जब प्रधानमंत्री हों मेजबान और राष्ट्रपति हों मेहमान...सोचिये कैसी रही होगी डिनर पार्टी?

ramnath kovind dinner party
ANI

हम आपको बता दें कि इस डिनर पार्टी में राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुईं। रात्रिभोज में देश के लगभग सभी हिस्सों के गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए, जिनमें कई पद्म पुरस्कार विजेता और आदिवासी नेता शामिल थे। यह रात्रिभोज ‘‘अद्वितीय’’ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी कुछ करते हैं लीक से हटकर करते हैं। निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान में उन्होंने विदाई भोज रखा तो यह डिनर पार्टी सबसे अलग नजर आई क्योंकि इसमें सिर्फ मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, नौकरशाहों, दिल्ली में सत्ता के गलियारों के इर्दगिर्द रहने वाले लोगों और मशहूर हस्तियों को ही बुलाने की पुरानी परम्परा को कायम नहीं रखा गया था। प्रधानमंत्री ने अपनी मेजबानी में जो रात्रिभोज आमंत्रित किया उसमें सबसे बड़े मेहमान के रूप में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनका परिवार शामिल हुआ तो साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से समाज के वह लोग भी शामिल हुए जिन्होंने अपनी मेहनत से समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है, देश के लिए कुछ बड़ा किया है या समाज के उस वर्ग से हैं जिन्हें ऐसी पार्टियों में कभी बुलाया ही नहीं जाता था। आम लोग जब देश की इस सबसे महत्वपूर्ण डिनर पार्टी में शामिल हुए तो उनके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी। प्रधानमंत्री ने इस डिनर पार्टी से सिर्फ राष्ट्रपति को ही सम्मान नहीं दिया बल्कि देश के हर नागरिक को भी यह अहसास कराया है कि वह भी उनके लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

किस-किसको बुलाया गया था?

हम आपको बता दें कि इस डिनर पार्टी में राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुईं। रात्रिभोज में देश के लगभग सभी हिस्सों के गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए, जिनमें कई पद्म पुरस्कार विजेता और आदिवासी नेता शामिल थे। यह रात्रिभोज ‘‘अद्वितीय’’ था क्योंकि इसमें दिल्ली के अलावा अन्य जगहों की हस्तियों की भी मौजूदगी पर खासा जोर दिया गया था। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘राष्ट्रपति कोविंद जी के सम्मान में रात्रिभोज की मेजबानी की। द्रौपदी मुर्मू जी, वेंकैया जी और मंत्रियों सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।'' उन्होंने आगे लिखा कि जमीनी स्तर पर उपलब्धि हासिल करने वाले कई व्यक्तियों, पद्म पुरस्कार विजेताओं, आदिवासी समुदाय के नेताओं और अन्य लोगों का रात्रिभोज में स्वागत करते हुए भी हमें खुशी हुई।

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प्रधानमंत्री की मेजबानी कैसी रही?

इस रात्रि भोज के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उनकी पत्नी और प्रधानमंत्री मोदी, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला तथा नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक साथ बैठे थे। जबकि कैबिनेट के अन्य मंत्री विभिन्न नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों के साथ अलग-अलग बैठे हुए थे। राष्ट्रपति के पहुँचने पर प्रधानमंत्री ने उनकी अगवानी की और सबसे मुलाकात करवायी बाद में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को स्मृति चिह्न भी भेंट किया। इस दौरान माहौल काफी खुशनुमा दिखा। विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री जहां एक दूसरे से चर्चा कर रहे थे वहीं केंद्रीय मंत्री विपक्षी सांसदों, नेताओं तथा समाज के अन्य लोगों के साथ चर्चा करते और ठहाके लगाते दिखे। समाज के विभिन्न वर्गों से देशभर से आये लोगों की प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात हुई। मोदी ने चूंकि यह रात्रिभोज दिया था इसलिए वह इस बात की भी चिंता करते दिखे कि सभी लोग भोजन कर लें। प्रधानमंत्री की मेजबानी को सभी लोगों ने सराहा। 

सांसद भी करेंगे सम्मान

प्रधानमंत्री की ओर से दिये गये रात्रिभोज के बाद अब संवैधानिक प्रमुख के तौर पर रामनाथ कोविंद का कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले शनिवार शाम को सांसदों की ओर से भी राष्ट्रपति को विदाई दी जायेगी। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और अन्य सांसद संसद के सेंट्रल हॉल में विदाई समारोह में शामिल होंगे। इस दौरान ओम बिरला सांसदों की ओर से कोविंद को प्रशस्ति पत्र भेंट करेंगे। निवर्तमान राष्ट्रपति को एक स्मृति चिह्न और सांसदों के हस्ताक्षर वाली एक पुस्तक भी भेंट की जाएगी।

रामनाथ कोविंद की उपलब्धियां क्या रहीं?

जहां तक निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल की बात है तो उन्हें इसलिए भी याद किया जायेगा कि उनके ही हस्ताक्षर से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हुआ और अनुच्छेद 370 हटाया गया। रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर से ही तीन तलाक विरोधी कानून बना, रामनाथ कोविंद ने सार्वजनिक जीवन में जो गरिमामय व्यवहार किया वह सदैव याद किया जायेगा। तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद पर रहने के बावजूद कभी भी अपनी जड़ों को अपने से दूर नहीं किया।

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जमीनी स्तर के नेता से लेकर देश के शीर्ष पद राष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाले रामनाथ कोविंद समाज में समतावाद और समग्रता के पैरोकार रहे हैं। देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 2017 को शपथ लेने वाले रामनाथ कोविंद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद रविवार को राष्ट्रपति भवन से विदाई लेंगे। उनके कार्यकाल के दौरान ही कोरोना वायरस महामारी का अप्रत्याशित दौर आया जिससे निबटने में उन्होंने सरकार का भरपूर मार्गदर्शन किया। रामनाथ कोविंद ने जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष न्यायालय व संसद तक कार्य के अपने वृहद अनुभव से राष्ट्रपति कार्यालय को समृद्ध किया। राष्ट्रपति भवन के मुताबिक, उन्होंने जून तक 33 देशों की यात्रा की थी और भारत की वैश्विक पहुंच और प्रभाव को बढ़ाया। इन देशों की यात्रा के दौरान कोविंद ने शांति, प्रगति और सद्भाव का भारत का संदेश दिया।

भारत के राष्ट्रपति के रूप में, उन्हें छह देशों- मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, एस्वातीनी, क्रोएशिया, बोलीविया और गिनी गणराज्य से सर्वोच्च राजकीय सम्मान प्राप्त हुए। कोविंद ने भारत के सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर के तौर पर मई 2018 में लद्दाख के सियाचिन में दुनिया के सबसे ऊंचे रण ‘कुमार पोस्ट’ की ऐतिहासिक यात्रा की थी। हम आपको बता दें कि रामनाथ कोविंद का जन्म उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के गांव परौंख में सामान्य परिवार में हुआ था। वह अपनी कड़ी मेहनत से वकील बने, सांसद बने और फिर बिहार के राज्यपाल बने। इसके बाद वह राष्ट्रपति बने। वह शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित हैं। बहरहाल, अब जब कोविंद रिटायर हो रहे हैं तब भी देश को अपेक्षा है कि उनका मार्गदर्शन राष्ट्र को मिलता रहेगा।

-नीरज कुमार दुबे

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