प्रतिबंध

सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में कहा था कि भाजपा और आरएसएस की नीतियों के कारण देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसपर विचार करने के लिए ये शिविर एक बहुत अच्छा अवसर है। ये देश के मुद्दों पर चिंतन और पार्टी के सामने समस्याओं पर आत्मचिंतन दोनों ही है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि हाल में मिली नाकामयाबियों से हम बेखबर नहीं है और न ही हम बेखबर हैं उस संघर्ष की कठिनाईयों से जिससे पार पाकर हमें जीतना है। लोगों को हमसे जो उम्मीदें हैं उनसे भी हम बेखबर नहीं हैं। हम देश की राजनीति में अपनी पार्टी को फिर से उसी भूमिका में लाएंगे जिसे पार्टी ने हमेशा निभाया है और जिस भूमिका की उम्मीद इस बिगड़ते हुए हालातों में देश की जनता हमसे करती है।

- अनुराग गुप्ता

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़